दुनिया का एक सबसे छोटा देश। कभी सोचा है आपने कि ये सबसे छोटा देश तीन परमाणु शक्‍ितयों को कोर्ट में घसीट सकेगा। ऐसा हुआ है। दरअसल साउथ पैसेफिक आइलैंड ने भारत पाकिस्‍तान और ब्रिटेन पर अंतरराष्‍ट्रीय न्‍याय अदालत में मुकदमा कर दिया है। यहां बताना जरूरी होगा कि इन तीनों पर परमाणु नि:शस्‍त्रीकरण के दायित्‍वों को तोड़ने का आरोप लगाया गया है।

ऐसी है जानकारी
इसको लेकर ये बताया गया है कि ये एक ऐसा मुद्दा है जिससे पैसेफिक आईलैंड बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इस क्रम में मार्शल द्वीप ने भारत पर परमाणु हथियारों की दौड़ को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया है। इस आरोप के साथ द्वीप ने उसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (ICJ) का दरवाजा खटखटाया है।
भारत की रही ऐसी प्रतिक्रिया
भारत की ओर से ऐसे आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई गई है। इसके साथ ही भारत ने आईसीजे को पत्र भी लिखा है। पत्र लिखकर भारत ने कहा है कि एनपीटी प्रावधान कानूनी बाध्यता के तौर पर उस पर नहीं लागू किए जा सकते हैं। गौर करने वाली बात ये है कि दक्षिण प्रशांत सागर के इस छोटे से देश ने दुनिया की तीन परमाणु शक्ितयों के खिलाफ मामलों के तहत संयुक्त राष्ट्र की शीषर्तम अदालत में भारत के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू की।
बताई जा रही है इसे ऐसी कोशिश्ा
इन सबको परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता में नई जान फूंकने की कोशिश बताया जा रहा है। इस मामले को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि भारत समेत मार्शल द्वीप गणतंत्र ने सभी परमाणु संपन्न देशों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत में कार्यवाही शुरू कर दी है। इसके साथ ही परमाणु अप्रसार संधि के अनुच्छेद षष्ठम के तहत परमाणु निरस्त्रीकरण पर पारंपरिक कानूनी बाध्यता का उल्लंघन का हवाला दिया है।
सरकार का ऐसा है मानना
उन्होंने ये भी कहा कि सरकार इस बात को मानती है कि एनपीटी के प्रति उनके संगत और सैद्धांतिक रुख को देखते हुए एनपीटी प्रावधान कानूनी बाध्यता के रूप में भारत पर नहीं लगाए जा सकते। इसके आगे उन्होंने ये भी बताया कि मामले में आईसीजे में सुनवाई जल्द से जल्द शुरू होगी।
शीत युद्ध के समय किया गया था इस्तेमाल
इस पूरे मामले को लेकर बताया गया कि शीत युद्ध के समय इस आइलैंड को 67 अलग-अलग परमाणु परीक्षण के लिए साइट के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। इस कारण से आइलैंड पर अब भी स्वास्थ्य समस्याएं सामने आती रहती हैं। अब इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पहली बार इसपर शुरुआती सुनवाई की गई है।

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Posted By: Ruchi D Sharma