- अप्रैल में पकड़ी गई फर्जी मार्कशीट्स में दो की होगी जांच

- 2005 व 2006 में बनी हैं मार्कशीट्स, रिकार्ड में नहीं था सीरियल नंबर

LUCKNOW:

एलयू फर्जी मार्कशीट में शामिल गिरोह का पता लगाने के लिए सभी फर्जी मार्कशीट की फॉरेंसिक जांच कराएगा। पुलिस द्वारा पकड़ी गई दो फर्जी मार्कशीट को फॉरेंसिक लैब भेजकर उस पर किए गए साइन और उस समय जारी की गई बाकी मार्कशीट पर किए गए साइन का मिलान किया जाएगा। ज्ञात हो कि इस पूरे मामले में एलयू के पांच अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। जिनके नाम सामने आए हैं, उनमें से अधिकतर अब रिटायर हो चुके हैं।

दो मार्कशीट की जांच

बीते 17 अप्रैल को फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह को पुलिस ने पकड़ा था। इनके पास से 14 मार्कशीट और दो टैबुलेशन चार्ट मिले थे। इन मार्कशीट की जब जांच की गई तो, पता चला कि 14 में से सिर्फ दो मार्कशीट ही नकली हैं। यह दोनों मार्कशीट 2005-2006 के बीच बनी हैं। इन पर भी उन्हीं अधिकारियों के साइन बने हैं जिनके बाकी मार्कशीट पर हैं। इसलिए इन दोनों फर्जी मार्कशीट की फॉरेंसिक जांच कराने का निर्णय लिया गया है। जांच टीम के अधिकारियों का कहना है कि 2005 और 2006 में जारी की गई दोनों मार्कशीट का जब एलयू के रिकार्ड से मिलान किया गया तो इन पर दर्ज सीरियल नंबर एलयू के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाए।

कई पूर्व अधिकारियों के नाम

जांच अधिकारी के अनुसार अनौपचारिक तौर पर हाथ से लिखी डिग्री होने के कारण विभागीय बाबू मुकेशधर दुबे ने लिखने की बात कबूली लेकिन अब बयान देने से बचने के लिए दूसरी बार कोर्ट से जमानत लिए है। पुलिस उनके बयान दर्ज कराने का इंतजार कर रही है। पुलिस सूत्रों की मानें तो फर्जी मार्कशीट के मामले में गिरोह की सभी कडि़यों को जोड़ लिया है और जल्द ही इसमें बड़ा खुलासा हो सकता है। जिसमें कई बड़े नामों के सामने आने की संभावना है। डिग्री बनाने के लिए जिन लोगों ने साइन किए हैं, उसमें पूर्व परीक्षा नियंत्रक सहित विभागाध्यक्ष, कर्मचारी और पूर्व डिप्टी रजिस्ट्रार शामिल हैं। फिलहाल इसमें अब अधिकारी स्वयं को बचाने में लगे हैं। इसमें पूर्व डिप्टी रजिस्ट्रार इस समय ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी यूनिवर्सिटी में डिप्टी रजिस्ट्रार पद पर हैं। उन्होंने भी पहले ही अग्रिम जमानत ले ली है।

Posted By: Inextlive