गांव से लेकर घाट तक गूंजता रहा मातम को शोर, आंखों में अश्क और सब की जुबां पर थे सवाल

तूफान व कुछ क्षेत्रों में हुई बारिश से किसानों को भी हुआ काफी नुकसान

ALLAHABAD: दोपहर बाद अचानक खराब हुए मौसम को देख लोग सकते में थे ही कि शाम को आंसुओं और गम का सैलाब लेकर तूफान आ गया। घूरपुर स्थित पालपुर यमुना घाट पर हुए नाव हादसे की वजह से कोहराम मच गया। घाट पर पहुंचे लोगों की आंखें नाव में सवार अपनों को खोजती रहीं। उनकी आंखों से बह रही आंसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। किसी को नाव में सवार भाई की तलाश थी तो कोई अपने रिश्तेदार को खोज रहा था। जैसे-जैसे समय बीत रहा था वैसे-वैसे लोगों की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी। गांव से लेकर घाट तक गम और मातम का शोर गूंजता रहा। घाट पर पहुंचे हर व्यक्ति की आंखें नम रहीं। बारा क्षेत्र में बारिश और तूफान से किसानों को भी काफी नुकसान हुआ।

अपनों को खोजते रहे बिलखते लोग

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। मगर शाम होने के कारण पुलिस कुछ खास नहीं कर पाई। नाव में कितने लोग सवार थे? इस सवाल का उत्तर पुलिस भी नहीं खोज पा रही थी। तारापुर के बरसाती लाल अपनी पत्‍‌नी नीता के साथ उसी नाव पर सवार थे। हादसे की खबर पाकर उनकी बहन मीना घाट पर पहुंची थी। रोती बिलखती मीना अपने भाई को खोज रही थी। जैसे ही वह भाई के बारे में पुलिस से पूछी, सभी अवाक रह गए और बरसाती लाल को खोजने लगे। तलाश चल ही रही थी कि वह घाट के एक किनारे अपनी पत्‍‌नी के साथ मिल गया। उनकी मोटरसाइकिल भी सुरक्षित थी। भाई और भाभी को देखते ही मीना के बदहवास चेहरे पर रौनक जरूरी आ गई पर इसके बावदूज वहां का नजारा देख तीनों की आंखें नम थीं। नाव से मौजूद छह मोटरसाइकिलें व इतनी ही साइकिलें व इनके मालिकों को नदी से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

उजड़ गई गुडि़या की गोद

नाव हादसे में संयोग से गुडि़या तो बच गई, पर उसके दोनों बच्चे काल के गाल में समा गए। करछना के कहेरी गांव निवासी कृष्ण कुमार की ससुराल धूमनगंज थाना क्षेत्र के बाबूपुर (तारापुर के बगल) गांव में है। पांच दिन पूर्व उनकी पत्‍‌नी गुडि़या दोनों बच्चों पायल (6) और सरस (3) के साथ मायके गई थी। रविवार को वापस आना था। कृष्ण कुमार उन्हें रिसीव करने पालपुर यमुना घाट पर पहुंचा तो नाव घाट के नजदीक आ चुकी थी, अचानक तूफान आ गया। देखते ही देखते नाव पलट गई। बालू मजदूरों ने गुडि़या को बचा लिया, पर उनके बच्चे नदी में डूब गए।

इसके हौसले को सलाम

पालपुर गांव निवासी बजरंगी निषाद पालपुर, मन्नू निषाद और गुडडू निषाद घाट पर ही बैठे हुए थे। तूफान देख वे जाने लगे, इसी बची उन्हें नाव पलटते दिखी। चीख पुकार सुनते ही लोगों को बचाने के लिए तीनों ने यमुना में कूद गए। नाव के समीप पहुंचकर तीनों ने सबसे पहले उन लोगों को बचाया जो नाव को थामे हुए थे। रस्सी के सहारे नाव को बाहर खींचकर लाए। इन लोगों ने नौ लोगों की जान बचाई।

Posted By: Inextlive