-लक्ष्मी प्रसाद बडोनी की फ‌र्स्ट गजल संग्रह का विमोचन

-लंबे अर्से से लिखते हुए अपनी गजलों को दिए एक मंच

DEHRADUN : तेरे क्या-क्या सहे न सितम जिंदगी, फिर भी रखा है तेरा भरम जिंदगी, होठों की मुस्कान बेटियां, घर-घर की शान बेटियां, वो भला सच्चाई के समझेंगे कैसे मायने, अपना चेहरा देखकर जो तोड़ते हैं आईने, कुछ ऐसी है जनप्रतिबद्धता और संवेदनशीलता से युक्त हैं पत्रकार व गजलकार लक्ष्मी प्रसाद बडोनी 'दर्द गढ़वाली' की गजल संग्रह 'तेरे सितम तेरे करम'। रविवार को परेड ग्राउंड स्थित हिंदी भवन में ऊर्जा निगम के डीजीएम व प्रमुख शायर इकबाल आजर और जनकवि डा। अतुल शर्मा ने गजल संग्रह का संयुक्त रूप से विमोचन किया। कार्यक्रम का संचालन सिटी के प्रमुख शायर शादाब अली ने किया जबकि कार्यक्रम का संयोजन सुमति बडोनी ने किया।

विभिन्न रसों का मिश्रण गजल संग्रह

चीफ गेस्ट व प्रमुख शायर इकबाल आजर ने कहा कि शायरी तभी पूरी होती है जब पढ़ने वाले को लगे कि वह मेरी ही शायरी है। उन्होंने कहा कि इस संग्रह में श्रृंगार रस, वीर रस भी है। साथ ही समाज की बुराईयों पर भी कटाक्ष किया गया है। जनकवि अतुल शर्मा ने कहा कि तेरे सितम तेरे करम गजल संग्रह में मनोरंजन से ज्यादा परिवर्तन की ललक दिख रही है।

ख्0-ख्भ् साल लगे लिखने में

प्रसिद्ध कवि डा। रामविनय सिंह ने कवि व साहित्यकार को भाव जीवी बताया। उन्होंने कहा कि दर्द गढ़वाली ने साहित्य को जो दर्द सौंपा है, वह बहुत ही आनंदमयी है। इस दौरान उन्होंने गजल संग्रह की समीक्षा भी की। गजलकार लक्ष्मी प्रसाद बडोनी ने अपने विमोचित गजल संग्रह में से कुछ गजलों के जरिए खूब तालियां बटोरी। उन्होंने कहा कि यह उनका पहला गजल संग्रह है। इसको लिखने में उन्हें ख्0 से ख्भ् साल लगे हैं।

Posted By: Inextlive