LUCKNOW: अयोध्या में राम मंदिर विवाद का आपसी सुलह से हल निकालने के सुप्रीम कोर्ट की राय के बाद लंबे अर्से से चले आ रहे इस विवाद का हल निकलने की एक बार फिर आस जगी है. करीब 25 साल पहले गंगा-जमुनी तहजीब वाले सूबे में विवादित ढांचे के विध्वंस ने दो समुदायों के बीच जो वैमनस्यता की लकीर खीची थी वह अब मिट सकती है. हालांकि इस मामले को आपसी सुलह-समझौते से हल कराने की यह पहली कोशिश नहीं है. राम मंदिर आंदोलन के अगुवा महंत परमहंस रामचंद्र दास और बाबरी मस्जिद के मुख्य पैरोकार हाशिम अंसारी के बीच अदालती अदावत के बावजूद गहरी मित्रता ने इसकी राह बनाई थी. दोनों की मृत्यु के बाद यह मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने ताजा कर दिया है.

- सुप्रीम कोर्ट के नये निर्देश के बाद सुलह की जगी राह

- बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी कर रही है पैरोकारी

- बदले सियासी माहौल में सुलह की कोशिश होगी शुरु

हाशिम ने किया था पैरवी से इंकार

यूपी में विधानसभा चुनाव के बाद बदले सियासी माहौल के बीच सुप्रीम कोर्ट की राय ने खलबली मचा दी है। इतिहास पर नजर डालें तो बाबरी मस्जिद मामले के मुख्य पैरोकार हाशिम अंसारी ने कुछ साल पहले मुकदमे की पैरवी करने से यह कहकर इंकार कर दिया था कि वे अब रामलला को आजाद देखना चाहते हैं। महंत रामचंद्र दास से उनकी गहरी मित्रता देख अयोध्या और फैजाबाद के लोगों को भी मामले का हल जल्दी निकलने की उम्मीद थी। इस बीच सियासत भी खूब हुई और आजम खान को बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का कन्वेनर बनाने का हाशिम ने विरोध भी किया। हाशिम अपने स्तर से सुलह की कवायदें भी करते रहे। अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की थी और इस मामले का हल निकलने की उम्मीद जताई थी। ध्यान रहे कि इससे पहले इस मामले में हाईकोर्ट का आदेश आया था जिसमें विवादित परिसर को तीन हिस्सों में बांटने की बात कही गई थी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी थी जिसके बाद इस मामले में लगातार सुनवाई जारी है।

 

पांच बार हो चुकी है कोशिश

शुरुआत से बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की ओर से इस मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी इससे इतर राय जाहिर करते हैं। उनका मानना है कि अब सुलह की कोई गुंजाइश नहीं बची है। जिलानी ने कहा कि पहले भी पांच बार प्रधानमंत्री, शंकराचार्य आदि की मध्यस्थता में सुलह की कवायदें हुई थी जो नाकाम रहीं। वहीं हालिया मामला सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर उभरा है जो इस मामले में कभी भी पक्षकार नहीं रहे। वहीं जिस बेंच ने यह राय दी है, उसने भी कभी इस मामले की सुनवाई नहीं की। यदि सुप्रीम कोर्ट इस मसले का जल्द हल निकालना चाहता है तो इसकी सुनवाई जल्दी करे। इस कवायद से छह माह के भीतर फैसला आ सकता है।

 

तीन पक्षकारों ने किया समर्थन

मामले के तीनों पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट की इस पहल का स्वागत किया है। प्रथम पक्षकार त्रिलोकी नाथ पांडेय के वकील मदन मोहन पांडेय ने कहा कि यदि आपसी बातचीत से इस विवाद का हल निकल आए तो इससे अच्छी बात नहीं हो सकती। बाबरी मस्जिद के मुख्य पैरोकार हाजी महबूब का कहना है कि देशहित में वे कोई भी नुकसान सहने को तैयार हैं। हम लोग पहले ही इस मामले का हल सुलह से करना चाहते थे। वहीं निर्मोही अखाड़ा के महंत राम दास ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि यह अयोध्या हीं नहीं, देश के विकास के लिए जरूरी कदम है। वहीं

 

आतंकियों के निशाने पर रहा है परिसर

राम मंदिर मामले का हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गयी राय के गहरे मायने भी है। दरअसल विवादित ढांचे को गिराने के बाद भड़के दंगे में देश भर में करीब दो हजार लोगों की मृत्यु हुई थी और यह परिसर आतंकी संगठनों के निशाने पर आ गया था। विवादित ढांचे के विध्वंस की वीडियो और फोटोग्राफ दिखाकर आतंकी संगठन नौजवानों को आतंकी गतिविधियों में शामिल करने के लिए गुमराह करते रहे। इसका नतीजा यह रहा कि यूपी में सिमी का जन्म हुआ जिस पर केंद्र सरकार को बाद में प्रतिबंध लगाना पड़ा। विगत पांच जुलाई 2005 को विवादित परिसर में पांच आतंकियों ने हमला भी किया जिन्हें वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने मार गिराया। आतंकी संगठन लगातार जन्मभूमि परिसर को निशाना बनाने की धमकियां देते रहे। करीब तीन साल पहले बिहार के बोधगया में सीरियल बम धमाके अंजाम देने वाले इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू ने भी अयोध्या में बम धमाके की योजना बनाई थी लेकिन उसे एनआईए ने समय रहते गिरफ्तार कर लिया था।

Posted By: Inextlive