PATNA : बिहार में खेल की क्या स्थिति है, यह जगजाहिर है। फिर भी एक खेल विशेष की चर्चा करे तो उसकी अपनी खास समस्या है। वेटलिफ्टिंग में बिहार कभी भी अग्रणी नहीं रहा। बड़ी वजह यह भी है कि यहां एसोसिएशन पर बार-बार क?जा जमाने के लिए आफिसियल्स ने आपसी झगड़े से इसमें गिरावट ही लाया है। अब एक नए सिरे से शुरू करने की कोशिश हो रही है। इसमें कुछ सफलता भी दिख रही है। इस बारे मे बिहार वेटलिफ्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अरूण कुमार केशरी ने कहा कि बिहार में इस खेल को लोकप्रिय बनाने के लिए जिला स्तर पर प्रतियोगिता एवं संघ की गतिविधि तेज करने का प्रयास शुरू हो गया है। जिला यूनिटों को सशक्त किया जाएगा।

राजधानी तक में सुविधा नहीं

राज्य में वेटलिफ्टिंग हाशिए पर है। आलम यह है कि यहां राजधानी पटना में भी मौलिक सुविधा नहीं है। इसके लिए स्लैब और रबरमैट की जरूरत है। यदि चैम्पियनशिप की बात छोड़ दें तो अभ्यास के लिए समुचित व्यवस्था ही नहीं है। इसके लिए बारबेल, बम्पर प्लेट्स, काम्पटीशन आयरन प्लेट, टेप, जूते आदि की जरूरत होती है। यदि स्लैब और रबरमैट न हो तो फ्लोर ही टूटने का खतरा होता है। प्रेसिडेंट अरूण कुमार केशरी स्वंय स्वीकार करते हैं कि राजधानी तक में इसकी कमी है।

डिसीप्लीन से बढ़ेंगे आगे

बिहार में अब तक वेटलिफ्टिंग की प्रतियोगिताएं कैटेगरी वाइज नहीं होती थीं। प्रतियोगिताओं में छोटे या सुदूर जिलों का प्रतिनिधित्व ही नहीं था। इस समस्या को दूर करने के लिए संघ ने अपने स्तर पर मीटिंग कर निर्देश जारी किया है। इस बारे में प्रेसिडेंट अरूण कुमार केशरी ने कहा कि अब सीधे राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में खिलाड़ी नहीं खेलेंगे। सभी जिला यूनिट अपने जिला स्तर पर प्रतियोगिताएं कराएंगे। इसके बाद ही वे स्टेट चैम्पियनशिप में हिस्सा ले सकेंगे। इसके अलावा आठ जिलों में मॉडल ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किया जाएगा।

कोच की मांग की गई

संघ की ओर से स्पोर्टस ऑथारिटी ऑफ इंडिया (साइ) से मांग की गई है वे राज्य में एक एनआइएस कोच उपल?ध कराएं, ताकि इसकी मानक तरीके से ट्रेनिंग की सुविधा सुनिश्चित की जा सके। उधर, संघ का यह भी प्रयास है कि जहां इक्यूपमेंट नहीं है, वहां संघ इक्यूपमेंट भी उपल?ध कराएगा।

वेटलिफ्टिंग की प्रतियोगिता में अच्छी डाइट बेहद जरूरी है। इसमें सामान्य खान-पान के साथ-साथ महंगे सप्लीमेंट का भी सहारा लेना अनिवार्य है। विशेष तौर पर प्रोटीन सप्लीमेंट प्राप्त करना। ये मसल्स बनाने में बेहद जरूरी है। इसके अलावा अच्छे कोच की गाइड में ट्रेनिंग लेकर ही बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है। यानि एक प्लेयर को तैयार करने में काफी लागत आती है। चार से पांच साल का समय भी देना होगा। लेकिन इस खेल के प्रति अन्य खेलों की तुलना में कम रूचि से इसमें प्रतिभाओं का निकला मुश्किल नजर आता है।

सरकार और संघ में तालमेल नहीं

सरकार खेल को कभी भी प्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा नहीं दे सकती है। यह तथ्य सरकारी बाबू भी जानते हैं लेकिन हमेशा ही मानो इगो की लड़ाई चलती रहती है। यही वजह है कि संघ और सरकार के बीच तालमेल का अभाव दिखता है। अभी हाल ही में खेलों के विकास को लेकर एक सेमिनार का आयोजन था, लेकिन इसमें किसी भी संघ को निमंत्रण नहीं था। यह बात समझाने के लिए काफी है। स्वंय प्रेसिडेंट अरूण कुमार केशरी चार दशकों से खेल से जुडे़ रहे हैं। इन्होंने दिल्ली कामनवेल्थ गेम्स में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर खेल का सफल संचालन कराया है, उपरोक्त बातों से सहमति जताते हैं।

वेटलिफ्टिंग की कटेगरी

सीनियर मेन - भ्म्, म्ख्, म्9, 77,8भ्, 9ब्, क्0भ् और क्0भ् केजी से अधिक

सीनियर वीमेन

ब्8,भ्फ्, भ्8,म्फ्,म्9,7भ् और 7भ् केजी से अधिक

यूथ कैटेगरी

भ्0, भ्म्, म्ख्, 9क्, 77, 8भ्, 9ब् और 9ब् से अधिक

अब तीन ग्रुप मे होगी प्रतियोगिता

सीनियर स्टेट चैम्पियनशिप (क्9 वर्ष से अधिक)

जूनियर स्टेट चैम्पियशिप (क्7 से क्9 वर्ष से तक)

यूथ स्टेट चैम्पियनशिप (अंडर-क्7 वर्ष)

वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता

स्नैच

क्लीन एंड जर्क

जब तक जिला स्तर पर और संपूर्ण राज्य स्तर पर वेटलिफ्टिंग के लिए समुचित सुविधा और जागरूकता नहीं होगी, इसे आगे बढ़ाना मुश्किल है। साथ ही सरकार और संघ के बीच एक अच्छा तालमेल की जरूरत भी है।

- अरुण केशरी, प्रेसिडेंट बिहार वेटलिफ्टिर्स एसोशिएशन

Posted By: Inextlive