मामला खुलने के बाद यूनिवर्सिटी में हड़कंप, मामला कुलपति तक पहुंचा

लॉ विभाग से निकाला गया और प्राचीन इतिहास विभाग में दाखिला

निकाले गए छात्रनेताओं के समर्थन में तभी से चल रहा है प्रदर्शन

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से निष्कासित छात्रनेता ने पीजी में दाखिला लेकर सबको चौंका दिया है। निष्कासन की कार्रवाई के 14 दिन बाद ही छात्रनेता ने प्राचीन इतिहास विभाग में दाखिला ले लिया। मामला सामने आने के बाद एयू प्रशासन में हड़कम्प है। मामला कुलपति प्रो। आरएल हांगलू तक भी पहुंच गया है। छात्रनेता वर्तमान में इविवि में छात्रसंघ का निवर्तमान संयुक्त सचिव है। निष्कासन की कार्रवाई के बाद से छात्र लगातार छात्रसंघ भवन पर क्रमिक अनशन चला रहे हैं।

गंभीर आरोप में कार्रवाई

प्रकरण निवर्तमान संयुक्त सचिव श्रवण जायसवाल से जुड़ा है। शैक्षिक सत्र 2016-17 में दाखिले के लिए हुई प्रवेश परीक्षा में धांधली व अनियमितता के विरोध में आंदोलनरत 09 छात्रों के खिलाफ निस्कासन एवं निलंबन की कार्रवाई हुई थी। कार्रवाई पांच अगस्त को चीफ प्रॉक्टर प्रो। हर्ष कुमार की ओर से गई। चीफ प्रॉक्टर प्रो। कुमार ने कहा था कि छात्रों द्वारा लगातार अलोकतांत्रिक तरीके से धरना प्रदर्शन और अध्यापकों के साथ दु‌र्व्यवहार किया जा रहा है। उन पर दो अगस्त 2016 को कला संकाय के सभी गेटों पर तालाबंदी का भी आरोप था।

इन पर गिरी थी गाज

छात्रों द्वारा परिसर में अराजकता पैदा करने के आरोप में लॉ विभाग के आनन्द कुमार सिंह उर्फ निक्कू और सूर्य प्रकाश मिश्र, निवर्तमान उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह, संयुक्त मंत्री श्रवण जायसवाल को विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया था। संस्कृति मंत्री जितेन्द्र शुक्ला, कवि विशाल, हिमांशु पाण्डेय, अनुभव उपाध्याय एवं नलिनी मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलबिंत कर दिया गया था। एक अन्य छात्र सौरभ तिवारी को शो काज नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था।

हो सकती है मानवीय भूल

श्रवण जायसवाल को जारी फीस रसीद के मुताबिक उसने 19 अगस्त को एम इन एंसिएंट हिस्ट्री प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश लिया है। इस बावत चीफ प्रॉक्टर प्रो। हर्ष कुमार ने कहा कि निष्कासन एवं निलंबन की कार्रवाई की सूचना डायरेक्टर एडमिशन प्रो। बीएन सिंह को भेजी गई थी। हो सकता है कि जानकारी एंसिएंट हिस्ट्री डिपार्टमेंट में लेट से पहुंची हो। यह मानवीय भूल भी हो सकती है। बता दें कि चीफ प्रॉक्टर द्वारा की गई कार्रवाई उस समय बड़ी चर्चा का विषय बनी थी। इसे समाचार पत्रों ने भी प्रमुखता से प्रकाशित किया था, ऐसे में मानवीय भूल की बात गले से नहीं उतरती। फिलहाल प्रॉक्टर का कहना है कि यह कैसे हुआ यह जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि श्रवण का एडमिशन कैंसिल किया जाएगा।

आरके सिंह बने चुनाव अधिकारी

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव के लिए चुनाव अधिकारी बनाए गए प्रो। प्रकाश सिन्हा ने पद छोड़ दिया है। उन्होंने चीफ प्रॉक्टर डॉ। हर्ष कुमार को भेजी सूचना में चुनाव अधिकारी का पद छोड़ने की वजह निजी कारणों को बताया है। इसके बाद अंग्रेजी विभाग के प्रो। आरके सिंह को चुनाव अधिकारी बनाया गया है। बता दें कि प्रो। प्रकाश सिन्हा की नियुक्ति जुलाई माह में की गई थी।

Posted By: Inextlive