-सभी कोर्सेज में सीट लिमिट के हिसाब से भी नहीं मिले रहे कैंडिडेट्स

-युनिवर्सिटी से एफिलिएटेड कॉलेजेज भी एडमिशन क्राइसेस से गुजर रहे

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DEHRADUN : पिछले कई सालों से उत्तराखंड टेक्निकल युनिवर्सिटी का रसूख कम होता दिखाई दे रहा है। पिछले कुछ सालों पर गौर करें तो युनिवर्सिटी और इससे एफिलिएटेड कॉलेजेज एडमिशन क्राइसेस से गुजर रहे हैं। हर साल एडमिशंस की संख्या में गिरावट न सिर्फ कॉलेजेज बल्कि युनिवर्सिटी को भी परेशान कर रहा है।

सीट्स पर सूनेपन का खतरा

पिछले कई सालों से युनिवर्सिटी लगातार एडमिशन की मार झेल रही है। युनिवर्सिटी द्वारा संचालित सभी कोर्सेज में एडमिशंस की संख्या घटती जा रही है। इस साल भी युनिवर्सिटी के सभी कोर्सेज की सीट्स पर सूनेपन का खतरा मंडरा रहा है। एडमिशन को लेकर सीट्स न सिर्फ कॉलेज परेशान हैं, बल्कि युनिवर्सिटी भी परेशान है। युनिवर्सिटी से स्टेट में करीब फ्7 इंजीनियरिंग कॉलेजेज एफिलिएटेड हैं। आलम यह है कि हर साल कई कॉलेजेज कम एडमिशन होने के कारण अपने कई ब्रांचेज को युनिवर्सिटी को सरेंडर करती हैं।

यूकेएसईई में घटे कैंडिडेट्स

यूनिवर्सिटी द्वारा कंडक्ट कराए गए स्टेट एंट्रेंस एग्जाम में भी इसका असर देखने को मिला। युनिवर्सिटी के बीटेक लेटरल एंट्री, एमसीए, बीफार्मा और बीएचएम जैसे कोर्सेज में सीट्स के मुताबिक कैंडिडेट्स तक युनिवर्सिटी को नहीं मिले, जहां युनिवर्सिटी की बीटेक लेटरल एंट्री की करीब चार हजार सीट्स हैं। वहीं इन सीट्स के लिए केवल क्7क्भ् कैंडिडेट ने ही एग्जाम दिया। एंट्रेंस एग्जाम में खराब हालात से उबरने के लिए कॉलेज बाकी सीट्स को बाद में ओपनली फिल करने को मजबूर होंगे। यही हाल बीफार्मा लेटरल एंट्री, बीएचएम, एमसीए और एमसीए लेट्रल एंट्री का है। हालांकि बीफार्मा फ‌र्स्ट ईयर में इस बार सीट्स के मुताबिक तीन गुना कैंडिडेंट्स ने एग्जाम दिया।

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किस कोर्स में कितनी सीट्स

कोर्स सीट्स यूकेएसईई में शामिल कैंडिडेट्स की संख्या

बीटेक लेटरल एंट्री फॉर डिप्लोमा होल्डर्स ब्,000 क्,7क्भ्

बीफार्मा फ्ब्क् क्0ख्0

बीफार्मा लेटरल एंट्री ख्भ्0 क्0ब्

बीएचएम भ्म्0 ख्भ्8

एमसीए लेटरल एंट्री फ्भ्0 ख्म्ख्

एमसीए क्म्00 क्म्ख्

टेक्निकल कोर्सेज में पिछले कुछ सालों से गिरावट देखने में आ रही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि सीट्स खाली रहेंगी। कॉलेजेज अपने लेवल पर इन सीट्स को बाद में फिल कर लेते हैं। यह जरूर है कि घटते स्टूडेंट्स की संख्या आगे चलकर परेशानी का सबब बन सकती है।

- प्रो। आरके सिंह, एग्जाम कंट्रोलर, यूटीयू

Posted By: Inextlive