रक्षामंत्री ने मंच से की नागरिकता संशोधन अधिनियम की वकालत

देश को और सख्त बदलाव के लिए तैयार रहने के लिए किया तैयार

Meerut। साल 1947 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी नहीं चाहते थे कि धर्म के आधार पर देश का विभाजन हो। इसके बाद भी धार्मिक आधार पर देश का बंटवारा हुआ। इसके बाद महात्मा गांधी ने भारत सरकार को पाकिस्तान, अफगानिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों के प्रति संवेदनशील होने के लिए कहा था। नागरिकता संशोधन कानून महात्मा गांधी का वही सपना है जिसे केंद्र की भाजपा सरकार ने पूरा किया। तो बताओ हमने क्या अपराध किया? नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थन में मेरठ के शताब्दीनगर मैदान में आयोजित रैली में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। देश में टुकड़े-टुकड़े गैंग पर रक्षामंत्री ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि किसने हक दिया देश में रहते हुए देश विरोधी नारेबाजी करने का।

क्या हमने अपराध कर दिया?

राजनाथ सिंह ने कहा कि 18 दिसंबर 2003 में राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार से पूछा था कि 'पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में जिन हिंदुओं-सिखों का उत्पीड़न हुआ, भारत आ रहे इन शरणार्थियों को नागरिकता दी जानी चाहिए?' पूर्व प्रधानमंत्री ने जो कहा था कि वो हमने कर दिया। क्या अपराध कर दिया? देश में नारे लग रहे हैं कि भारत के टुकड़े-टुकड़े होंगे। चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, खुदीराम बोस, असफाकउल्ला खां जैसे नौजवानों ने भारत माता के पैरों में पड़ी बेडि़यों को काटने के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया था, तब जाकर देश आजाद हुआ था। भारत के टुकड़े-टुकड़े करने का अधिकार किसने-किसको दे दिया?

जाति-पंथ का आधार नहीं

रक्षामंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश का परचम विश्व में लहरा रहा है। भारत का मस्तक ऊंचा होता जा रहा है, सारी दुनिया भारत की ताकत को स्वीकार कर रही है। फिर भी नागरिकता संशोधन अधिनियम का देश में विरोध हो रहा है। रक्षामंत्री ने कहा कि हम लोग जाति, पंथ, मजहब अथवा धर्म के आधार पर राजनीति नहीं करते, भेदभाव करके अपने राजनैतिक स्वार्थ को सिद्ध नहीं करना चाहते। हमलोग भारतीय संस्कृति में विश्वास करते हैं, भारत के मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है। भारत के सांस्कृतिक मूल्यों में विश्वास करने वाले हमारे ऋषियों और मनीषियों ने पूरे विश्व की धरा पर रहने वाले लोगों को अपने परिवार का सदस्य मानते हुए 'वसुधैव कुटुम्बकम' का संदेश पूरी दुनिया को दिया है। रक्षामंत्री ने अपने संबोधन में तीन बाद दोहराया कि 'हम लोग जाति, पंथ, धर्म और मजहब की राजनीति नहीं करते.'

एनपीआर के लिए रहें तैयार

नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) हमने नहीं बनाया बल्कि 2010 में इसे कांग्रेस ने ही बनाया था। रक्षामंत्री ने रैली में मौजूद लोगों की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि 'क्या देश की जनसंख्या का कोई रजिस्टर होना चाहिए। कि नहीं होना चाहिए?' लेकिन विपक्षी कहते हैं कि आप एनपीआर बना रहे हो और फिर एनआरसी लाओगे। फिर मुसलमानों को निकालकर देश से बाहर कर दोगे। रक्षामंत्री ने मंच से ऐलान किया और कहा कि 'भारत के मुसलमान को कोई माई का लाल चिमटे से भी नहीं छू सकता.' यदि किसी को कोई परेशान करता है तो वो (मुसलमान) शिकायत लेकर हमलोगों के पास आ सकता है। हम इंसानियत को छोड़कर कभी कोई राजनीति नहीं कर सकते। हम राजनीति केवल सरकार बनाने के लिए नहीं करते बल्कि हम देश बनाने के लिए राजनीति नहीं करते। हम इंसान के बीच नफरत पैदा करके राजनीति नहीं कर सकते।

गुमराह कर रही कांग्रेस

देश के मुसलमानों को कांग्रेस गुमराह कर रही है। दुष्प्रचार किया जा रहा है कि मुसलमानों को देश से बाहर कर दिया जाएगा। एनआरसी पर कोई चर्चा भी नहीं हुई और कांग्रेस कह रही है कि हम एनआरसी ला रहे हैं। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि यदि आपसे कोई सरकारी कर्मचारी अपना नाम पूछता है, पता पूछता है, पिता का नाम पूछता है। तो आप उसे जो भी जानकारी हो वो बता दें, किसी तरह का दबाव नहीं डाला जाएगा। किंतु एनपीआर को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। हालांकि एनआरसी को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई, बाद इसके यदि कोई सरकार, कोई देश जनसंख्या का रजिस्टर बना रहा है तो इसमें क्यों आपत्ति होनी चाहिए। हम यदि सामाजिक कल्याण की योजनाओं का लाभ सीधे पहुंचाना चाह रहे हैं तो क्या हमारे पास कोई डॉक्युमेंट नहंी होना चाहिए?

एनआरसी की 'चिडि़या'

मंच से कांग्रेस पर निशाना साधते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि एनआरसी की चिडि़या हम नहीं लाए। बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और असम के मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंतो के बीच एनआरसी को लेकर एक मसौदा तैयार हुआ था, जिसके बाद असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन पर समझौता हुआ। एनआरसी का दोषारोपण भाजपा पर करके देश की जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम किया जा रहा है। सीएए कानून पर स्थिति स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि यह कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में जिनका धार्मिक उत्पीड़न हुआ है, उनके लिए है। यह तीनों देश धर्म निरपेक्ष नहीं हैं बल्कि यह मुस्लिम देश हैं। भारत का धर्म हिंदू नहीं है, बल्कि भारत एक पंथ निरपेक्ष देश है। और जो देश पंथ निरपेक्ष हैं वहां धार्मिक उत्पीड़न का सवाल की खड़ा नहीं होता।

सर्वाधिक शरणार्थी दलित और गरीब

उन्होंने मंच से अपील की कि किसी भी स्थिति में जाति, पंथ, धर्म और मजहब के आधार पर तनाव न पैदा होने दें। क्योंकि विरोधी ताकतें चाहती हैं, कि तनाव पैदा करके वे अपने निजी राजनैतिक स्वार्थ पूरा करें। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक जलालत की ंिजंदगी जी रहे हैं। और इन देशों से भारत आने वाले शरणार्थी दलित हैं, कमजोर वर्ग के लोग, गरीब हैं। इन्हें नागरिकता देना भारत का धर्म है, और भारत ने अपने धर्म का पालन किया है। इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने फिर अपील की कि विरोधी ताकतें जनता को गुमराह करके देश को कमजोर करना चाहती हैं। इन्हें इनकी साजिश में कामयाब नहीं होने देना है।

Posted By: Inextlive