LUCKNOW : कोरोना वायरस की चपेट में अधिकतर देश आ चुके हैं और इन सभी देशों में इससे बचाव के लिए लॉकडाउन किया गया है। लॉकडाउन किए गए देशों में राजधानी के भी कई लोग रहते हैं। डीजे आईनेक्स्ट ने जब इनमें से कुछ लोगों से संपर्क किया तो उन्होंने विदेश में लॉकडाउन को लेकर न सिर्फ अपने अनुभव शेयर किए बल्कि लखनवाइट्स से लॉकडाउन के नियमों को फॉलो करने की भी अपील की

यहां तो कई भी घरों से बाहर नहीं निकलता

मैं यूएसए के एरिजोना प्रांत में रहती हूं और यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना में डायरेक्टर ऑफ क्लाइंट सर्विसेज एंड स्टैटिजिक मार्केटिंग एंड कम्युनिकेशन की पोस्ट पर हूं। मैं कुछ दिन पहले मैक्सिको गई थी और वहां से आने के बाद मैंने खुद को 15 दिन के लिए क्वारंटाइन किया था। इस दौरान मेरे दोस्त जरूरत का सामान घर के बाहर रखकर चले जाते थे। यहां पिछले 25 दिनों से मैं लॉकडाउन के कारण घर पर ही हूं और ऑफिस का काम भी यहीं से कर रही हूं। यहां बहुत सख्ती है, बिना इमरजेंसी आप घरों से बाहर नहीं निकल सकते हैं। सरकार जरूरत का सामान ऑनलाइन भिजवा रही है। यहां के लोग लॉकडाउन के नियमों का पूरा पालन कर रहे हैं। मैं अपने शहर लखनऊ के लोगों से यही कहूंगी कि वे लॉकडाउन का पालन करें और सतर्क रहें। इस समय मैं इंडिया को बहुत मिस कर रही हूं।

इति अग्निहोत्री, डायरेक्टर ऑफ क्लाइंट सर्विसेज एंड स्टैटिजिक मार्केटिंग एंड कम्यूनिकेशन, एरिजोना यूनिवर्सिटी, यूएसए

रात में पूरी तरह लग जाता है कफ्र्यू

दुबई की एक कंपनी में काम करता हूं। यहां ऑफिस की टाइमिंग सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक है। इस दौरान हमें सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखना पड़ता है। मैं पूरी दिन ऑफिस में रहता हूं और एक वक्त का खाना भी वहां दिया जाता है। शाम को ऑफिस से निकलता हूं तो जरूरी चीजें लेकर घर आता हूं। इसके बाद सुबह 8 बजे तक सभी को घरों में ही रहना पड़ता है। नमाज भी आप घर या ऑफिस में ही पढ़ सकते हैं। सोशल गैदरिंग पर पूरी तरह रोक यहां लगा दी गई है। लॉकडाउन के दौरान अगर इमरजेंसी है तो आप पुलिस को कॉल कर मदद ले सकते हैं। मेरा परिवार डालीगंज में लकड़मंडी के पास रहता है। उनकी मुझे बहुत याद आ रही है।

मो। अशीम, जॉब, दुबई

खाना बनाना और जूडो प्रैक्टिस से कट रहा टाइम

लंदन में भी लॉकडाउन चल रहा है और सभी अपने घरों में कैद हैं। मैं यहां हार्टफोर्डशायर से ग्रेजुएशन इन इंटरनेशनल रिलेशनशिप एवं पॉलिटिक्स का कोर्स कर रही हूं। यहां एग्जाम के चलते रुक गई थी। अब तो फ्लाइट्स और यूनिवर्सिटी बंद हो गई है। एक माह से घर के बाहर नहीं निकली हूं। घर पर ही पढ़ाई कर रही हूं और जूडो की प्रैक्टिस कर रही हूं। यह खेल मुझे माता-पिता से विरासत में मिला है। खाना भी अब मैं खुद बना रही हूं। खाने-पीने का सामान यहां मिल जाता है लेकिन अकेले रहना खल रहा है। घरवालों से रोज कई घंटे बात करती हूं और उनके साथ ऑनलाइन लूडो भी खेलती हूं। यहां सभी आइटम ऑनलाइन लोगों के घरों तक पहुंच रहे हैं और सिक्योरिटी काफी टाइट है। कोरोना को लेकर यहां सभी सहमे हुए हैं।

सानिया मुनव्वर, स्टूडेंट, हार्टफोर्डशायर, यूके

40 फीसद को ही बुला सकते हैं ऑफिस

मैं सउदी अरब के रियाद में बतौर इंजीनियर काम कर रहा हूं। यहां मार्च के पहले सप्ताह से ही इंटरनेशनल फ्लाइट्स बंद कर दी गई हैं। यहां साफ कह दिया गया है कि जो अपने देश इस समय जाएगा, वह कोरोना का प्रकोप पूरी तरह खत्म होने के बाद ही यहां आ सकेगा। तब तक यहां सभी लोगों के खाने-पीने और दूसरी चीजों का इंतजाम सरकार करेगी। यहां शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक कफ्र्यू लग जाता है। इसके अलावा हर ऑफिस में सिर्फ 40 फीसद कर्मचारियों को ही बुलाने का आदेश दिया गया है। बाकी को घर से ही काम करने को कहा गया है। यहां शाम को लॉकडाउन के दौरान अगर कोई बाहर मिलता है तो उस पर 10 हजार रियाल का जुर्माना लगाया जाता है। भारतीय रुपए में यह राशि दो लाख रुपए है। दूसरी बार पकड़े जाने पर यह जुर्माना डबल कर दिया जाता है और 20 दिन की जेल हो जाती है। अगर कोई इमरजेंसी है तो आप सरकार द्वारा जारी एप पर जानकारी भरकर ई-पास हासिल कर सकते हैं और फिर बाहर जा सकते हैं। मेरा परिवार लखनऊ में यह सीतापुर रोड हीम सीटी कॉलोनी में रहता है।

अब्दुल हशिब अंसारी, इंजीनियर रियाद, सउदी अरब

इंडिया आएंगे तो रहेंगे सेफ

लॉकडाउन की वजह से यूके के साउथ शील्ड न्यूकॉस्ल में फंसा हूं। यहां पढ़ने आया था, अब कॉलेज बंद है। रेंट देने में प्रॉब्लम हो रही है। यहां डेयरी प्रोडक्ट्स खासकर दूध की काफी समस्या है। लोग तो यहां रोड पर निकल रहे हैं लेकिन हम कमरे में ही रहते हैं। ऑनलाइन सीरीज, गेम्स खेलकर दिन बीत रहा है। कोरोना का केस जिस तरह से यहां बढ़ रहे हैं, उस हिसाब से मेडिकल सुविधाएं नहीं हैं। हर पल यही सोचता रहता हूं कि कब अपने देश जा पाऊंगा। इंडिया में हम कम से कम सेफ तो रहेंगे। कमीशन ऑफ इंडिया से बात की है, उन्होंने कहा है कि हम आपकी मदद करेंगे। आप चाहें तो यहां आकर रह सकते हैं, लेकिन लंदन यहां से 400 किमी दूर है और वहां जाने के लिए अभी कोई साधन नहीं है। हमारी भारत सरकार से अपील है कि वह हमें जल्द यहां से ले जाए।

- हर्षित मुखी, स्टूडेंट, यूके

Posted By: Inextlive