भारत में लगने वाले सबसे बड़े धार्मिक मेला कुंभ चारो ओर अपनी छटा बिखेर चुका है। शिप्रा नदी के तट पर उज्‍जैन में सिंहस्‍थ कुंभ इस समय अपने चरम पर है। इस मेले में देश -विदेश के हर कोने से लोग इसमे भाग लेते हैं जिसकी वजह से यह मेला भी रंग-बिरंगा हो जाता है। लेकिन इस मेले की जो अद्भुत बात है यहां के नागा साधुओं से होती है। नागा साधु इस मेले में आकर्षण केंद्र होते हैं। इनका संबंध शैव यानि शिव से होता है।


सैकड़ो वर्ष पुराना है नागा साधुओं का इतिहास यूं तो भारत में नागा साधुओं का इतिहास बहुत पुराना है लेकिन आज भी ये लोग एक सामान्य व्यक्ति के लिए जिज्ञासा का केंद्र हैं। हर कोई सामान्य व्यक्ति नागा साधुओं के रहस्य जरूर जानना चाहता है। ये कैसे रहते हैं। क्या खाते हैं। इनके लिए जीवन का क्या अर्थ है। ये सभी प्रश्न आमतौर पर सबके मन में उठते ही रहते हैं।बहुत कठिन होती है नागा साधुओं की ट्रेनिंग
नागा साधु बनने के लिए जो ट्रेनिंग दी जाती है वो किसी कमांडो से कम नहीं होती है। जिस तरह से मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के बाद ब्लैक बेल्ट दिया जाता है वैसे ही नागा साधुओं की ट्रेनिंग के लिए भी कई चरण होते हैं। एक चरण पास करने के बाद उसे दूसरे चरण की परीक्षा के लिए भेज दिया जाता है। जब वह परीक्षा के सभी चरणों को पास कर लेते हैं तभी उन्हें दीक्षा देकर साधु के रूप में स्थापित किया जाता है।

Posted By: Prabha Punj Mishra