पिछले साल नवंबर लास्ट से शुरू हुआ था रेल पटरियां चटकने के कारण हादसों का दौर

इस साल भी एक-दो हादसों के साथ शुरूआत हो चुकी है, हादसों को लेकर यात्रियों के मन में बैठा डर

ALLAHABAD: कड़ाके की ठंड, बर्फीली हवाओं और कोहरे की मार के साथ ट्रेन हादसों का दौर शुरू हो चुका है। शुक्रवार की भोर में चित्रकूट में हुआ रेल हादसा मौसम के बदलाव के साथ रेल पटरियों की ट्रैकिंग में बरती जा रही लापरवाही का प्रत्यक्ष उदाहरण है। क्योंकि जिस स्थान पर रेल हादसा हुआ वहां रेल पटरी टूटी हुई थी, लेकिन रेल पटरी ट्रेन डिरेलमेंट के पहले टूटी या बाद में ये जांच का विषय है। इस दौरान एक बात तो तय है कि आए दिन हो रहे हादसों की वजह से पैसेंजर्स के मन में डर समा चुका है।

पहले भी हो चुके हैं रेल हादसे

रेल पटरी टूटने और चटकने की वजह से पहले भी रेल हादसे हो चुके हैं। अगस्त में मुजफ्फरनगर के खतौली और औरैया में हुए रेल हादसे के बाद एनसीआर में रेल पटरियों की मरम्मत और निरीक्षण बढ़ाने की बात कही गई थी। इसके बाद भी शुक्रवार भोर में मानिकपुर में वास्को-पटना एक्सप्रेस दुर्घटना की शिकार हो गई। इसके बाद अब रेलवे की ट्रैक मरम्मत व्यवस्था व ट्रैक निरीक्षण व्यवस्था पर ही सवाल खड़ा हो गया है।

सुरक्षा की गारंटी नहीं दे पा रहा रेलवे

एक तरफ ट्रेनों की लेटलतीफी कम नहीं हो पा रही है। 70 प्रतिशत ट्रेनें निर्धारित समय से घंटों लेट चल रही हैं। दूसरी तरफ सुपरफास्ट, राजधानी के साथ ही अन्य सेगमेंट का पूरा किराया लेने के बाद भी रेलवे पैसेंजर्स को सुरक्षा की गारंटी मुहैया नहीं करा पा रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने शनिवार को इलाहाबाद जंक्शन पर ट्रेन से उतरे और ट्रेन के इंतजार में बैठे कुछ पैसेंजर्स से बातचीत की तो उन्होंने खुल कर अपनी बात रखी।

आए दिन होने वाले रेल हादसे दिल दहला देते हैं। इसकी वजह से जब कोई अपना ट्रेन से सफर पर निकलता है तो तब तक डर लगा रहता है जब तक कि वह सुरक्षित अपने डेस्टिनेशन तक पहुंच न जाए। छह से सात घंटे लेट जयपुर इलाहाबाद एक्सप्रेस के इलाहाबाद पहुंचने पर पता चला कि मानिकपुर में हादसा हुआ है। रेलवे को पब्लिक की परेशानी से कोई वास्ता नहीं है। अधिकारी तो बस केवल अपनी मस्ती में चूर हैं।

अशोक कुमार कुलश्रेष्ठ

निवासी गोविंदपुर

जयपुर एक्सप्रेस को सुबह छह बजे तक इलाहाबाद जंक्शन पहुंच जाना चाहिए था। लेकिन ट्रेन घंटों लेट हुई। आउटर पर करीब दो घंटे के लिए ट्रेन रोक दी गई। किराया तो सुपरफास्ट का लिया जा रहा है, लेकिन ट्रेन बैलगाड़ी की चाल चलती है। पंक्चुअलिटी में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है।

मीरा कुलश्रेष्ठ

एक-दो दिन बाद मुझे भिलाई स्थित अपने घर जाना है। टिकट बनवाने आई हूं। लेकिन रेल हादसों की वजह से डर लगने लगा है कि सफर करूं कि ना करूं।

कामिनी केसरवानी

अब आदमी के जान की कोई कीमत ही नहीं रह गई है। बस से सफर करें तो एक्सीडेंट का खतरा है। ट्रेन से सफर करें तो ट्रेन पलट सकती है। अब समझ में नहीं आ रहा है कि लोग सफर करें तो कैसे करें।

नीलिमा

पिछले साल हुए बड़े रेल हादसे

19 अगस्त 2017

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में खतौली के पास पूरी से हरिद्वार जा रही कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस की 14 बोगियां पटरी से उतर गई थी। इसमें 23 लोगों की मौत हो गई थी। 74 लोग घायल हुए थे।

23 अगस्त 2017

उत्तर प्रदेश के औरैया के पास डंफर से टकराकर डिरेल हुई थी कैफियात एक्सप्रेस। कई यात्री हो गए थे घायल।

Posted By: Inextlive