-घाटों के पत्थरों को जोड़ने वाले लोहे को चुराकर बेच रहे हैं नशेड़ी

-लॉक नहीं होने से टूट रही घाटों की सीढि़यां

VARANASI

केस-क्

चेतसिंह घाट की सीढि़यां और चौड़ा चबूतरा बेहद आकर्षक है। उधर से गुजरने वाला हर शख्स वहां थोड़ी देर रुककर गंगा के सुंदर तट को निहारता जरूर है। लेकिन इस घाट की सीढि़यां ध्वस्त हो रही हैं। एक के बाद एक उनके आपस में जुड़ाव खत्म हो रहा है। क्योंकि उनको जोड़ने वाले लोहे के लॉकिंग चोरी हो गए हैं। बाढ़ के दौरान गंगा की तेज लहरों के थपेड़े सीढि़यों को पत्थरों को झकझोर दे रहे हैं।

केस-ख्

मोक्षदायिनी गंगा के तट पर मौजूद श्मशान हरिश्चंद्र घाट की सांसें भी टूटने लगी हैं। घाट के पत्थरों को आपस में जोड़कर स्थायित्व देने वाले लोहे को नशेड़ी चोरी कर ले गए हैं। हर साल बाढ़ के दौरान वेग से बहने वाली गंगा इन पत्थरों को एक-दूसरे से अलग कर रही है। अभी तक इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया है। सीढि़यों को जोड़कर फिर से मजबूती देने का कोई उपाय नहीं किया जा रहा है।

गंगा के सुंदर घाट खतरे में हैं। ऊपर दिए केस ये बता रहे हैं। सभी घाटों को भारी भरकम बलुआ पत्थरों से पक्का बनाया गया है। बाढ़ के दौरान विनाशकारी गंगा की लहरों से इन्हें बचाने के लिए सभी पत्थरों को एक-दूसरे से मोटे-मोटे लोहे के लॉक के जरिए जोड़ा गया है। नशेड़ी इनको चुरा ले जा रहे हैं। बाढ़ के दौरान लहरों के तेज थपेड़ों को पत्थर बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। अपने स्थान से खिसक जा रहे हैं जिसके घाट बैठने लगे हैं। इस ओर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया है। इसलिए घाटों को बचाने का कोई उपाय नहीं किया जा रहा है।

चंद रुपयों के लिए बड़ा नुकसान

गंगा के घाट नशे का बड़ा अड्डा बन चुके हैं। स्थानीय से लेकर विदेशी तक अपनी नशे की लत को पूरा करने के लिए जमे रहते हैं। नशीला पदार्थ खरीदने के लिए नशेड़ी ही घाट के पत्थरों को जोड़ने वाले लोहों को चुरा रहे हैं। लोहे के लॉक काफी मोटे और भारी होते हैं। आठ-दस का वजन ही एक किलो से ऊपर हो जाता है। कबाड़ी के पास इसे बेचकर सौ-दो सौ रुपये हासिल कर लेते हैं। इससे उनके दिन भर के नशे का जुगाड़ हो जाता है। लोहा चोरी करने वाले इसे रात में अंजाम देते हैं। बाकायदा आरी, छेनी, हथौड़ा से इसे निकालते हैं। ज्यादातर ये काम रात में करते हैं। इससे आसपास के लोग चाहकर भी उन्हें रोक नहीं पाते हैं।

हो रहा भारी नुकसान

पत्थरों को आपस में जोड़ने वाला लोहा निकालने का भारी नुकसान घाटों को हो रहा है। कछुआ सैंक्चुरी की वजह से गंगा में ड्रेजिंग नहीं हो रही है। एक तरफ बालू जमता चला रहा है। इससे बाढ़ के दौरान गंगा का वेग घाटों की तरफ तेज होता जा रहा है। लहरों के थपेड़े बिना लॉक के पत्थर देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। वो अपने स्थान से हटने लगते हैं। इससे घाट धंस रहे हैं। चेतसिंह, जानकी घाट, महानिर्वाणी घाट, हरिश्चंद्र घाट, केदार घाट समेत कई घाट जगह-जगह धंस रहे हैं।

घाटों को दुरुस्त करने का काम चल रहा है। पत्थरों को मजबूत बनाने के लिए जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। घाटों को टूटने से भी बचाने का उपाय किया जा रहा है।

श्री हरि प्रताप शाही

नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive