कुछ पल शांत रहकर भी mind को recharge कर सकते हैं.


ओशो के मुताबिक शब्द मन से silence को कम करके आपको अशांत करते हैं. अगर आप silence को enjoy करना चाहते हैं तो दिमाग में इधर-उधर भटक रहे शब्दों को एक-एक करके बाहर निकालते जाइए.हम सभी शब्दों के गुलाम होते हैं. लैंग्वेज हमारी प्रॉब्लम है. हमारी दुनिया लैंग्वेज की दुनिया है. जहां वड्र्स, फिलॉसफी, स्क्रिप्चर्स, थ्योरीज़ और ऑइडियोलॉजीज़ होती हैं. माइंड शब्दों से बना होता है. शब्द ईंट की तरह है जिससे माइंड तैयार होता है. थोड़ी देर के लिए थॉट्स के हलचल और शोर-शराबे से छुटकारा पाना चाहते हैं तो धीरे-धीरे शब्दों को दिमाग से बाहर निकालिए. ऐसा करना बहुत टफ नहीं है. एक बार शुरू करेंगे तो यह अपने आप होने लगेगा. जब सभी शब्द गायब हो जाएंगे तो आप सोचना बंद कर देंगे. उस वक्त कोई थॉट नहीं होगी, केवल अवेयरनेस होगी.


जब आप गुलाब का फूल देखते हैं तो उसके बारे में क्या सोचते हैं? उस वक्त आप कहते हैं कि यह बहुत खूबसूरत है. अब आप उस फूल से दूर हो जाते हैं और उसकी खूबसूरती के बारे में सोचते हैं. अब खूबसूरत शब्द के साथ तमाम दूसरे थॉट्स जुड़ जाते हैं. थॉट्स का एक चेन बनने लगता है. आप उस पोएट के बारे में सोचने लगते हैं जो खूबसूरत सोचता है या खूबसूरत लिखता है. आप फूल को भूल जाते हैं. आप थॉट्स के ट्रेन में सवार हो जाते हैं. आपके माइंड में इतने थॉट्स हो जाते हैं कि थिंकिंग प्रॉसेस आपके खुद के कंट्रोल से बाहर हो जाता है. थॉट्स का सिलसिला कब खत्म होगा आपको पता नहीं होता है. बस आप अपने ही थॉट्स में बहते चले जाते हैं.Courtesy: http://www.messagefrommasters.comकिसी फूल को एकटक देखना भी किसी मेडिटेशन से कम नहीं. कैसे करें फूल को देख कर meditation?1.जब आप किसी फूल के नजदीक हों तो सिर्फ उसके साथ रहें. किसी शब्द को अपने और फूल के बीच ना आने दें. बस उसे ही देखते रहिए. अलर्ट और अवेयर रहिए. सभी दूसरे थॉट्स को बाहर करते रहिए. आपका फूल को देखना एक तरह का मेडिटेशन है. इस तरह आप खुद को एक फूल पर मेडिटेट कर रहे हैं.2.आप चाहें तो चांद पर देखते हुए मेडिटेट कर सकते हैं, अपने दोस्त पर मेडिटेट कर सकते हैं, बस बिना सोचे-समझे एकटक उसकी आंखों में देखते रहिए.

3.कभी-कभी आईने के सामने खुद के चेहरे को देखिए. कुछ भी मत सोचिए बस देखते रहिए. धीरे-धीरे साइलेंस का गैप हो जाएगा. आप एक तरह सुकून महसूस करेंगे.4. ये स्टेप्स करना बहुत टफ नहीं है. आप जहां भी जैसे भी हों खाली वक्त में अपने सामने दिख रही किसी भी चीज पर मेडिटेट करना शुरू कर सकते हैं.

Posted By: Surabhi Yadav