ग्राफ़िक एनिमेशन में जो टेक्निक इस्तेमाल की जाती हैं भाव भंगिमाएं मैच की जाती है किरदार एनिमेटेड लगते है और बातें करते हैं तो एक्सप्रेशंस भी दिखते हैं। यहाँ ऐसा नहीं है एनिमेटेड कैरेक्टर्स इतने रियल है कि डाइलोग बोलते हुए अजीब लगते हैं।


लायन किंग मेरी बचपन की फ़ेवरिट याद है, इसको भूला नहीं जा सकता, एक तो फ़िल्म मैजिक है ऊपर से उस फिल्म्स से इंस्पिरेशन लेकर कितनी ही और फिल्म्स बनी हैं बाहुबली टाइप्स, इस हफ्ते आई है लाइव एक्शन लायन किंग। आइये बताते हैं वो कैसी है।कहानी :पुरानी लायन किंग जैसी ही हैसमीक्षा :


एक बात तो माननी पड़ेगी की इतना रियल दिखने वाला एनीमेशन मैंने आज तक और किसी फ़िल्म में नहीं देखा। लगता ही नहीं कि एनिमेशन है, और यही एक तरह से फ़िल्म की परेशानी भी है, जानवर इतने रियल लगते हैं जैसे लगता है डॉक्यूमेंट्री हो डिस्कवरी की। इसी वजह से जब जानवर संवाद बोलने लगते हैं थोड़ा अजीब सा लगता है। ग्राफ़िक एनिमेशन में जो टेक्निक इस्तेमाल की जाती हैं, भाव भंगिमाएं मैच की जाती है, किरदार एनिमेटेड लगते है और बातें करते हैं तो एक्सप्रेशंस भी दिखते हैं। यहाँ ऐसा नहीं है, एनिमेटेड कैरेक्टर्स इतने रियल है कि डाइलोग बोलते हुए अजीब लगते हैं। फ़िल्म का वी एफ एक्स बहुत ही अच्छा है, जैसा कि मैंने कहा ऑलमोस्ट रियल, प्लस फ़िल्म का गीत संगीत भी बढ़िया से रे मास्टर किया गया है। म्यूजिक एनहान्स हो गया है, ऐसा मान लीजिए।

कुलमिलाकर ये जॉन फेवरू की लास्ट फ़िल्म जंगल बुक जैसी mindblowing नहीं है, ये फ़िल्म अपने हैवी एनिमेशन में कहीं खो सी गई है पर फिर भी ज़बरदस्त एनीमेशन के लिए देख सकते हैं लायन किंग।Review by: Yohaann Bhaargava

Posted By: Mukul Kumar