- लगातार बढ़ती जा रही महिला सांसदों की संख्या

- लखनऊ से पहली बार बनी थी महिला सांसद

- इस चुनाव भी आधी आबादी अपना दम

ashok.mishra@inext.co.in

LUCKNOW : 21वीं सदी में आधी आबादी अपना चुनावी जोश दिखा रही है. यही वजह है कि ज्यादातर दल अब महिलाओं को खासी संख्या में टिकट देने लगे हैं और वे भी पूरे जोश के साथ चुनाव मैदान में जीत का परचम लहराती हैं. यूपी को देश की राजनीति की दिशा तय करने वाला राज्य माना जाता है लिहाजा यहां से सांसदी का चुनाव लड़ने वाली महिलाएं राष्ट्रीय राजनीति में नये मुकाम भी तय करती रही हैं. कई सीटों पर महिला उम्मीदवारों ने लगातार चुनाव जीतकर अपने राजनैतिक कौशल का परिचय दिया है तो बतौर स्टार प्रचारक जनता के बीच भी अपनी मजबूत छवि बनाई है. कहना गलत न होगा कि आधी आबादी ने देश की सियासत में अपने अहम योगदान का जो सिलसिला वर्ष 1951 के लोकसभा चुनाव में शुरू किया था, वह लगातार जारी है.

गांधी परिवार का रहा दबदबा

लखनऊ गांधी परिवार का मजबूत किला रह चुका है. लखनऊ संसदीय सीट पर पहला चुनाव जीतकर शिवराजवती नेहरू सांसद चुनी गई थीं, जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को शिकस्त दी थी. शिवराजवती नेहरू पंडित जवाहर लाल नेहरू की चचेरी भाभी थीं. इसके बाद 1951 के लोकसभा चुनाव में पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित चुनी गई. इसके बाद तीन चुनाव यहां से शीला कौल जीती थीं, जो इंदिरा गांधी की मामी थीं. हालांकि इसके बाद लंबे समय तक लखनऊ सीट पर किसी महिला उम्मीदवार का कब्जा नहीं हो सकता पर बाकी प्रदेश की कई सीटों पर उनका दम-खम देखने को मिलता रहा. गांधी परिवार का दबदबा रायबरेली सीट पर कायम रहा और इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी ने इस सीट पर कई बार जीत हासिल की.

कई बड़े नेता भी दिए

यूपी ने देश को कई ऐसी महिला नेता भी दीं जिन्होंने लोकसभा और विधानसभा में अपने सियासी कौशल का परिचय देते हुए प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री पद तक हासिल किया. इनमें इंदिरा गांधी का नाम सबसे ऊपर है तो बसपा सुप्रीमो मायावती भी चार बार सूबे की मुख्यमंत्री बन चुकी हैं. गांधी परिवार की मेनका गांधी भी पीलीभीत सीट से कई बार चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री बन चुकी हैं. सोनिया गांधी कई सालों तक कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं तो भाजपा की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने भी यूपी से चुनाव जीतने के बाद केंद्रीय मंत्री का पद हासिल किया. वर्तमान योगी सरकार में भी उमा भारती के अलावा यूपी से चुनी गयीं महिला सांसद मेनका गांधी, निरंजन ज्योति, कृष्णा राज और अनुप्रिया पटेल केंद्र सरकार में मंत्री हैं. इतना ही नहीं, वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में दस्यु सुंदरी फूलन देवी भी सपा के टिकट पर मिर्जापुर से जीतकर सांसद बनी थीं.

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प्रचार में भी नहीं पीछे

महिला नेता अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार में भी पीछे नहीं रहती हैं. यही वजह है कि अब हर दल उनको बतौर स्टार प्रचारक भी चुनावी समर में वोटर्स को लुभाने की जिम्मेदारी दे रहा है. हालिया चुनाव में भाजपा ने तो पांच महिला सांसदों को स्टार प्रचारक बनाया है. इनमें केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, निर्मला सीतारमण, उमा भारती, स्मृति ईरानी के अलावा मथुरा से सांसद हेमा मालिनी शामिल हैं. वहीं सपा ने भी अपने स्टार प्रचारकों में डिंपल यादव के अलावा राज्यसभा सांसद एवं मशहूर अभिनेत्री जया बच्चन और ओमवती यादव को शामिल किया है. कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारकों में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, शीला दीक्षित, मीरा कुमार, कुमारी शैलजा, शोभा ओझा, विजय लक्ष्मी साधो और नगमा को शामिल किया है.

खूब चमक बिखेरते हैं सितारे

यूपी में होने वाले चुनावों में बॉलीवुड के स्टारडम की चमक भी देखने को मिलती है. जया बच्चन, हेमा मालिनी, जया प्रदा, नगमा, महिमा चौधरी, नफीसा अली, अर्चना पूरन सिंह, अमीषा पटेल, पूनम ढिल्लो, जीनत अमान, सारा खान, भाग्यश्री जैसी तमाम महिला अभिनेत्री यूपी के चुनाव प्रचार का हिस्सा बन चुकी हैं

लांघी दहलीज, बनाई पहचान

यूपी में तमाम महिला नेताओं ने घर की दहलीज लांघकर अपनी अलग पहचान भी कायम की. प्रयागराज से बसपा विधायक बनीं पूजा पाल ने अपने पति के हत्यारोपितों को चुनाव में दो बार करारी शिकस्त दी. इस बार सपा ने उनको उन्नाव से टिकट दिया है. इसी तरह कांग्रेस की अन्नू टंडन ने सियासत में कदम रखा और उन्नाव से सांसद बनीं. पिता सोनेलाल पटेल की मृत्यु के बाद उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल ने सियासत में कदम रखा तो सफलता ने भी उनके कदम चूमे. पति कृष्णानंद राय की हत्या के बाद उनकी पत्‍‌नी अलका राय ने भी इसी तरह सियासत का रुख किया और भाजपा से विधायक भी बनीं.

यूपी से महिला सांसद

वर्ष - महिला सांसद

2014- 13

2009- 12

2004- 7

1999- 9

1998- 9

1996- 9

1991- 3

1989- 6

1984- 9

1980- 7

1977- 3

1971- 0

1967- 7

1962- 6

1957- 1

1951- 3

यूपी से महिला विधायक

वर्ष महिला विधायक

2017 - 40

2012 - 35

2002 - 26

1996 - 20

1993 - 14

1991 - 10

1989 - 18

1985 - 31

1980 - 23

1977 - 11

1974 - 21

1969 - 18

1967 - 6

1962 - 20

1957 - 18

1952- 20

Posted By: Kushal Mishra