280 मामलेअब तक दर्ज हो चुके हैं इस साल सिटी में

92 मामलों का ही किया जा सका है निस्तारण

ajeet.singh@inext.co.in

PRAYAGRAJ: एक तरफ पुलिस हाईटेक होने की दिशा में एक कदम बढ़ा रही है तो दूसरी ओर साइबर क्रिमिनल दो कदम आगे बढ़ जा रहे हैं। अब दिक्कत ये है कि पुलिस डकैती, लूट व मर्डर, चोरी आदि का खुलासा तो कुछ हद तक कर दे रही है। लेकिन हाइटेक होने के बाद भी साइबर क्रिमिनल्स की गर्दन तक उसके हाथ नहीं पहुंच पा रहे हैं। जबकि साइबर क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है।

ऐसे दिया साइबर ठगी को अंजाम

-इस साल सिटी में साइबर क्राइम से जुड़े 280 मामले दर्ज किए गए।

-इनमें साइबर शातिरों ने हजारों लाखों रुपए का चूना लगाया है।

-अधिकांश मामलों में लोगों के पास बैंक का अधिकारी व कर्मचारी बनकर फोन किया गया।

-कहा गया कि खाता अपडेट नहीं किया तो ब्लॉक हो जाएगा। फिर ठग लिया गया।

-कुछ मामले लकी ड्रॉ और इंश्योरेंस के नाम पर भी सामने आए।

कर्मचारियों से मिली-भगत

साइबर क्रिमिनल्स का जाल बैंकों मे अधिक फैला हुआ है। इससे पुलिस भी इंकार नहीं कर रही। बैंक के कुछ इंप्लॉईज से सांठगांठ कर क्रिमिनल्स बैंक अकाउंट होल्डर का नाम, पता और मोबाइल नंबर जान लेते हैं। फोन करने वाला नाम और एकाउंट के बारे में बता देता है। इससे लोग झांसे में आ जाते हैं और क्रिमिनल को जानकारी दे देते हैं।

क्या है साइबर अपराध

-क्रिमिनल्स कम्प्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज यूज कर रहे हैं।

-ऑनलाइन ठगी, झांसा देकर एटीएम से पैसे निकाल लेना, गुमराह करके ऑनलाइन शॉपिंग।

-किसी की वेबसाइट को हैक करना या सिस्टम डेटा को चुराना।

इन बातों का रखें ध्यान

-बैंक की तरफ से किसी भी अकाउंट होल्डर को फोन नहीं किया जाता।

-कोई एटीएम कार्ड नंबर या पिन के बारे में जानकारी मांगे तो उससे कुछ भी शेयर न करें।

-समय-समय पर पिन नंबर को चेंज करते रहें

-सेलफोन पर किसी भी एप को डाउन लोड करने से पहले ट‌र्म्स एंड कंडीशन ध्यान से पढ़ लें।

-क्रिमिनल लकी ड्रॉ का विनर बताकर भी फोन कर सकते हैं

-इनाम के नाम पर आने वाले एसएमएस व ईमेल को भी इग्नोर करें।

सख्त सजा का प्रावधान

हैकिंग करने पर

03 साल की जेल या 05 लाख जुर्माना

आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (ए), धारा 66- आईपीसी की धारा 379 और 406 के तहत अपराध साबित होने पर।

जानकारी या डेटा चोरी पर

03 साल तक की जेल या 02 लाख रुपए तक जुर्माना (अपराध की गंभीरता के हिसाब से)

आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 43 (बी), धारा 66 (ई), 67 (सी), आईपीसी की धारा 379, 405, 420 के तहत।

वायरस, स्पाईवेयर फैलाने पर

03 साल की जेल या जुर्माना

उम्र कैद (अगर साइबर आतंकवाद से जुड़ा मामला है)

आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (सी), धारा 66, आईपीसी की धारा 268 और देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के लिए फैलाए गए वायरस पर साइबर आतंकवाद से जुड़ी धारा 66 (एफ) भी लगाई जाती है।

पहचान की चोरी करने पर

03 साल की जेल, 01 लाख जुर्माना

आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43, 66 (सी), आईपीसी की धारा 419 लगाए जाने का प्रावधान।

ई-मेल स्पूफिंग और फ्रॉड

03 साल की जेल या जुर्माना

आईटी कानून 2000 की धारा 77 बी, आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 66 डी, आईपीसी की धारा 417, 419, 420 और 465 लगाए जाने का प्रावधान।

लोग अपनी पर्सनल इंफॉर्मेशन ऑनलाइन फोरम पर शेयर करने से बचें। किसी भी तरह के साइबर क्राइम का शिकार होने पर पुलिस को जरूर इंफॉर्म करें। पुलिस लोगों की पूरी मदद करेगी।

-मनोज अवस्थी,

एसपी क्राइम

Posted By: Inextlive