- छोटे ट्रांसपोर्टर्स के लिए भी ई-वे बिल बना परेशानी

- रखना पड़ रहा है कंप्यूटर व ऑपरेटर, बिना ई-वे बिल रुक जा रहा स्टॉक

GORAKHPUR: ई-वे बिल लागू होने के बाद शहर के छोटे ट्रांसपोर्टर्स पर भी संकट के बादल छा गए हैं। ट्रांसपोर्टर्स पर ई-वे बिल पार्ट भरने के लिए ऑफिस में कंप्यूटर सेटअप लगाने के साथ ही स्टॉफ का खर्च बढ़ाने का दबाव हो गया है। ट्रांसपोर्टरों ने बताया कि अब अगर हम खुद ई-वे बिल पार्ट भरने का काम करते हैं तो ऑफिस में कंप्यूटर सेटअप लगाना होगा। इसके अलावा दूसरा विकल्प यह है कि हम प्रति ई-वे बिल जनरेट करने के लिए 30 से 40 रुपए का भुगतान करें। हालांकि बड़े ट्रांसपोर्टरों के अनुसार उन्हें ई-वे बिल लागू होने से किसी तरह की समस्या नहीं हो रही है। एक बार बिल का पार्ट बी भरने के बाद से गाड़ी को कहीं कोई अधिकारी नहीं रोकता है। इसकी मदद से गलत तरीके से व्यापार करने वालों पर रोक भी लगाई जा सकेगी। यानि यह कहा जा सकता है कि ई-वे बिल का शहर के ट्रांसपोर्टरों पर मिलाजुला प्रभाव पड़ा है।

40 प्रतिशत तक घट गया बिजनेस

लालडिग्गी के ट्रांसपोर्टरों ने बताया कि ई-वे बिल लागू होने की आहट से ही व्यवसाय में गिरावट हो रही थी और लागू होने के बाद तो व्यवसाय बेहद कम हो गया था। धीरे-धीरे व्यवसाय में सुधार हो रहा है लेकिन बावजूद इसके 40 प्रतिशत तक अभी भी गिरावट है। ई-वे बिल लागू होने से पहले व्यापारियों को मंगाए गए माल का हिसाब नहीं देना होता था तो वह ज्यादा मात्रा में माल मंगाते थे। लेकिन अब बिल में उन्हें हर माल का जिक्र करना पड़ता है और उस पर उन्हें जीएसटी जमा करना पड़ता है। नतीजा वह माल कम मंगा रहे हैं और इसका प्रभाव छोटे ट्रांसपोर्टरों पर पड़ा है।

लागत हो गई दोगुनी

ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय में लागत कम लगती है। ई-वे बिल लागू होने से पहले गोदाम और शॉप के किराए के अलावा दो से तीन मजदूरों से काम चल जाता था। कुल मिलाकर यह रकम 20 से 30 हजार तक पहुंच जाती थी। लेकिन ई-वे बिल लागू होने के बाद इन्हीं ट्रांसपोर्टरों को ऑफिस में कंप्यूटर सहित पूरा सेटअप लगाना पड़ रहा है। इससे भी जरूरी तकनीकी जानकारी को हासिल करना पड़ता है। इसके लिए ट्रांसपोर्टरों को 8 से 10 हजार पर कंप्यूटर ऑपरेटर रखना पड़ रहा है। लेकिन इन सबसे बचने के लिए ट्रांसपार्टर एक ई-वे बिल के लिए 30 से 40 रुपए खर्च कर रहे हैं, जिसकी वजह से एक गाड़ी पर 120 से लेकर 160 रुपए तक खर्च बढ़ जा रहा है।

मंडी में डेली सब्जी व फलों की आवक

2018 2017

टमाटर 400 क्विंटल 300 क्विंटल

प्याज 800 क्विंटल 600 क्विंटल

अरुई 100 क्विंटल 100 क्विंटल

कुनरू 200 क्विंटल 150 क्विंटल

अदरक 400 क्विंटल 300 क्विंटल

मंडी में डेली आने वाले फल

2018 2017

मौसमी 150 क्विंटल 120 क्विंटल

आम 1000 क्विंटल 800 क्विंटल

केला 700 क्विंटल 500 क्विंटल

बॉक्स

मंडी में 20 फीसदी कम हुई आवक

ई-वे बिल लागू होने के बाद से पिछले साल की तुलना में इस बार करीब 20 फीसदी की गिरावट हो गई है। यहां पर लोकल के ट्रांसपोर्टर सब्जी ढुलाई के काम में इन्वॉल्व नहीं हैं। सब्जी ढुलाई का काम गोरखपुर में प्राइवेट गाडि़यों से किया जाताहै, जो किसी ट्रांसपोर्टर से नहीं जुड़े होते हैं। इस समय मंडी में सब्जियां बंगलुरु, नासिक, पटना, बंगाल, बाराबंकी, नेपाल से तो फल पश्चिम बंगाल, लखनऊ, सहारनपुर और आंध्र प्रदेश से आ रहे हैं।

कोट्स

व्यावसाय में काफी गिरावट हो गई है। जो ईमानदारी से काम कर रहे हैं उनके लिए तमाम प्रक्रियाएं मुसीबत खड़ी कर रही हैं।

- शानू, ट्रांसपोर्टर

जीएसटी लागू होने के बाद लोकल व्यापारी सीधे फैक्ट्री से माल मंगा ले रहे हैं। जिससे हमारे व्यावसाय में गिरावट हो रही है।

- अमरजीत सिंह, ट्रांसपोर्टर

व्यवसाय की लागत दोगुनी हो गई है। एक बिल पर हम लोगों को तीस रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। जिससे गाड़ी पर 150 से 200 रुपए अधिक खर्च हो जा रहा है।

- मुश्ताक, ट्रांसपोर्टर

जीएसटी बिल से हमें कोई परेशानी नहीं है। इससे गलत व्यवसाय करने वालों पर लगाम लगी है। किसी और को समस्या नहीं हुई है।

- आरके तिवारी, अध्यक्ष, गोरखपुर ट्रक एसोसिएशन व गुड्स ट्रांसपोर्ट ऐसोसिएशन

Posted By: Inextlive