-कैबिनेट के फैसले : 158 करोड़ रुपए से बदलेगी शक्ल और सूरत, म्यूजियम को किया जाएगा अपग्रेड

PATNA: जल्द ही पटना म्यूजियम के लिए अच्छे दिन आने वाले हैं। क्योंकि स्टेट कैबिनेट ने पटना म्यूजियम को अपग्रेड करने के साथ ही इसकी गैलरी को नए सिरे से सजाने और भवन विस्तार के लिए 158 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की है। प्रधान सचिव ने बताया कि इंटरनेशनल लेवल के बिहार म्यूजियम बनने के बाद बक्सर युद्ध के समय के कई पुरावशेष, कलाकृति को पटना म्यूजियम से हटाकर बिहार म्यूजियम में सजाया गया है। जिस वजह से पटना म्यूजियम की गैलरी खाली हो गई है। जिनका नए सिरे से संयोजन जरूरी है।

बैठक में सात प्रस्तावों

पर लगी मुहर

प्रदेश के विश्वविद्यालय और अंगीभूत कॉलेजों के वैसे शिक्षक जिन्हें 7वां वेतनमान स्वीकृत किया गया है उनके बकाया एरियर मिलने का रास्ता साफ हो गया है। अप्रैल 2017 से शिक्षकों का एरियर बकाया है, जिसका भुगतान शीघ्र होगा। मंगलवार को सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य के विवि एवं अंगीभूत कॉलेजों में कार्यरत शिक्षक के वेतन पुनरीक्षण के फलस्वरूप उदभूत (एरियर) बकाया भुगतान के लिए सरकार द्वारा 6 मार्च 2019 को जारी संकल्प में संशोधन को मंगलवार को मंत्रिमंडल की सहमति मिल गई। कुल सात प्रस्तावों पर मुहर लगी।

यक्षिणी की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध रहा है

पटना म्यूजियम यक्षिणी की मूर्ति के लिए विश्व प्रसिद्ध रहा है। बलुआ पत्थर से बनी ये मूर्ति अप्रतिम स्त्री सौन्दर्य को दिखाती है। 1917 में ये मूर्ति पटना के दीदारगंज के पास कीचड़ में पड़ी मिली थी। 5 फीट 2 इंच लंबी ये मूर्ति मौर्यकाल में बनी हुई बतायी जाती है। ये मूर्ति प्राचीन भारत में स्त्री सौन्दर्य का दर्शन कराती है। यक्षिणी की मूर्ति ये भी बताती है कि प्राचीन काल में बिहार की शिल्प कला बेहद उम्दा थी।

अंग्रेजी शासन काल में हुआ निर्माण

पटना म्यूजियम का निर्माण 1917 में अंग्रेजी शासन के समय हुआ था ताकि पटना और आसपास पाई गई ऐतिहासिक वस्तुओं को संग्रहित किया जा सके। स्थानीय लोग इसे जादू घर कहते हैं। मुगल-राजपूत वास्तुशैली में निर्मित पटना म्यूजियम को बिहार की बौद्धिक समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भवन के केंद्र पर आकर्षक छतरी, चारों कोनों पर गुंबद और झरोखा शैली की खिड़कियां इसकी विशिष्टताएं हैं।

यह स्वागतयोग्य कदम है। अपनी विरासत को स्वयं संजोने की जरूरत है ताकि नई पीढ़ी इतिहास को जान सके। हालांकि अब म्यूजियम में यक्षिणी नहीं है। इस ग्लोरी को वापस लाना होगा।

-ओपी जायसवाल, वरिष्ठ इतिहासकार

Posted By: Inextlive