- शहर के सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल रहा आयुष्मान योजना का लाभ

- फ्री इलाज के बजाय डॉक्टर्स मरीजों को भेज रहे अपने प्राइवेट अस्पताल

- लाभार्थी अफसरों से कर चुके हैं शिकायत पर सुनवाई नहीं

GORAKHPUR: केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना से सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स अपनी जेब भरने में लग गए हैं। सरकारी अस्पताल में आए मरीजों को डॉक्टर्स फायदे के लिए अपने प्राइवेट हॉस्पिटल में भेज रहे हैं। आलम यह है कि आयुष्मान योजना का गोल्डेन कार्ड होने के बाद भी सरकारी अस्पताल में मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। ऐसे दो केस जिला महिला अस्पताल में ही मिले हैं। लाभार्थियों ने इसकी लिखित शिकायत भी की है लेकिन अफसर इस मामले से बेखबर हैं। वहीं कई ऐसे भी मरीज मिले हैं जिनके पास गोल्डेन कार्ड है लेकिन उन्हें जानकारी नहीं है कि इसे कैसे यूज करना है जिसके कारण लाभार्थी बैरंग लौट जा रहे हैं।

दिखा दे रहे प्राइवेट हॉस्पिटल का रास्ता

23 सितंबर 2018 को आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई। पांच लाख रुपए तक के मेडिकल इंश्योरेंस वाली इस स्कीम में गोरखपुर में दो लाख 63 हजार से ज्यादा लाभार्थी हैं। सरकारी अस्पताल और प्राइवेट हॉस्पिटल को इस योजना से जोड़ने की पहल की गई जिसके बाद कुल 64 अस्पतालों को जोड़ा गया। इसमें जिले के 11 सरकारी अस्पताल और 53 प्राइवेट हॉस्पिटल को जोड़ा जा चुका है। वहीं सरकारी अस्पताल की बात की जाए तो ज्यादातर मरीजों का इलाज चल रहा है लेकिन जिला महिला अस्पताल में इन लाभार्थियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। योजना के दायरे में आने वाले लाभार्थियों को सरकारी अस्पताल के कुछ जिम्मेदार प्राइवेट अस्पताल जाने की सलाह दे रहे हैं। इस मामले में दो लाभार्थियों ने आला अफसरों से लिखित शिकायत भी की है।

केस 1

संतकबीर नगर की रहने वाली ऊषा पाल पत्‍‌नी अरविंद पाल आयुष्मान योजना की लाभार्थी हैं। ऊषा 9 जनवरी को बच्चेदानी का इलाज कराने के लिए जिला महिला अस्पताल पहुंची। उन्होंने रजिस्ट्रेशन कराने के बाद डॉक्टर से दिखाया। डॉक्टर ने ब्लड और शुगर की पर्ची पर जांच कराने की सलाह दी। दूसरे दिन जांच रिपोर्ट मिलने के बाद बताया गया कि अस्पताल में नाइट्रोजन गैस नहीं है जिसकी वजह से सिंकाई नहीं हो सकती है। आज ही सिंकाई करानी है तो निजी अस्पताल आकर करा सकते हैं। एक हफ्ते बाद जब सिंकाई कराने की लिए पहुंची तो इनकार कर दिया गया। इस मामले की शिकायत की गई लेकिन फिर भी इलाज नहीं मिल सका।

केस 2

खजनी के लखुआपाकड़ की रहने वाली नीतू पत्‍‌नी अनिल कुमार आयुष्मान भारत योजना की लाभार्थी हैं। दो जनवरी को वो इलाज के लिए जिला महिला अस्पताल पहुंची। यहां डॉक्टर द्वारा इलाज किया गया। पांच दिन की दवा अंदर से मिली बाकी दवा बाहर से लिख दी गई। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए निजी अस्पताल में बुलाया गया जिसकी शिकायत उन्होंने जिम्मेदारों से की है।

फैक्ट फिगर

निजी अस्पताल - 53

सरकारी अस्पताल -11

आयुष्मान योजना के लाभार्थी - 2.87

लाभार्थियों का हुआ इलाज - 1211

सरकारी अस्पताल में इलाज - 223

गोरखनाथ चिकित्सालय में आयुष्मान लाभाथिर्यों का इलाज - 266

आनंदलोक हॉस्पिटल में इलाज - 122

जारी गोल्डेन कार्ड की संख्या - 32000

वर्जन

मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। मरीजों को अगर इलाज के लिए बाहर बुलाया जा रहा है तो ये गंभीर मामला है। इसकी जांच कराई जाएगी। जांच में मामला सही पाया जाएगा तो कार्रवाई की जाएगी।

- डॉ। एके पांडेय, एसीएमओ, आयुष्मान प्रभारी

इस मामले की जानकारी नहीं है। यदि ऐसा किया जा रहा है तो गलत है। शिकायत मिलने के बाद संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।

- आनंद प्रकाश श्रीवास्तव, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल

Posted By: Inextlive