9 जुलाई 1938 को गुजरात में जन्‍में बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता संजीव कुमार ने आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कहा था। 6 नवंबर 1985 को दुनिया और रंगमंच दोनों को अलविदा बोल चुके संजीव कुमार आज भी दर्शकों के दिलों में अपने अभिनय के रूप में जिंदा हैं। आज भी 'शोले' जैसी सुपर हिट फिल्‍मों के लिए इनको 'ठाकुर' के नाम से जाना जाता है। अपने अभिनय से कई किरदारों में जान डालने वाले संजीव कुमार दिखने में भी काफी स्‍मार्ट थे लेकिन इनकी जिंदगी का एक वक्‍त वो भी था जब इनके हुलिए पर इनकी ही एक को-स्‍टार ने कुछ ऐसा बोल दिया जो इनको तो क्‍या किसी को भी बुरा लग सकता है।

ऐसा रहा वाक्या
दरअसल स्टंट फिल्मों के दायरे से बाहर निकलकर इन्होंने सामाजिक फिल्मों में कदम रखा। अब फिल्म 'पति-पत्नी' में उन्हें एक्ट्रेस  नंदा के साथ हीरो का किरदार निभाना था। इन्हीं दिनों में एक दिन वह मैट्रो सिनेमा में कोई फिल्म देखने पहुंचे थे। अब यहां अपनी आदत के अनुसार इन्होंने लोअर स्टाल का टिकट लिया। उसी समय इत्तेफाक से नंदा भी उस दिन मैट्रो में फिल्म देखने पहुंच गईं। नंदा खुद बालकनी में बैठी थीं। इतने में संजीव कुमार ने इन्हें देखा तो दूर से उनको सलाम ठोंक दिया।
नंदा से हुई कढ़वी मुलाकात
इसके अगले दिन जब एक्ट्रेस नंदा अपनी फिल्म के सेट पर पहुंचीं, तो यहां पहुंचते ही निर्माता से संजीव कुमार की शिकायत कर दी। उनकी शिकायत करते हुए उन्होंने संजीव कुमार को फिल्म से अलग करके कोई ढंग का हीरो लेने को कहा। वह बोलीं कि यह हीरो है या कोई फेरी वाला। जरा हूलिया तो देखिए, एक तो बेढंगे कपड़े, उसपर निचली क्लास में फिल्म देखता है। उन्होंने कहा कि इसके साथ काम करके तो उनका भी ग्रेड गिर जाएगा।
जब संजीव पहुंचे सेट पर
इसके कुछ देर बाद संजीव भी सेट पर पहुंचे। उस वक्त भी इन्होंने कुर्ता और पायजामा ही पहन रखा था। हाथ में छतरी लटक रही थी और घड़ी के बेल्ट के नीचे बस का टिकट रखा था। उन्हें ऐसे देख सेट पर मौजूद लोगों ने जोरदार ठहाका लगाया और इनमें से एक ने संजीव से कहा कि वह हीरो हैं, तो हीरो की तरह रहना भी सीखें। उन लोगों ने उनसे कहा कि अगर यह फेरी वाले का लिबास ही उन्हें पहनना है, तो कालबा देवी में जाकर कोई और धंधा कर लें, फिल्म लाइन छोड़ दें।
उस समय नहीं थी ऐसी हालत
उस समय संजीव कुमार को बहुत बुरा लगा, लेकिन तब वह कुछ नहीं कर सकते थे क्योंकि उस समय उनकी हालत ऐसी नहीं थी कि इन सब चीजों को अफोर्ड कर सकें। उसके बाद उनको फिल्में मिलती गईं और उनकी शोहरत का कद बढ़ता गया। एक दिन ऐसा जब उनका नाम सिर्फ इंडिया नहीं, विदेशों में भी गूंजने लगा।

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Posted By: Ruchi D Sharma