- प्राइवेट डॉक्टर्स और आमजन की इंसानियत जागी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग पड़ा है सुस्त

- शहर में 24 चिकित्सा कैंप और 24 घंटे व 24 जगह एंबुलेंस के इंतजाम का किया था दावा

Meerut : कांवड़ मेले को लेकर यूं तो स्वास्थ्य विभाग ने लंबा चौड़ा प्लान बनाया है। शहर में कांवडि़यों की सेवा में 24 घंटे तैयार रहने के दावे भी स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। हकीकत में तो स्वास्थ्य विभाग केवल कागजों पर ही कांवडि़यों की सेवा कर रहा है। शहरभर में न तो कांवडि़यों की सेवा के नाम पर न तो कोई चिकित्सा कैंप मिला है और न ही सेवा के नाम पर एक भी एंबुलेंस है।

नहीं है एक भी चिकित्सा कैंप

यूं तो स्वास्थ्य विभाग ने मेरठ में लगभग 24 स्थानों पर चिकित्सा कैंप लगाकर कांवडि़यों की सेवा का दावा किया था। लेकिन यह सब केवल कागजों तक ही सीमित होकर रह गया है। छह अगस्त की शाम तक कांवडि़यों की लगातार बढ़ती संख्या के बाद भी कांवडि़यों के लिए किसी स्वास्थ्य सेवा का इंतजाम नहीं है। शहर में दिल्ली रोड, परतापुर, कंपनी बाग, केसरगंज चौकी, पल्लवपुरम आदि जगहों पर हकीकत जानने के लिए जब आई नेक्स्ट ने कैंपों का निरीक्षण करना चाहा तो कैंप तो छोडि़ए कोई फ‌र्स्ट एड करने वाला तक नहीं मिला।

व्यवस्था का दावा फेल

शहर में 24 स्थान पर लगाए गए कैंपों में स्वास्थ्य विभाग ने लगातार एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करवाने का भी दावा किया था, लेकिन शहर में कांवड़ मार्ग के किसी कोने पर भी एक भी एंबुलेंस देखने को नहीं मिली। कांवडि़यों की सेवा में न तो स्वास्थ्य विभाग की कोई एंबुलेंस दिखी न कोई एंबुलेंस का नंबर उठा है, जबकि स्वास्थ्य विभाग ने दस एंबुलेंस लगाने का निर्णय लिया। इन एंबुलेंस में तीन सदस्यों की टीम लगाने का फैसला किया गया था। लेकिन शहरभर में ढूंढने भर को एक भी एंबुलेंस नहीं मिली।

शहर के 47 प्राइवेट हॉस्पिटल भी सुस्त

शहर में सरकारी अस्पतालों के अलावा लगभग 47 प्राइवेट हॉस्पिटल में भी अलग से कांवडि़यों की सेवा के लिए एंबुलेंस, रिजर्व बेड और स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधाओं के दावे भी स्वास्थ्य विभाग ने किए, लेकिन हकीकत में तो शहरभर में एक भी प्राइवेट हॉस्पिटल कांवडि़यों की सेवा के लिए तैयार नहीं हैं।

बेड है बहुत कम

प्यारे लाल जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बनाए गए कांवड़ वार्ड में केवल दस ही बेड के इंतजाम किए गए हैं, जबकि विभाग की ओर से अधिक बेड के इंतजाम करने की बात कहीं थी। वहीं मेडिकल में तो भी दवाओं की कमी है। कांवडि़यों को सही से दवा तक नहीं मिल पा रही है।

क्या किए थे दावे

- जनपद में 17 ग्रामीण इलाकों में और सात शहरी इलाकों में स्वास्थ्य शिविर लगाएं जाएंगे, जिनमें 50 से अधिक डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाई गई है। जो 24 घंटे कांवडि़यों की सेवा में होंगे।

- जनपद में कैंपों में व कांवड़ मार्ग पर 24 घंटे भ्रमण करती एंबुलेंस कांवडि़यों के लिए मौजूद होंगी।

- शहर में 47 प्राइवेट हॉस्पिटल में अलग से बेड की व्यवस्था की जाएगी।

- शहर के सरकारी अस्पतालों में कांवडि़यों के लिए एक वार्ड होगा, जिनमें दवाओं की व्यवस्था होगी। वार्ड में 24 घंटे डॉक्टर्स की टीम मौजूद होगी।

- कंट्रोल रूम में पैरामेडिकल स्टाफ, चिकित्सक विभाग स्टाफ व अन्य डॉक्टर्स की टीम 24 घंटे मौजूद रहेंगी।

अब तक पांच कांवडि़ये इमरजेंसी में

- गुड़गांव के जय सिंह कांवड़ लेकर वापस लौट रहे थे। रोडवेज पर अचानक उनको हार्टअटैक हो गया। जय सिंह को जब इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया तो वहां से उसे सुविधाओं की कमी के चलते मेडिकल रेफर कर दिया गया।

- कुरुक्षेत्र की सूर्या अपने बेटे के साथ कांवड़ लेकर मेरठ रूड़की रोड पर पहुंची थी। शुक्रवार को सुबह उन्हें तेज बुखार आया और वह बेहोश होकर गिर गई। उन्हें जिला अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती करवाया गया है।

- दिल्ली का निखिल जिला अस्पताल में तीन दिन से भर्ती है उसके पेट में अचानक से दर्द होने के कारण उसे अस्पताल में लाया गया है। अस्पताल में उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

- रवि व विशाल का सात अगस्त को एक्सीडेंट हो गया था। दोनों को एंबुलेंस के माध्यम से मंगलपुर से लाया गया था।

आमजन चला रहे कैंप

एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा, वहीं आम जन इंसानियत दिखा रहे हैं। शहर में कई जगह लोगों ने अपना निजी कैंप लगाया हुआ है।

1- दिल्ली रोड पर मंजू नाम की महिला ने अपना निजी कैंप लगाया हुआ है, जिसमें वह कांवडि़यों की मलहम पट्टी व दवाएं लेकर बैठी हैं।

2- दिल्ली रोड पर ही सब्जी मंडी के सामने डॉ। प्रदीप बंसल ने अपना निजी हेल्थ कैंप लगाया है।

3- एचआरएस चौक के पास अर्पित शर्मा ने अपने परिवार के साथ मिलकर एक हेल्थ कैंप लगाया है।

हमें नहीं मिला कैंप

मैं तो रूड़की रोड से देखता हुआ केसर गंज तक आ गया हूं। मेरे दोस्त रवि को पैर में चोट लगी थी, लेकिन हमें तो कोई भी चिकित्सा कैंप नहीं दिखा।

जितेंद्र

मुझे बुखार की दवा की जरुरत थी, लेकिन कहीं भी कैंप नहीं दिखा। एक जगह कैंप का बैनर लगा हुआ दिखा था, लेकिन वहां कोई दवा देने वाला नहीं था।

अनिल

मैंने पूरे रास्ते में कहीं भी एक डॉक्टर तक नहीं देखा और तो और एक एंबुलेंस तक देखने को नही मिली है।

रैना सिंह

हमने तो रूड़की रोड से पहले ही एक कैंप देखा था। इसके अलावा दिल्ली रोड तक कहीं भी कैंप नहीं दिखा है।

धमेंद्र

मुझे एक दो जगह हेल्थ कैंप तो मिले थे, लेकिन वो स्वास्थ्य विभाग के नहीं थे। बल्कि लोगों ने अपने निजी लगाए हुए थे।

तारा चंद

मेरा भाई भी मेरे साथ कांवड़ लेकर आया है, रास्ते उसको बुखार की दवा चाहिए थी, लेकिन पूरे रास्ते उसे दवा नहीं मिली।

शशांक

Posted By: Inextlive