तमाम विवादों के बाद आखिरकार द फैमिली मैन सीजन 2 रिलीज हुई। फैमिली मैन के पहले सीजन ने दर्शकों का अच्छा मनोरंजन किया था। लेकिन अमूमन दूसरे सीजन में आते-आते निर्देशक कहानी के साथ न्याय नहीं कर पाते हैं। फैमिली मैन 2 को लेकर भी वह शंका थी। लेकिन राज और डीके ने पूरी तरह से दर्शकों का दिल नहीं तोड़ा है। थोड़ी कमी रही है लेकिन फिर भी सीरीज एक बार देखी जा सकती है। कहानी वहां से शुरू नहीं होती है जहाँ खत्म हुई थी। कहानी में ड्रामा ह्यूमर सस्पेंस सबकुछ है। पढ़ें पूरा रिव्यु

वेब सीरीज - द फैमिली मैन सीजन 2
निर्देशक - राज एंड डीके,सुपर्ण वर्मा
कलाकार - मनोज बाजपेयी, सामंथा,शारिब हाशमी,सीमा विश्वास,विपिन शर्मा,रविन्द्र विजय
ओटीटी - अमेज़न प्राइम वीडियो
एपिसोड - नौ
रेटिंग - तीन

क्या है कहानी
कहानी इस बार भी श्रीकांत के इर्द-गिर्द है। श्रीकांत की पत्नी श्रीकांत को कहती है कि वह आम काम करे और सुख-चैन से रहे। श्रीकांत का नया घर बन गया है, गाड़ी आ गई है। लेकिन श्रीकांत अपनी सीक्रेट एजेंट वाले जॉब को बहुत मिस करता है और उससे दूर नहीं रह पाता है। इस बार कहानी तमिलनाडु पहुंची है। पैरलल में एक कहानी चल रही है, जिसके तार श्रीलंका से होते हुए लंदन और फिर तमिलनाडु पहुंचती है। आतंकवादी इस बार भारत की शांति भांग करने के लिए तमिल रेबेलियन्स का सपोर्ट ले रहे हैं और इस बार निशाना श्रीकांत की बेटी पर भी है। अब श्रीकांत इस पूरे मामले को सुलझाते हुए क्या नए सीक्रेट सामने लाता है। कहानी में पूरे ट्विस्ट और टर्न हैं।

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क्या है अच्छा
कहानी का ट्रीटमेंट एंगेजिंग है। ह्यूमर अच्छा है। मनोज बाजपेयी का किरदार काफी मनोरंजन करता है। यह सीरीज व्यवस्था के हालातों पर सवाल खड़ा करती है। यह देश की नीतियों पर भी प्रश्न चिन्ह लगाती है। तमिलियों के साथ-साथ, कश्मीर तक के लोगों के दर्द को बयां किया गया है। यह सीरीज अनसंग हीरोज को भी सम्मान की नजर से देखती है। साथ ही पैरेंट्स और बच्चे के बीच आज के दौर में क्या चैलेन्ज हैं जो फेस करने पड़ते हैं, यह भी दिखाया गया है। सिनेमेटोग्राफी अच्छी है। रियलिस्टिक अप्रोच है। संवाद पिछले सीजन से अच्छे हैं।

क्या है बुरा
सीरीज में इस बार सबसे बड़ी खामी यह नजर आई है कि अगर दर्शक इसके तीन एपिसोड के बाद आगे नहीं बढ़ते हैं तो उन्हें यह बोरिंग लगेगी, चूँकि शुरुआत के तीन एपिसोड भूमिका बांधने में बर्बाद हुए हैं। बेवजह फैमिली पर अधिक फोकस हुआ है। कहानी में नयापन तो नहीं है। प्लॉट्स पहले भी फिल्मों में इस्तेमाल हुए हैं। बस ट्रीटमेंट देखने में मजा आया है। कहानी से जुड़ा रहस्य वैसे चौंकाता नहीं है। गालियों का इस्तेमाल अधिक हुआ है। इस बार तमिलनाडु बैकड्रॉप के कारण भाषा समझने में थोड़ी उलझन हो सकती है।

अदाकारी
इस बार की सीरीज में शारिब को निखरने का खूब मौका मिला है। शारिब का काम शानदार है। मनोज बाजपयी ने हर बार की तरह इस बार भी खूब मनोरंजन किया है। रवींद्र विजय, प्रियामणि, दलीप ताहिल, विपिन शर्मा, सनी आहूजा सभी ने अच्छा काम किया है। समथा का अभिनय भी शानदार है।

वर्डिक्ट : दर्शक देखना पसंद करेंगे, अच्छा मनोरंजन करेगी यह वेब सीरीज।

Review By: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari