जानें क्रिकेट के टाइगर के बारे में 5 अनसुनी बातें
(1) सबसे युवा टेस्ट कप्तान
भोपाल के एक नवाब खानदान में पैदा हुए मंसूर अली खान पटौदी को क्रिकेट का शौक बचपन से ही था। स्कूल टीम की तरफ से खेलते हुए टाइगर पटौदी धीरे-धीरे इंटरनेशनल टीम का हिस्सा बन गए। क्रिकेट के प्रति उनका जुनून इस कदर था कि वह मैच दर मैच बेहतरीन प्रदर्शन करते चले गए। पटौदी खेल की अच्छी समझ और परिस्थियों से आसानी से निपटने की काबिलियत रखते थे। जिसके चलते उन्हें टेस्ट टीम का कप्तान नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने इस जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाया और भारत के सफलतम कप्तानों में शुमार हो गए।
(2) 46 टेस्ट मैच खेले
मंसूर अली खान पटौदी एक अच्छे प्लेयर थे। लेकिन वह अपने क्रिकेटिंग करियर को ज्यादा लंबा नहीं चला सके। उन्होंने अपने पूरे करियर में कुल 46 टेस्ट मैच खेले। वह राइट हैंड बैट्समैन और राइट-ऑर्म पेस बॉलिंग किया करते थे।
(3) 1961 में पहला शतक
पटौदी ने अपना पहला फर्स्ट क्लॉस डेब्यु मैच 1957 में ससेक्स की तरफ से खेला था। उस समय उनकी उम्र 16 साल थी। इसके बाद धीरे-धीरे वह आगे बढ़ते रहे और दिसंबर 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट मैच खेला और इस सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच में उन्होंने पहला शतक भी जमाया। इस मैच में पटौदी ने 103 रन बनाए थे। यही नहीं भारत को इस सीरीज में आसानी से जीत मिल गई थी।
(4) विदेश में भारत की पहली जीत
मंसूर पटौदी ने 1961 से लेकर 1975 तक 46 टेस्ट मैच खेले। जिसमें 34.91 की औसत से 2,793 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 6 टेस्ट सेंचुरी भी जड़ीं। कप्तानी की बात करें तो 46 मैचों में से 40 में पटौदी ने कप्तानी की जिसमें सिर्फ 9 मैचों में उन्हें जीत मिली। जबकि 19 में हार और 19 मैच ड्रा हुए। यही नहीं 1968 में पटौदी के नेतृत्व में ही भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ बड़ी जीत दर्ज करते हुए पहली बार ओवरसीज विजय हासिल की।
(5) सिर्फ एक आंख से खेलते थे
मंसूर अली खान पटौदी के बारे में यह बात आपको शायद ही पता हो। कि वह सिर्फ 1 आंख से ही खेलते थे। दरअसल 1 जुलाई 1961 को एक कार एक्सीडेंट में उनकी दाहिनी आंख चली गई थी। और वह सिर्फ एक आंख से ही बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग किया करते थे।