नियम तो बनाया सरकार, फिर क्यों सो रहे जिम्मेदार
40 प्रकार के कैंसर तंबाकू से
25 प्रकार की बीमारियां तंबाकू से 10 में से एक जान जा रही तंबाकू से 70 लाख हर साल देश में मौत का शिकार 2008 में लागू हुआ कोटपा -तंबाकू नियंत्रण पर प्रभावी नहीं हो पा रहा कोटपा अधिनियम, वर्ल्ड नो टोबैको डे कल lucknow@inext.co.inLUCKNOW: केजीएमयू के डॉक्टर्स के अनुसार तंबाकू से 40 प्रकार के कैंसर और 25 प्रकार की बीमारियां होती हैं. इनके कारण देश में हर वर्ष 70 लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवाते हैं. हर 10वां आदमी किसी न किसी तंबाकू जनित रोग के कारण अपनी जान गंवा रहा है. इस खतरे को कम करने के लिए सरकार ने जागरुकता और रोकथाम के लिए सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट 2003 (कोटपा) लाया गया जिसे 2008 में लागू किया गया. पिछले कई वर्षो से यूपी में यह प्रोग्राम चल रहा है. जिलों के डीएम, एसएसपी को इसकी जिम्मेदारी भी दी गई. लेकिन ज्यादातर जिलों से हर माह की गई कार्रवाई की रिपोर्ट शून्य आती है. आप समझ सकते हैं तंबाकू की जागरुकता और बचाव के लिए सरकारी मशीनरी कितनी एक्टिव है.
बच्चे तक प्रभावितडॉक्टर्स के अनुसार हर साल जान गंवाने वालों में 8 से 9 लाख पैसिव स्मोकर्स हैं (जो स्मोकिंग नहीं करते, करीब 30 परसेंट बच्चे). भारत में 37 से 45 परसेंट लोग किसी न किसी रुप में तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 10 से 20 परसेंट ऐसे हैं जो तंबाकू चबाने के साथ ही स्मोकिंग भी करते हैं. यह गंभीर स्थिति है.
साल भर में 7500 चालान राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य सलाहकार सतीश त्रिपाठी ने बताया कि प्रदेश में पिछले एक वर्ष में कोटपा अधिनियम के तहत करीब 7500 लोगों का चालान किया गया. उनसे करीब 2.46 लाख रुपए जुर्माना वसूला गया. इनमें से सबसे अधिक कार्रवाई कानपुर और लखनऊ जिलों की है. जिलों में कार्रवाई शून्य डीजीपी ने प्रदेश के सभी जिलों के एसपी को कोटपा के तहत कार्रवाई और उसकी रिपोर्ट महानिदेशालय स्थित तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ को भेजने के आदेश दिए थे. पिछले वर्ष तक कानपुर और सीतापुर की रिपोर्ट में कुछ कार्रवाई होती थी लेकिन अब सभी जिलों से पुलिस की रिपोर्ट भी शून्य प्राप्त हो रही है. अधिकारियों के अनुसार स्टेट लेवल पर कोटपा की कार्रवाई के लिए अलग सेल है लेकिन इसे अधिकार नहीं दिए गए. यह सिर्फ जागरुकता तक ही सीमित है. सभी जिलों में लागू नहीं हुआ प्रोग्रामकोटपा अधिनियम को लागू हुए 10 वर्ष हो रहे हैं लेकिन यूपी के सभी जिलों में अभी तक जिला स्तरीय कमेटियां तक नहीं बनी हैं जो इसके तहत हो रही कार्रवाई को मानीटर करें. जिम्मेदारों के मुताबिक अब तक सिर्फ 25 जिलों में ही इसे लागू किया जा सका है.
आय कम, खर्च अधिक तंबाकू उत्पादों से यूपी सरकार को 2015-18 में 3562.02 करोड़ का राजस्व मिला लेकिन इन तंबाकू उत्पादों से होने वाली बीमारियों के इलाज में 2011 में ही 7335.4 करोड़ का खर्च आया. यह यूपी सरकार के ही आंकड़े बता रहे हैं. बाक्स केंद्र ने कराया था सर्वे केंद्र ने 2011 में देश में तंबाकू जनित रोगों पर होने वाले खर्च पर सर्वे कराया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि यूपी सरकार ने तंबाकू जनित रोगों के इलाज पर 7335.4 करोड़ रुपए खर्च किए. दूसरी तरफ यूपी सरकार ही आरटीआई में जवाब दे रही है कि 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में 3562.02 करोड़ का ही राजस्व इससे प्राप्त हुआ.