-यूं ही हटाने पर केदारपुरी के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है मलबा

-213 भवन किए गए हैं चिन्हित, स्टेट कैबिनेट लेगी इन भवनों पर फैसला

--MI-26 हेलिकॉप्टर की ली जाएगी मदद, मंदिर के पीछे बन रहा हेलीपैड

dehradun@inext.co.in

DEHRADUN : पिछले साल केदारनाथ में आई त्रासदी कई चुनौतियां दे गई। कैसे बाबा की देवनगरी पुन:स्थापित हो पाएगी, कैसे पूर्व की तर्ज पर निर्भय होकर हजारों की तादात में हर रोज यात्री पहुंच पाएंगे और बसने जा रही नई केदारघाटी कैसी होगी? तमाम चैलेंजेज जिला प्रशासन से लेकर स्टेट गवर्नमेंट के सामने हैं। यूं कहें कि सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक करीब 19 किमी की पैदल यात्रा में पग-पग पर चुनौतियां ही चुनौतियां हैं। जानकार भी स्वीकारते हैं कि शायद इन प्रबल चैलेंजेज की बाधाओं को पार करने में सालों लग जाएं। फिलहाल, केदारनाथ में यक्ष प्रश्न यही है कि त्रासदी में तबाह हो चुके भवनों को मलबा कहां जाएगा?

213 भवनों का हुआ चिन्हीकरण

सवाल आपदा के बाद एक साल से सबके जेहन में तैर रहा है। तबाह हो चुके भवनों के मलबे को तो बस यूं ही नहीं छोड़ा जा सकता है। या फिर उन्हीं भवनों के ऊपर से नए बिल्डिंग्स को मूर्तरूप दिया जा सकता है। मगर ऐसा नहीं हो सकता, साइंटिफिक रिपो‌र्ट्स पहले ही क्लीयर कर चुकी हैं कि त्रासदी में बर्बाद हो चुके भवनों का मलबा हटेगा, केदारनाथ टाउनशिप दूसरे स्थान पर शिफ्ट होगी। तो जाहिर है कि भवनों के लिए इस मलबे को भी हटाया जाएगा। इस पर लोकल जिला प्रशासन ने भी अपने मंशा साफ कर दी है। डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने जीर्ण-क्षीर्ण हो चुके मकानों के मलबे को हटाने के लिए बकायदा इस बार करीब 213 भवनों का चिन्हिकरण किया है। जिसमें से 65 भवन तो (वीडी) वैरी डेंजर में शामिल किए गए हैं। इन भवनों की रिपोर्ट भी शासन को सुपुर्द कर दी गई है। अब जिला प्रशासन की निगाहें शासन व सरकार पर टिकी हैं। कब सरकार से हरी झंडी मिलती है।

डोजर चलने से पहले कई पेंच

केदारनाथ में त्रासदी के दौरान बर्बाद हो चुके इन भवनों पर डोजर चलने से पहले एक और मुसीबत सरकार व शासन के सामने है। भवन मालिकान मुआवजे की बात कर रहे हैं। डोजर चलने से पहले भवन मालिक कुछ अपनी संपत्ति को अपने पास रखना चाहते हैं। जिस पर जिला प्रशासन इन्हें अपना पक्ष रखने की भी बात कर रही है, लेकिन जिला प्रशासन सोर्सेस के अनुसार कुछ भवन मालिकों का केदारनाथ में अतिक्रमण भी था, जिस पर जिला प्रशासन ऐसे भवन स्वामियों को मुआवजा न देने के पक्ष में है। साफ है कि जीर्ण-क्षीर्ण भवन पर डोजर चलने से पहले कई पेंच फंसने की संभावनाएं हैं। हालांकि जिला प्रशासन का कहना है कि जैसे ही कैबिनेट से अप्रूवल मिल जाएगा तो मशीनें कार्य करना शुरू कर देंगी।

----------------------

एमआई ख्म् से आएंगी भारी मशीनें

केदारनाथ में तबाह हो चुके मकानों को ध्वस्त करने के लिए संभवत: भारी मशीनें प्रयोग में ली जाएंगी। डीएम रुद्रप्रयाग इस पर साफ कह चुके हैं कि भारी मशीनों को लाने के लिए एमआई-ख्म् की हेल्प ली जाएगी। इसके लिए केदारनाथ मंदिर के पीछे जल्द ही हेलीपेड बनाया जाएगा। भारी मशीनों के बिना बदहाल भवनों को डिमोलिश कर पाना संभव नहीं हो पाएगा। वहीं जिला प्रशासन की मानें तो केदारनाथ में क्षतिग्रस्त भवनों को गिराने के लिए बड़ी मशीनों करीब हजार टन की जरूरत होगी। जिसके लिए एमआई ख्म् की जरूरत पड़ेगी। बताया गया कि एमआई ख्म् के लिए अप्रोच भी, लेकिन पॉजिटिव रिस्पांस नहीं मिल पाया।

-----------------

मलबा हटाना जरूरी है

मशीनें चलने से पहले वैज्ञानिक पहलुओं पर भी विचार जारी है। वैसे भी जीएसआई पहले ही अपनी रिपोर्ट में कह चुकी है मलबा हटना चाहिए, करीब क्भ्0-ख्00 मीटर दायरे से बाहर नए स्थान पर केदारनाथ टाउनशिप डेवलेप होनी चाहिए। वैज्ञानिक इस बात से भी इत्तेफाक रख रहे हैं कि इसी साल क्षतिग्रस्त भवनों को हटना चाहिए। न हटाने पर हो सकता है कि इस बारिश के सीजन में अौर खतरा पैदा हो जाए।

---------------------

मलबे पर जीएसआई का तर्क

आई नेक्स्ट से बातचीत में जीएसआई का कहना है कि क्षतिग्रस्त भवनों का मलबा हटाने के लिए हर पहलुओं पर गौर करना जरूरी होगा। जीएसआई नार्दर्न रीजन उत्तराखंड इकाई के डायरेक्टर डा। वीके शर्मा का मानना है कि ख्क्फ् भवनों का मलबा दूर हटाना संभव नहीं है। ऐसे में मंदाकिनी के रीवर बैंक यानी किनारे पर ही एक खाली स्थान तैयार करना होगा, जहां इस मलबे को स्थापित किया जा सके। मंदाकिनी नदी में मलबा डालने पर फिर बरसात में मंदाकिनी के ब्लॉक हो जाने की संभावनाएं बन सकती हैं। जीएसआई के मुताबिक टेंपल कंपाउंड के क्भ्0 मीटर दायरे में बर्बाद हो चुके मकानों को ही डिमोलिश कराना फिलहाल उपयुक्त होगा।

---------------------------

भवन गिराते वक्त वीडियोग्राफी होगी

कुल मिलाकर निगाहें अब शासन पर टिकी हैं। लेकिन जिला प्रशासन अपनी तैयारियां पर जुट गया है। डीएम डा। राघव लांगर कहते हैं कि क्षतिग्रस्त मकानों को डिमाेलिश करने के दौरान वीडियोग्राफी भी होगी।

------------------------

एमआई क्7 हैं मौजूद

केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यो के लिए जिला प्रशासन के पास फिलवक्त दो एमआई क्7 मौजूद हैं। जो गौचर से जरूरत पड़ने पर केदारनाथ में लोडिंग के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे एमआई क्7 लैंड करते हैं।

Posted By: Inextlive