- देशभर से श्रद्धालु पहुंचे दरबार साहिब, बने झंडा आरोहण के गवाह

-महंत देवेन्द्र दास महाराज की अगुआई झंडे जी का आरोहण किया गया

DEHRADUN : कई शताब्दियों से मन की मुरादें पूरी करने वाले झंडा जी लाखों श्रद्धालुओं के सैलाब के साथ एक बार फिर विश्व शांती और भाई चारे की कामना लिए आरोहित किए गए। न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश के विभिन्न प्रदेशों के साथ ही विश्वभर से पहुंचे हजारों संगत इस पावन पर्व के गवाह बने। दरबार साहिब के महंत देवेन्द्र दास महाराज की अगुआई झंडे जी का आरोहण किया गया। इसके साथ ही विश्व प्रसिद्ध झंडा मेले का भी आगाज हुआ।

सुबह से ही थी संगतों की भीड़

श्री गुरु राम राय महाराज की जयंती पर शुरू हुए इस झंडे मेले के आगाज के लिए बुधवार को सुबह से ही दरबार साहिब में संगतों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी। संगतों ने दरबार साहिब पहुंचकर महंत देवेन्द्र दास महाराज से आशीर्वाद लिया। करीब सुबह 8 बजे से कार्यक्रम शुरू हो गया था। ध्वज दंड उतारने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद ध्वज दंड को दूध, दही, घी, गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराया गया, जिसके बाद झंडे जी पर सादे गिलाफ चढ़ाए गए। इस बीच शनील के गिलाफ तैयार करवाए गए। दोपहर करीब 1 बजे के बाद शनील के गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई। करीब 20 शनील के गिलाफ श्रद्धालुओं द्वारा झंडे जी पर चढ़ाए गए। कई घंटे चली इस प्रक्रिया के बाद 3 बजे के करीब दर्शनी गिलाफ (मुख्य गिलाफ) चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई।

शाम ब्.ख्ब् बजे हुआ झंडा आरोहण

इसके बाद महंत देवेन्द्र दास महाराज ने झंडे जी की परिक्रमा पूरी की और करीब ब् बजकर ख्ब् मिनट पर उनकी अगुआई में हजारों श्रद्धालुओं के उद्घोष, शबद और कीर्तन के साथ झंडे जी का आरोहण किया गया। जैसे ही झंडे जी का आरोहण हुआ उसके बाद हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने एक दूसरे को बधाईयां दी और ढोल नंगाड़ों की थाप पर थिरकने लगे। इसके बाद प्रसाद वितरण के साथ ही सभी संगते अपने गंतव्य की ओर लौटना शुरू हो गई।

ख्म् साल बाद मिला मौका

झंडे जी पर प्रमुख रूप से दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है। हर साल सिर्फ एक को ही यह मौका मिल पाता है। इस बार यह मौका महेन्द्र राम को मिला। 7ख् वर्ष के महेन्द्र राम ने बताया कि वह मूल रूप से पोआरी गांव जिला जालंधर, पंजाब का रहने वाला है। जबकि उनके पास यूएसए का भी ग्रीन कार्ड है। पेशे से वह किसान हैं, लेकिन यूएसए आते-जाते रहते हैं। इसके अलावा उनका बड़ा बेटा कमलजीत है, जो कनाडा में रहता है। वहां उसका अपना बिजनेस है। जबकि छोटे बेटे का पंजाब में ही ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है। महेन्द्र राम दर्शनी गिलाफ चढ़ाने अपनी पूरी फैमिली के साथ पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि ख्म् साल पहले उन्होंने दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए बाकायदा आवेदन किया था। अब उनका नंबर आया है। जीवन में यह सपना भी था कि एक बार दरबार साहिब जाकर झंडे जी पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाना है। वह आज पूरी भी हो गई। अगले साल यानि ख्0क्म् में पंजाब के रोपड़ डिस्ट्रिक्ट के गांव ढगरानी के बहादुर सिंह को दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का मौका मिलेगा।

वर्ष ख्क्0ब् के लिए कराई बुकिंग

झंडे जी पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाने की कामना कई सालों बाद पूरी होती है। इसी कड़ी में वर्ष ख्क्0ब् के लिए पंजाब के रोपड़ डिस्ट्रिक्ट के भगवाला गांव के ख्ख् वर्षीय चेतन सिंह पुत्र भजन सिंह ने दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए दरबार साहिब में बुकिंग कराई। वहीं दूसरी ओर हर साल ख्0 शनील के गिलाफ भी चढ़ाए जाते हैं। इसके लिए भी ख्0 लोगों को मौका मिलता है। यह प्रक्रिया भी एडवांस आवेदन के जरिए पूरी होती है। वर्ष ख्0फ्8 के लिए शलीन गिलाफ चढ़ाने के लिए हरजीत सिंह पुत्र गुरमीत सिंह, भरतगढ़, डिस्ट्रिक्ट रोपड़ (पंजाब) ने बुकिंग कराई है।

फ्भ्0 साल से चल रहा है लंगर

करीब फ्भ्0 वर्ष पहले श्री गुरु राम राय ने दरबार साहिब में लंगर व्यवस्था शुरू की थी, जो आज भी चल रही है। इस लंगर में हर रोज दो समय का खाना बनता है, जिसमें गरीब से लेकर अमीर तक सभी भरपेट भोजन करते हैं। जबकि दूसरी ओर सुरमा प्रसाद का भी यहां आज तक प्रचलन है। मान्यता है कि यह सुरमा प्रसाद आयुर्वेदिक तरीके से बनाया जाता है। आंखों मे लगाये जाने वाला यह सुरमा शुभ माना जाता है।

Posted By: Inextlive