GORAKHPUR : टेररिज्म कहने को एक छोटा सा वर्ड है. लेकिन अगर इसके मायने ढूंढे जाए तो यह किसी अनसुलझी पहेली से कम नहीं है. इंडिया में टेररिस्ट को तो डिफाइन कर दिया गया है लेकिन टेररिज्म की अब तक यहां पर कोई डेफिनेशन नहीं है. यह बातें सामने आई गोरखपुर यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट की ओर से ऑर्गेनाइज नेशनल सेमिनार में जहां एक्सपट्र्स की मौजूदगी में टेररिज्म पर मंथन चल रहा है. 'टेररिज्म: चैलेंजेस पर्सपेक्टिव्स एंड इश्यूजÓ टॉपिक पर ऑर्गेनाइज इस नेशनल सेमिनार में यह बात सामने आई कि टेररिज्म रिलेटेड लॉ में और सुधार की जरूरत है. वहीं टेररिज्म के घरेलू रीजन्स पर भी माइनर रिसर्च की जरूरत है. इसके लिए सभी यूनिवर्सिटीज और हायर एजूकेशन संस्थानों और गवर्नमेंट एजेंसीज के बीच कोऑर्डिनेशन होना भी बहुत जरूरी है.


क्यों नहीं थम रहा है टेररिज्म?टेररिज्म को रोकने की तमाम कोशिशें हो रही हैं, लेकिन बजाए रुकने के यह और बढ़ता ही जा रहा है। इस सवाल का जवाब दिया एनआईए के आईजी लोकनाथ बेहरा ने, उन्होंने बताया कि इंडिया से टेररिज्म पूरी तरह से खत्म न होने के कई रीजन्स हैं। पहला यह कि इंडिया के एक दो नहीं बल्कि कई विरोधी दुश्मन हैं। वहीं आतंक फैलाने वाले ग्रुप्स की भी कोई कमी नहीं है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उन्हें बाहरी सपोर्ट भी मिलता रहता है। इंफॉर्मेशन शेयरिंग में गैप होना भी इसका एक बड़ा रीजन है। बाहर से ऑपरेट किए जाते हैं टेरररिस्ट


आईजी बेहरा ने बताया कि इंडिया में टेररिस्ट एक्टिविटी बढऩे के पीछे सबसे बड़ा ड्रा बैक यह है कि टेररिस्ट इंडिया से नहीं बल्कि बाहर से ऑपरेट किए जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कई टेररिस्ट ग्रुप ऐसे हैं, जो बाहर ही सारी प्लानिंग करते हैं और पूरी तैयारी भी बाहर बैठकर ही करते हैं, उसके बाद इंडिया में आकर घटना को अंजाम देते हैं और फिर वापस लौट जाते हैं। अगर यह इंडिया में पकड़े भी गए तो एविडेंस के अभाव में छूट जाते हैं। अगर लोकली कुछ एविडेंस मिल भी जाते हैं तो बाहर से एविडेंस जुटाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है और आखिरकार वह छूट जाते हैं। पैदा करते हैं डर का माहौलकुमायूं यूनिवर्सिटी के एक्स वीसी प्रो। सीपी बर्थवाल ने बताया कि टेररिस्ट्स का मेन मोटिव डर पैदा करना होता है, जिससे कि उन्हें लोगों का अट्रैक्शन मिल सके। प्रो। बर्थवाल, नेशनल सेमिनार में बतौर चीफ गेस्ट मौजूद थे। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल टेररिज्म से जुड़े टेररिस्ट लिटरेट होते हैं, जबकि घरेलू या नेशनल टेररिस्ट में ज्यादातर लोग इल्लिटरेट और गरीब होते हैं, ऐसा इनवेस्टिगेशन में सामने आया है। उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति का देश में अभाव है, जिसे दूर करने के साथ ही शिक्षा का प्रसार और अर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देने की जरूरत है। स्पेशल गेस्ट के तौर पर मौजूद एसएसआरसी, नई दिल्ली के मेंबर सेक्रेटरी प्रो। रमेश दधीच ने रिसर्च के गिरते स्तर को सुधारने की बात कही। प्रोग्राम की अध्यक्षता वीसी प्रो। पीसी त्रिवेदी ने की। सेमिनार के ऑर्गेनाइजर और एचओडी डॉ। राजेश कुमार सिंह ने सभी गेस्ट का वेलकम किया। प्रोग्राम का संचालन डॉ। निशा जायसवाल और आभार ज्ञापन डॉ। रूसी राम महानंद ने किया। इस दौरान टीचर्स, रिसर्च स्कॉलर्स, स्टूडेंट्स और एंप्लाई मौजूद रहे।Terrorist group in IndiaInternational -

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Posted By: Inextlive