निजी और सरकारी बैंकों ने कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक मार्च से बैंकिंग नियमों में कई बड़े बदलाव हुए है। बैंकों ने लेन-देन पर चार्ज वसूलने की तैयारी कर ली है। एक मार्च से फ्री ट्रांजेक्शन लिमिट के बाद ग्राहक को अब हर ट्रांजेक्शन के लिए फीस और सर्विस चार्ज वसूला जाएगा। एचडीएफसी आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक एक लिमिट के बाद कैश ट्रांजैक्शन पर मोटा चार्ज वसूलेंगे। आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक ने भी ट्रंजेक्‍शन लिमिट तय कर दी है। सरकार ने कैश पर लगाम लगाने और कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए कैश जमा और निकालने पर तय लमिट पार होने के बाद चार्ज वसूलने का ऐलान कर दिया है।


-1 मार्च से एचडीएफसी बैंक ने सेविंग और सैलेरी खातों पर चार से पांच फ्री ट्रांजेक्शन करने के बाद उन पर चार्ज लगाने की घोषणा की है। ये चार्ज 100 रुपये से लेकर 150 रुपय तक हो सकता है। - निजी क्षेत्र के बैंक आईसीआईसीआई और एक्सिस ने भी चार फ्री ट्रांजेक्शन के बाद किसी भी लेने देन पर चार्ज लगाने की घोषणा की है। एक्सिस और आईसीआईसीआई बैंक ने कहा कि नोटबंदी के बाद लेनदेन पर एक्सट्र चार्ज हटा दिये गये थे। जिन्हें 1 जनवरी से फिर से शुरु कर दिया गया है। - एचीडीएफसी ग्राहकों को ट्रांजेक्शन चार्ज देना होगा। जो हजार रुपये पर 5 रुपये से 150 रुपये तक है। होम ब्रांच पर महीने में एक बार 2 लाख की कैश निकालने की छूट दी गई है।


- होम ब्रांच को छोड़ कर किसी भी अन्य एचडीएफसी शाखा पर ग्राहक एक दिन में 25 हजार रुपये जमा भी कर सकता है और निकाल भी सकता है। 25 हजार से ऊपर ट्रांजेक्शन करने पर प्रति हजार रुपये पर 5 रुपये चार्ज पड़ेगा।

- यदि आप देश में स्थित 2 लाख 20 हजार एटीएम यूज करते हैं तो आप को एटीएम से निकलने वाले किसी भी कैश लेनदेन पर कोई चार्ज नहीं देना होगा। ये प्राईवेट और पब्लिक बैंक दोनो के लिये हैं। एटीएम पर कोई भी एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लगाया गया है। - अभी ग्राहकों के पास एक ही बैंक के एटीएम से कैश लेने पर 5 फ्री टांजेक्शन की लिमिट रखी गई है। यह लिमिट अदर बैंको में सिर्फ 3 ट्रांजेक्शन तक सीमित रहती है। ये नियम 6 मेट्रो सिटी पर लागू है। जिनमें मुंबई, न्यू दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद है। -  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एडीशनल ट्रांजेक्शन करने के तौर पर 20 रुपये प्लस टैक्स को सभी सेंट्रल बैंकों पर लागू किया गया। जिससे कि उनकी सीमा को बढ़ाया जा सके। - लिमिट बढ़ाने या रिइंट्रोड्यूज करने के लिए एक नकद लेनदेन प्रभारी निर्णय या डिजिटल अर्थव्यवस्था पर सरकार के साथ फिट बैठता है। सरकार की डिजिटल भुगतान रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एक निश्चित सीमा के बाद लेनदेन पर नाममात्र शुल्क लगाया जाये।- पैनल का मानना है कि एटीएम से नकदी निकासी की लागत को प्रदर्शित करना चाहिए क्योंकि लोगों को नकदी में लेनदेन की अंतर्निहितता को समझना जरूरी है।

-यह अनुमान है कि छपाई की लागत और विभिन्न स्तरों पर कैश हैंडलिंग सहित नकदी की लागत 2014-15 में 1.7 प्रतिशत भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद के बराबर था।Business News inextlive from Business News Desk

Posted By: Prabha Punj Mishra