उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का ड्राफ्ट जारी किया है। यह कानून की शक्ल कब और‍ किस रूप में लेगा आने वाले दिनों में ही पता चलेगा। अब जबकि विधानसभा चुनाव दूर नहीं हैं इस पर सियासत भी गर्माना तय है। आयोग ने 19 जुलाई तक इस मसौदे पर लोगों से उनकी राय मांगी है।

अगर जनसंख्या नियंत्रण कानून का मसौदा इसी रूप में कानून की शक्ल अख्तियार करता है तो दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले दंपत्ति कई सरकारी सुविधाओं से वंचित हो जाएंगे। बहरहाल हम बात कर रहे हैं उस स्थिति की जिसमें धार्मिक अथवा पर्सनल लॉ बहुविवाह की अनुमति देता है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले दिनों में हमें इससे जुड़े प्रावधान पर ही सियासत सबसे ज्यादा गर्म नजर आ सकती है।

बहुविवाह पर ड्राफ्ट क्‍या कहता है?
ऊपर पूछे गए सवाल का जवाब हमें ड्राफ्ट में ही मिलता है, जिसमें यह स्‍पष्ट् किया गया है कि अगर पर्सनल लॉ बहुविवाह की अनुमति देता है तो बच्‍चों की गिनती कैसे की जाएगी। ऐसा होने पर विवाहित जोड़िियां एक से अधिक हो सकती हैं। प्रत्ये्क में एक पुरुष व एक महिला होगी। हालांकि प्रत्‍येक में पति अथवा पत्नी समान हो सकते हैं। इसे थोड़ा और आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं।

उदाहरण
मान लीजिए एक पुरुष 'अ' को पर्सनल लॉ बहुविवाह की अनुमति देता है। 'अ' की तीन बीवियां हैं 'ब', 'स' और 'द'। इस स्थिति में 'अ' और 'ब', 'अ' और 'स', 'अ' और 'द' की गिनती तीन अलग-अलग शादीशुदा जोड़ों के रूप में की जाएगी। 'ब', 'स' व 'द' का पति एक है लेकिन जोड़े तीन हैं। जब 'अ' के बच्चों की गिनती की बात आएगी तो उसकी तीनों शादियों को एक गिना जाएगा। अगर 'अ' की 'ब' से एक, 'स' से दो व 'द' से एक संतान है। तो 'अ' के कुल बच्चों की संख्या चार होगी। वहीं अगर पर्सनल लॉ किसी महिला को एक से अधिक विवाह की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए महिला 'क' जिसके दो पति हैं 'ख' व 'ग', तब 'क' और 'ख' को विवाहित जोड़ी और 'क' और 'ग' को दूसरी विवाहित जोड़ी माना जाएगा।

Posted By: Mayank Kumar Shukla