हिमालय की पहाड़ी पर हर साल सैकड़ों लोग एवलॉन्च की चपेट में आकर बर्फ में दब जाते हैं और अपनी जान गवां बैठते हैं। ऐसे हालात के बावजूद हमारे बहादुर जवान जान जोखिम में डालकर देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं। बुधवार को हुए हिमस्‍खलन में एक जवान कई घंटो तक मौत से लड़ता रहा।


बैरक पर गिरी हजारो टन बर्फजम्मू-कश्मीर में बुधवार को कई जगह पर हिमस्खलन से सैकड़ो लोग बर्फ में फस गए। एक आर्मी बैरक भी हिमस्खलन की चपेट में आ गई। जिससे कई टनो बर्फ बैरक के ऊपर जा गिरी। बैरक के अंदर मौजूद सैनिक बर्फ में दब गए। मेजर श्री हरि कुगजी उस वक्त अपनी बैरक में ही थे। टनों बजनी इस बर्फ के नीचे दबे मेजर किसी तरह सांस ले पा रहे थे। बैरक पर गिरी बर्फ के नीचे फंसे मेजर लगातार बाहर निकलने की मशक्कत कर रहे थे। इस बीच मेजर के हाथ में संदूक में लगा ताला आ गया। ताले को पकड़ कर श्रीहरि लगातार बर्फ पर चोट करते रहे। लगातार हो रहे वार से बर्फ का कुछ हिस्सा टूट गया। उतने हिस्से से मेजर ने अपना हाथ बाहर निकाला। उंगली ने बचाई सैनकि की जान
मेजर श्रीहरि ने बर्फ में हुए उस छोटे से छेद से हाथ बाहर निकाला और अपनी अंगुलियां हिलानी शुरू कर दी। वह लगातार ऐसा करते रहे। इस दौरान बचाव कार्य में जुटी सेना ने मेजर की हिलती हुई उंगलियों को देखा। उन्हें बर्फ के नीचे से सकुशल बाहर निकाला। सोनमर्ग में हुए हिमस्खलन के दौरान बैरक पर गिरी बर्फ में 8 सैनिकों के दबने का अंदेशा था। मेजर अमित सागर इस हिमस्खलन में शहीद हो गए जबकि बाकि सैनिकों को आर्मी की बचाव टीम ने बर्फ से निकाल लिया है। बीते साल सियाचिन में भी कई जवान बर्फ के साये में हमेशा के लिए सो गए थे।

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Posted By: Prabha Punj Mishra