- सहालग के सीजन में भी बाजार में छाया सन्नाटा

- कपड़ा, बर्तन, किराना, सर्राफा और गल्ला बाजार में आधा से भी कम हुआ कारोबार

- गल्ला मंडी पर दोहरी मार, शुरू होगी सरकारी अनाज की कालाबाजारी

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KANPUR:

अप्रैल में बारिश से हुई बदहाली अब खेतों और गांवों से निकल कर शहर में पहुंच गई है। शहर के थोक बाजारों पर इसका असर साफ देखा जा सकता है। फसल बेचने से किसान को होने वाली आमदनी ही मई, जून के महीनों में बाजारों में होने वाले कारोबार को तय करती है। अब जब किसान की फसल बर्बाद है तो बाजार आबाद कैसे रह सकता है। गांव की इस बिगड़ी इकोनॉमी ने शहर के बड़े बाजारों में कारोबार को भी बर्बाद कर दिया है। कानपुर के थोक बाजारों पर इसका असर साफ देखा जा सकता है। व्यापारी खुद कह रहे हैं कि छोटे शहरों से ग्राहक नहीं आ रहे हैं। सहालग के सीजन में भी कारोबार पिछले साल के मुकाबले आधे से भी कम रह गया है। आई नेक्स्ट ने सिटी के प्रमुख बाजारों का हाल जाना तब यह स्पष्ट हो गया कि बेमौसम बारिश इस बार खेत से लेकर बाजार तक बर्बादी के रूप में बरसी है।

किसान के नुकसान ने कैसे बर्बाद िकया बाजार

शहर में नयागंज, नौघड़ा, चौक, कलक्टरगंज, हटिया, एक्सप्रेस रोड, हूलागंज, बिरहाना रोड में ही सारे थोक बाजार स्थित हैं। यहां पर रोजाना आसपास के शहरों से हजारों छोटे व्यापारी और खरीदार आते हैं। अप्रैल, मई, जून के महीनों में ही गांवों में फसले कटती हैं। जिससे किसानों की आमदनी होती है। इसी आमदनी से वह खर्चा करता था। गांवों में ज्यादातर वैवाहिक कार्यक्रम गर्मियों में ही होते हैं। इस वजह से शहर के थोक बाजारों में भी इसी दौरान सबसे ज्यादा कारोबार होता है। अप्रैल महीने में तैयार फसल कटने से पहले बारिश से जो नुकसान हुआ है। उसका सबसे ज्यादा असर कानपुर के आसपास के जिलों पर पड़ा है। ज्यादातर किसानों की फसलें या तो पूरी तरह से या फिर आंशिक तौर पर बर्बाद हो चुकी है। ऐसे में किसान से जुड़ी सारी इकोनॉमी तहस नहस हो गई है। जिसका सीधा असर शहर के थोक बाजारों पर भी पड़ा है।

बारिश ने बिगाड़ दी बाजार की इकोनॉमी

कानपुर के मार्केट में आसपास के फर्रुखाबाद, कन्नौज, मैनपुरी, हमीरपुर, बांदा, उरई, जालौन, झांसी, औरेया, इटावा, फतेहपुर, उन्नाव, हरदोई, रायबरेली समेत करीब 30 जिलों से व्यापारी और ग्राहक खरीददारी करने आते हैं। कानपुर में किराना, गल्ला, तिलहन, दलहन, बर्तन, इलेक्ट्रानिक्स, आटो पा‌र्ट्स, शक्कर, कपड़ा, मसाले, रेडीमेड का बड़ा थोक बाजार है। पूर्वी यूपी के 20 और यूपी से लगे करीब बिहार के दस जिलों के व्यापारी कानपुर से ही होलसेल में सामान लेते हैं। चूंकि इन सभी जिलों में मुख्य काम खेती का ही है, इसलिए बुरी तरह से व्यापार प्रभावित हुआ है। हालत ये है कि सहालग तक लोग टाल रहे हैं।

सहालग में सर्राफा बाजार सन्नाटे में

कानपुर महानगर सर्राफा एसोसिएशन के महामंत्री पंकज अरोड़ा बताते हैं कि गर्मियों में मई, जून उसके बाद दीवाली के आस पास ही सबसे ज्यादा खरीददारी होती है। जिसमें आसपास के शहरों से छोटे व्यापारी और ग्राहक आते हैं। मई, जून में तो वैसे भी सहालग होती है। इस बार भी है, लेकिन बारिश से किसानों को हुए नुकसान का सीधा असर व्यापार पर पड़ा है। इस बार सर्राफा बाजार में कारोबार आधा हो गया है। बाहर से ग्राहक आ ही नहीं रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा नुकसान छोटे सर्राफा व्यापारियों को हो रहा है। जिनके यहां हल्की ज्वैलरी की सबसे ज्यादा खरीदारी होती है। पिछले साल के मुकाबले इस बार रोजाना 2.50 से 3 करोड़ रुपए का ही कारोबार हाे रहा है। बर्तन और कपड़ा बाजार में भी आधा हो गया कारोबार

हटिया के बर्तन बाजार और नौघड़ा में कपड़ा कारोबार का रोज करोड़ों का टर्नओवर है। कपड़ा कारोबारी अनिल अग्रवाल बताते हैं कि सहालग में शहर के ग्राहकों से ज्यादा आसपास के शहरों से छोटे व्यापारी और ग्राहक आते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। कारोबार पिछले साल जैसा नहीं है। शहर का ग्राहक तो उतना ही है, लेकिन बाहर से आने वाले ग्राहक न के बराबर है। जो व्यापारी आ भी रहे हैं तो वो उतना सामान नहीं खरीद रहे हैं। इसलिए काफी माल उधार भी देना पड़ रहा है।

शहर की प्रमुख थोक बाजारों में पिछले साल के मुकाबले इस बार प्रतिदिन कारोबार

1. कपड़ा बाजार नौघड़ा

पिछले साल मई जून में प्रतिदिन कारोबार- 10 करोड़ रुपए

इस बार मई में प्रतिदिन कारोबार- 5 से 6 करोड़ रुपए

2. बर्तन बाजार

पिछले साल मई, जून महीने में प्रतिदिन कारोबार- 5 से 6 करोड़ रुपए

इस बार मई में प्रतिदिन कारोबार- 3 से 3.50 करोड़ रुपए

3. सरार्फा बाजार

पिछले साल मई, जून महीने में प्रतिदिन कारोबार- 14 से 15 करोड़ रुपए

इस साल मई में प्रतिदिन कारोबार- 4 से 5 करोड़

4. किराना बाजार

पिछले साल मई, जून महीने में प्रतिदिन कारोबार- 7 करोड़ रुपए

इस साल मई में प्रतिदिन कारोबार- 3 से 4 करोड़ रुपए

5. गल्लामंडी, कलक्टरगंज

पिछले साल मई, जून महीने में प्रतिदिन कारोबार- 4 से 5 करोड़ रुपए

इस साल मई में प्रतिदिन कारोबार- 2 से 2.50 करोड़

गल्लामंडी का हाल भी बेहाल

थोक बाजार भाव प्रति किलो के हिसाब से पिछले साल और अब

मूंग दाल - 70 रुपए - 90 रुपए

काली उड़द - 55 रुपए - 90 रुपए

अरहर दाल - 70 रुपए - 115 रुपए

चना - 34 रुपए - 65 रुपए

मसूर- 40 रुपए - 60 रुपए

गल्ला मंडी में व्यापारियों पर दाेहरी मार

बारिश से हुए नुकसान का सबसे ज्यादा असर वैसे तो किसानों पर पड़ा है लेकिन गल्ला व्यापारियों पर तो बारिश ने दोहरी मार की है। अप्रैल मई के महीने में नया अनाज बाजार में आता है। इसलिए व्यापारी अपना सारा पुराना स्टॉक खत्म कर देते हैं और अनाज, दलहन का नया स्टॉक खरीदते हैं। सहालग के इस दौर में छोटे शहरों से भी व्यापारी आकर इनके यहां से दालें व बासमती चावल और शादी ब्यॉह में यूज किए जाने वाले अनाज खरीदते हैं, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं है। नया स्टॉक तो आया ही नहीं है और न छोटे शहरों ग्राहक खरीदारी करने आ रहे हैं। इसका सीधा असर कलक्टरगंज गल्लामंडी पर दिखाई देता है। जहां की हमेशा गुलजार रहने वाली दुकानों पर इक्का दुक्का ग्राहक ही दिखाई दे रहे हैं।

सरकारी अनाज की बढ़ेगी कालाबाजारी

गल्लामंडियों में अनाज की कमी से अब सरकारी अनाज की कालाबाजारी बढ़ना तय है। एफसीआई और सीडब्लूसी के गोदामों से पीडीएस के जरिए दिया जाने वाला अनाज कई बार कलक्टरगंज की गल्ला मंडी से पहले भी पकड़ा जा चुका है। अब जब व्यापारी नया स्टॉक नहीं खरीद सके हैं। सरकारी अनाज की कालाबाजारी बढ़ना तय है। वैसे व्यापारियों ने इससे इंकार किया है। उनका कहना है कि कमी मुख्यत: दलहन की है। चावल और गेहूं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। उसके दाम भी ज्यादा नहीं बढ़े हैं। इसके अलावा चीनी भी पहले से सस्ती हुई है।

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राजस्व में भी लगेगी 400 करोड़ की चपत

- बारिश से नुकसान के चलते इस साल ट्रेड टैक्स विभाग को होगी राजस्व हानि

- बाजारों में बिक्री कम होने से टैक्स बनेगा कम

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KANPUR। बेमौसम बारिश ने सबको रुलाया है। न सिर्फ फसल बल्कि कारोबार भी बुरी तरह से चौपट हुआ है। ट्रेड टैक्स विभाग के अनुसार इस बार करीब ब्00 करोड़ रुपये की राजस्व हानि होने का अनुमान है। दरअसल खरीददारी पर लगने वाला वैट ट्रैड टैक्स डिपार्टमेंट के रेवेन्यू का बड़ा सोर्स है। वहीं जब किसानों के पास पैसा ही नहीं है तो वो खरीददारी कैसे करेंगे। जिसका नतीजा ये है कि ट्रेड टैक्स विभाग का राजस्व इस साल कम हो रहा है।

फ्0 फीसदी रेवेन्यू लॉस

ट्रेड टैक्स अधिकारियों के मुताबिक पिछले साल अप्रैल से सितंबर तक के समय और इस साल में करीब फ्0 प्रतिशत तक राजस्व कम मिलने की उम्मीद है। जिसका सीधा सा कारण है कि किसानों के पास पैसा नहीं है। एडीशनल कमिश्नर ट्रेड टैक्स वीके राय ने बताया कि इस बार करीब फ्0 प्रतिशत राजस्व कम मिलने की उम्मीद है। कानपुर जिले के शहरी इलाकों से ज्यादा स्थिति ग्रामीण इलाकों की खराब है।

क्फ्भ्0 करोड़ रुपए हुई थी राजस्व वसूली

पिछले साल गर्मियों में अप्रैल माह से सितंबर माह के बीच करीब क्फ्भ्0 करोड़ रुपये का राजस्व ट्रेड टैक्स विभाग को प्राप्त हुआ था। इस समय हर माह औसतन ख्ख्भ् करोड़ रुपये का राजस्व हर माह मिलता है। पिछले साल मार्च व अप्रैल में ब्भ्0 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। जबकि इस बार स्थिति उलट है। पिछले दो माह में फ्क्भ् करोड़ रुपये की राजस्व वसूली हुई है। अब अगर इन दो माह के हिसाब से ही टैक्स की गणना करें तो अप्रैल से सितंबर माह तक 9ब्भ् करोड़ रुपए का राजस्व ही प्राप्त होगा। यानी की इस हिसाब से देखा जाए तो करीब ब्00 करोड़ रुपये का राजस्व पिछले साल की अपेक्षा कम प्राप्त होगा। वहीं ट्रेड टैक्स विभाग के अधिकारियों के अनुसार आगे बिक्री और गिर सकती है। जिसके चलते राजस्व और भी कम होगा लेकिन अभी इसका अनुमान लगा पाना संभव नहीं है।

टैक्स फ्री वस्तुओं को दायरे में लाकर करेंगे भरपाई

ट्रेड टैक्स विभाग कई टैक्स फ्री वस्तुओं को टैक्स के दायरे में लाने की तैयारी कर रहा है। दरअसल इस बार व्यापारियों का रिटर्न भी कम ही आने की उम्मीद है। ट्रेड टैक्स विभाग की टीमों ने पूरे प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर जाकर खरीद केंद्रों की स्थिति देखी तो पाया कि सन्नाटा फैला हुआ है। विभागीय स्तर पर तैयारी चल रही है कि टारगेट पूरा करने के लिए इस बार कुछ टैक्स फ्री वस्तुओं को मामूली टैक्स के दायरे में लाया जा सकता है।

एक नजर इधर भी

- वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में हर माह औसतन राजस्व ख्ख्भ्-ख्फ्0 करोड़ रुपए

- वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में हर माह औसत राजस्व ख्भ्0 से ख्म्0 करोड़ रुपए

- इस साल मार्च व अप्रैल दो महीनों की राजस्व वसूली फ्क्भ् करोड़ रुपए

- पिछले साल मार्च व अप्रैल में हुई राजस्व वसूली ब्भ्8 करोड़ रुपए

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कानपुर थोक बाजार का गढ़ है। पूर्वी यूपी व बिहार के कुछ जिलों के व्यापारी यहां से माल खरीदकर वहां बेचते हैं। इन जिलों में मुख्य काम खेती का ही है। चूंकि इस साल बारिश से सब बेकार हो गया है इसलिए काफी असर पड़ा है। कानपुर के बाजारों में बिक्री में गिरावट आने से फ्0 प्रतिशत तक राजस्व कम आने की आशंका है।

- वीके राय, एडीश्ानल कमिश्नर, ट्रेड टैक्स

फसल बर्बाद होने के चलते किसानों के पास पैसा नहीं है। जिसका नतीजा ये है कि मार्केट भ्0 प्रतिशत से ज्यादा डाउन है। खरीददार के पास पैसे ही नहीं है तो ऐसे में बिक्री कैसे होगी।

- पंकज अरोड़ा, महामंत्री महानगर सर्राफा एसोसिएशन

सर्राफा बाजार बुरी तरह से डाउन है। मार्केट में कोई आ ही नहीं रहा है। कानपुर व आसपास के जिलों से लोग आते थे। जिनमें किसानों की अच्छी संख्या होती थी।

- मो। अयूब खान राजू भाई, जेवरात सेंटर बेकनगंज

कानपुर आसपास के ख्0 जिलों के व्यापारी यहां से ही सामान लेकर जाते थे। अब उनको ग्राहक नहीं मिल रहे तो वो भी यहां नहीं आ रहे हैं। ऐसे में सन्नाटा छाया है।

अजीत गुप्ता, चेयरमैन, महानगर सर्राफा एसोसिएशन

कानपुर में कई जिलों के लोग खरीददारी करने आते हैं। ग्रामीण इलाकों में किसान खरीददारी नहीं कर रहे हैं। जिसका नतीजा ये है कि मार्केट में बुरी तरह सन्नाटा है। वहीं जो किसान हमें माल बेचते हैं। वो भी काफी महंगा बेच रहे हैं।

-िवनोद गुप्ता, व्यापारी नेता

कपड़े के मार्केट में भी बुरी तरह से सन्नाटा है। रूरल इलाकों में माल जा ही नहीं रहा है क्योंकि वहां खरीददारी नहीं हो रही है। लगता है कि ये सीजन अब ऐसे ही जाएगा।

- मो। सलीस, कपड़ा व्यापारी

Posted By: Inextlive