- डीरेका कर्मचारी शैलेन्द्र चतुर्वेदी के suicide के बाद से गायब है उसका मोबाइल फोन, पुलिस अब तक नहीं लगा सकी पता

-घटना के बाद से हॉस्पिटल में एडमिट है पत्‍‌नी, पिता का साया छिनने के बाद मासूम बेटी को मिला पड़ोसियों का सहारा

VARANASI: बीते ख्ख् अक्टूबर को मंडुवाडीह के डीरेका जीएटी विभाग में ऑफिस असिस्टेंट शैलेन्द्र चतुर्वेदी की हुई मौत की गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रही है। शैलेन्द्र की मौत के छह दिन बीतने के बाद भी पुलिस उस फोन कॉल का अब तक पता नहीं लगा पाई है जिस कॉल के आने के बाद शैलेन्द्र ने यह कदम उठाया। पुलिस के हाथ अब तक शैलेन्द्र का फोन भी नहीं लगा है। शैलेन्द्र का फोन कहां है और किसने उसे गायब किया, पुलिस यह भी पता नहीं लगा सकी है। जिसके चलते यह मामला उलझता ही जा रहा है। वहीं शैलेन्द्र की पत्‍‌नी रेखा इस घटना के बाद से ही कोमा में है और उनकी मासूम बच्ची का पालन पोषण पड़ोसी कर रहे हैं।

पड़ोसी कर रहे पालन पोषण

शैलेन्द्र की मासूम बेटी पीहू पापा का हर पल इंतजार करती है। उसको डेली पापा अपनी बाइक से कॉलोनी का एक चक्कर जो लगवाते थे। लेकिन पापा के अचानक इस दुनिया से चले जाने के बाद दो दिनों तक मायूस पड़ी रही पीहू को पड़ोस के अजय कुमार ने सहारा दिया और उसे डेली उसके पापा की ही तरह बाइक पर लेकर कॉलोनी का चक्कर लगाते हैं। उनकी बेटी पूजा भी नन्हीं पीहू का पालन पोषण कर रही है। इस मामले में दुखद पहलू यह है कि पीहू के सभी रिश्तेदारों ने उससे और हॉस्पिटल में एडमिट उसकी मां से मुंह मोड़ लिया है। रेखा का ध्यान रखने के लिए उसके पिता कोमल दूबे और मां कुसुम अपना घर छोड़कर आये हुए हैं। वहीं इस दुखद घटना के बाद पूरी कॉलोनी में दीवाली नहीं मनी। जबकि डाला छठ मनाने के लिए लोग अपने गांवों को निकल रहे हैं।

Posted By: Inextlive