- सरकार के सालगिरह समारोह में शामिल नहीं हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री

- मनाने पहुंचे मंत्री सुरेश खन्ना बैरंग लौटे

- राजभर ने आरक्षण में श्रेणीवार विभाजन की रखी शर्त

LUCKNOW : जहां प्रदेश सरकार का एक वर्ष पूरा होने पर लोकभवन में जश्न मनाया जा रहा था, ठीक उसी वक्त प्रदेश सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर नाराज होकर अपने बंगले में ही बैठे रहे। अपनी सरकार से खफा राजभर को मनाने शहरी विकास मंत्री सुरेश खन्ना उनके बंगले पहुंचे लेकिन, वे नहीं माने। आखिरकार निराश खन्ना को बैरंग वापस लौटना पड़ा। राजभर की नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप जड़ दिये। जब पूछा गया कि एक साल के सरकार के कार्यकाल पर दस में से कितने नंबर देंगे तो उन्होंने सिर्फ तीन नंबर देते हुए सरकार को फेल करार दिया। राज्यसभा चुनाव में भी उन्होंने भाजपा के साथ न जाने की बात कही है।

सरकार कर रही केवल भाषणबाजी

राजभर से पत्रकारों ने पूछा कि आप आखिर समारोह में क्यों नहीं गए? राजभर ने कहा, 'अधिकारी मनमाने हैं और गरीब की आवाज सुनी नहीं जा रही है। यह सरकार केवल भाषणबाजी में लगी है। कल तक ये लोग सपा की सरकार को जुमलेबाज सरकार कहते थे और ये क्या किसी जुमलेबाज से कम हैं?' राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अजगरा विधायक कैलाश सोनकर समारोह में शामिल हुए थे। उनसे पूछा गया कि आपके विधायक तो गए हैं तो उन्होंने कहा कि मैंने किसी को रोका नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि अगर आपके विधायक टूटकर भाजपा में शामिल हो गए तो? राजभर ने कहा, भाजपा के लोग कुछ भी कर सकते हैं। पर, दावा किया कि 'हमें तो कोई तोड़ नहीं सकता। हमारी पार्टी नहीं तोड़ सकता.'

लगाए ताबड़तोड़ आरोप

मंत्री राजभर से पूछा गया कि कल तक आप कह रहे थे कि कोई आपको पूछ नहीं रहा और आज खन्ना जी बुलाने आए तो भी नहीं गए? राजभर ने कहा, 'खन्ना की बात क्यों सुनें? क्या ये लोग हमारी बात सुन रहे हैं। हमे निकाय चुनाव में पागल की तरह दौड़ाते रहे और चार सीट तक नहीं दिए.' कहा कि 'भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और यूपी बीजेपी प्रभारी ओम माथुर का भी फोन आया था लेकिन, हमने अपनी बात रख दी। दो टूक कह दिया कि इस सरकार में कोई अधिकारी आम जनता की बात नहीं सुन रहा है.' उन्होंने कहा कि 'गरीबों के राशन कार्ड तक इस सरकार में नहीं बन रहे हैं। सीएम तक की बात अफसर नहीं सुन रहे हैं.' इतनी दिक्कत है तो फिर सरकार क्यों नहीं छोड़ देते? इस पर उन्होंने कहा कि 'क्यों सरकार छोड़ दें? यह सरकार तो हमारे वोट से बनी है। हमारे ऊपर इनकी कोई कृपा नहीं है। जब तक ये लोग निकालेंगे नहीं तब तक रहेंगे.'

आरक्षण में हो श्रेणीवार विभाजन

राजभर ने कहा कि उन्होंने अपनी मांग रख दी है कि पिछड़ों में पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा व दलितों में दलित, अति दलित और महा दलित तीन श्रेणी बनाकर आरक्षण और उसी आधार पर नौकरियों में भर्तियां की जाएं।

पहले भी दिखा चुके हैं बगावती तेवर

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन किया। समझौते में आठ सीटें दी और राजभर की पार्टी के चार विधायक जीते। राजभर को सरकार में जब पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बनाया गया तभी से वह असंतुष्ट हो गए। उन्हें भारी भरकम विभाग की उम्मीद थी। कुछ समय बाद उनके तेवर दिखने लगे। गाजीपुर डीएम से उनकी पहली नाराजगी सार्वजनिक हुई और तब राजभर ने कहा, या तो डीएम हटेंगे या वह मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देंगे। न डीएम हटे और न ही राजभर ने इस्तीफा दिया। सीएम से बातचीत के बाद समझौता तो गया पर मौके-बे-मौके राजभर की टीस उभरती रही। निकाय चुनाव में जब राजभर ने चार नगरों के लिए टिकट मांगे और नहीं मिला तो उनके बगावती सुर दिखने लगे। करीब दो माह पहले राजभर में वाराणसी की रैली में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और तबसे यह सिलसिला जारी है।

Posted By: Inextlive