GORAKHPUR: गोरखपुर शहर व आस पास के इलाकों में फाइब्रॉएड के कारण बांझपन से ग्रस्त महिलाओं के लिए अच्छी खबर है। नई दिल्ली के सनराइज हॉस्पिटल की वरिष्ठ लैपरोस्कोपी सर्जन डॉ। निकिता त्रेहन ने शहर में पहली बार फाइब्रॉएड के स्थाई उपचार की एक नई तकनीक शुरू की। गोरखपुर के ऑब्सटेट्रिक्स एवं गाइनेकोलॉजी सोसाइटी एवं सनराइज हॉस्पिटल की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान सर्जरी की गई। गोरखपुर स्थित स्टार हॉस्पिटल में हुई इस जटिल सर्जरी का सीधा प्रसारण स्थानीय होटल में किया गया। जहां डॉक्टर्स ने इस नई प्रक्रिया को देखा।

नहीं है कोई खतरा

डॉ। निकिता त्रेहन ने इस मौके पर कहा, आज कुशल सर्जन के हाथों नई तकनीकों के सहारे लैपरोस्कोपी या हिस्टोरोस्कोपी द्वारा किसी भी प्रकार के फाइब्रॉएड को आसानी से निकाला जा सकता है तथा गर्भाशय के बाकी हिस्से को पूरी तरह से बचाया भी जा सकता है। एलयूएएल (लैपरोस्कोपिक यूटेरिन आर्टरी लिगेशन) नामक इस नई तकनीक को हमने डिजाइन किया है जो न केवल फाइब्रॉएड को दोबारा होने से रोकती है बल्कि फाइब्रॉएड को हटाने के दौरान रक्त की क्षति भी कम होती है।

लिम्बा बुक में बनाया रिकॉर्ड

लैपरोस्कोपी की मदद से सबसे बड़े आकार के फाइब्रॉएड निकालने के लिए डॉ। निकिता का नाम लिम्का बुक रिकॉ‌र्ड्स में भी शामिल किया गया है। फाइब्रॉएड महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या बन गई। यह इनफर्टिलिटी, गर्भपात और गर्भधारण में जटिलताएं पैदा कर सकता है। चूंकि फाइब्रॉएड के शुरुआती लक्षण नहीं होते हैं और इसलिए उसकी पहचान शीघ्र नहीं हो पाती है। डॉ। निकिता त्रेहन ने कहा कि इस नई तकनीक के कारण लैपरोस्कोपी के सभी लाभ मिलते हैं यानि रक्त की कम क्षति होती है, ऑपरेशन के बाद कम दर्द होता है, अस्पताल में केवल एक दिन रहना पड़ता है और मरीज जल्द से जल्द रोजमर्रा के काम काज करने लगती है।

क्या है फाइब्रॉएड

फाइब्रॉएड गर्भाशय की दीवार के कैंसर रहित ट्यूमर होते हैं। इस समस्या से संतान जनने की उम्र वाली महिलाएं मुख्य तौर पर पीडि़त होती हैं। इस समस्या के कारण पेट में बड़े आकार के टुकड़े के होने के कारण अविवाहित लड़कियों में माहवारी के दौरान बहुत अधिक रक्त स्राव होता है। लंबे समय तक का मासिक धर्म (सात दिन या अधिक समय तक मासिक धर्म के दौरान रक्तस्त्राव), पैल्विक दबाव या दर्द, बार-बार पेशाब और पीठ दर्द या पैर में दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। यह देखा गया है कि पांच में से एक महिला गर्भाशय फाइब्रॉएड से ग्रस्त होती है। यह समस्या गर्भ में कैंसर रहित ट्यूमर के बनने और बढ़ने के कारण होती है।

Posted By: Inextlive