- वीसी के रिलीविंग लेटर को नहीं किया एक्सेप्ट, शासन तक पहुंची बात

- रजिस्ट्रार का आरोप फाइलों को गायब करने की ताक में लगे हैं वीसी

Meerut: वीसी ने रजिस्ट्रार को उनके कार्य से मुक्त करते हुए उनको रिलीविंग लेटर भी जारी कर दिया। साथ ही रजिस्ट्रार की सीट पर सीनियर अधिकारी को बैठा दिया। जिसको लेकर मामला और गर्मा गया। रजिस्ट्रार ने साफ कहा कि उनकी नियुक्ति ऊपर से हुई है। सरकार चाहेगी तो जाएंगे, वरना यहां कोई उनको उनके पद से नहीं हटा सकता। साथ ही वीसी और उनके कुछ अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी की फाइलें गायब कराने का भी आरोप लगाया। वहीं ईसी की मीटिंग में लिए गए निर्णयों पर भी उनके साइन गायब कर दूसरे अधिकारी के साइन दर्ज करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी।

यूनिवर्सिटी में हो रहा बड़ा खेल

यूनिवर्सिटी की पोल खोलते हुए रजिस्ट्रार ने कहा कि यहां सिविल इंजीनियर इलेक्ट्रिक का काम देखता है और इलेक्ट्रिक जेई सिविल का काम देख रहा है। जबकि इसके लिए करोड़ों का टेंडर दिया गया है। वहीं यूनिवर्सिटी ने आजतक किसी भी टेंडर को सार्वजनिक नहीं किया। जबकि टेंडर को नियम विरुद्ध चलाया जा रहा है। जब भी टेंडर को लेकर बात की गई तभी उसका विरोध किया गया। जबकि सभी टेंडर के सार्वजनिक करके उनको निकाला जाए। बार कोड से लेकर एग्जाम रिजल्ट तक के मामलों में घपले बाजी हो रही है। आजतक किसी भी कंपनी का रीटेंडर नहीं किया गया। हरियाणा की ब्लैक लिस्टेड कंपनी और कानपुर यूनिवर्सिटी से निकाली गई कंपनी को यहां जगह दी जा रही है।

ईसी की मीटिंग का पंगा

रजिस्ट्रार का कहना है कि एज रजिस्ट्रार तो मैं हूं ही, मुझे हटाने के अधिकार इनके पास नहीं हैं। मुझे गवर्नर ने अपांइट किया था। सरकार चाहे तो हटूंगा, इनके हटाने से नहीं हटूंगा। इस दौरान सामने आई क्8 तारीख की ईसी की मीटिंग में भी वीसी द्वारा किए गए खेल पर उंगली उठाते हुए कहा कि उन्होंने इस मीटिंग के दौरान लिए गए निर्णयों पर बनी रिपोर्ट पर मेरे और वीसी के साइन थे। ईसी की मीटिंग में चेयरमैन वीसी होते हैं और सेक्रेटरी के रूप में रजिस्ट्रार होता है। क्8 तारीख को ही ईसी की मीटिंग की प्रोसेडिंग मैने ही रिसीव कराई थी। अब इन लोगों ने दुबारा रिपोर्ट तैयार कर उससे मेरे साइन ही गायब कर दिए। साथ ही डीआर हरिश्चंद्र के साइन करा रखे हैं। जबकि उस मीटिंग में हाईकोर्ट के न्यायधीश भी शमिल थे।

मांगी फाइलें

रजिस्ट्रार ने अपनी करीब एक दर्जन फाइलें एफसी से मांगी हैं। उनको डर है कि उनकी ये फाइलें गायब की जा सकती है। ऐसे में रजिस्ट्रार ने तुरंत इन फाइलों को उनको देने के लिए लेटर लिखा है। रजिस्ट्रार ने वीसी के द्वारा भेजे जा रहे नोटिस को रिसीव नहीं करते हुए चेतावनी दी कि अगर आगे से कुछ और किया गया तो प्रशासनिक कार्रवाई का सहारा लिया जाएगा। उनकी सीट पर बैठने का किसी को अधिकार नहीं है। वे जब तक यहां हैं रजिस्ट्रार हैं। शासन को भेजी गई वीसी की रिपोर्ट पर उनका कहना है कि इस बारे में वह कुछ नहीं कह सकते। वह शासन का काम है, आगे क्या होता है।

रिटायर्ड प्रोफेसर को विदेश घूमने का पैसा

रजिस्ट्रार और वीसी के बीच चल रही लड़ाई में एक-एक करके घोटालों और घपलों की पोल खुलती जा रही है। जिसमें एफसी पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। जो खुद ही बिल बनाते हैं और पास भी खुद ही करते हैं। वहीं एक रिटायर्ड प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी की ओर से साढ़े तीन लाख रुपए विदेश यात्रा के लिए दिए गए हैं। जबकि यूनिवर्सिटी के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वह किसी रिटायर प्रोफेसर को विदेश जाने के लिए सहायता राशि प्रदान करे। वो भी यूनिवर्सिटी फंड से। ऐसे में यूनिवर्सिटी कई नियुक्तियों, कंपनी टेंडर और अन्य मामलों में फंसती नजर आ रही है।

Posted By: Inextlive