आई-रिएलिटी चेक

सालों बेरुखी के थपेड़े झेल रहे हम दरकते पत्थरों को यूं नजरअंदाज करोगे तो इमारत को खंडहर बनने में वक्त नहीं लगेगा।

आई नेक्स्ट एक्सक्लूसिव

-मेरठ की संरक्षित धरोहर शाहपीर मकबरा विश्व धरोहर दिवस पर भी फांकता रहा धूल

-नहीं पहुंचा एएसआई का कोई अफसर या कर्मचारी

-नजरअंदाजी में दरक रहे ऐतिहासिक इमारत के पत्थर

अखिल कुमार

Meerutवो दीवार आज के इंतजार में सालभर से थी। वो नहीं आए, जिनका इंतजार था। ऐतिहासिक शहर मेरठ के एकमात्र संरक्षित स्मारक तक जाने की जहमत नहीं उठाई आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के हुक्कमरानों ने। पूछा तो दलील दे दी कि हम तो हर साल एक ही जगह पर जाते हैं। इस बार सहारनपुर के बादशाही बाग जाकर झाडू-पोछा किया।

हम जिक्र कर रहे हैं ऐतिहासिक इमारत शाहपीर की दरगाह का। यही एक इमारत मेरठ शहर में पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित इमारत है। सोमवार को विश्व धरोहर दिवस पर एएसआई समेत इतिहास के जरिए 'कमाने' वालों ने भी उधर रुख नहीं किया। आई नेक्स्ट की टीम वहां जरूर पहुंची।

नहीं पहुंचा कोई

दोपहर करीब तीन बजे हापुड़ अड्डे से बोर्ड को पढ़ते हुए टीम संकरे रास्ते से मकबरे में दाखिल हुई। यहां टीम का इस्तकबाल शाहपीर के 13वीं पीढ़ी के वंशज पीरजादा सैय्यद अहमद अली ने किया। पूछा कि कोई आया नहीं? सर्द जबाव में वे बोले-अजी यहां तो चौकीदार भी नहीं है। कोई नहीं आया। हालांकि दरगाह पर अकीदतमंदों का आनाजाना लगा था।

चमत्कारी थे शाहपीर

पीरजादा अहमद अली ने बताया कि उनके बुजुर्ग शाहपीर (978-1042 हिजरी) हाफिज-ए-कुरान थे। जिस समय वे पैदा हुए थे, उनका रोजा था। ताया ने दूध पिलाने की कोशिश की, उन्होंने नहीं पिया, शाम को इफ्तार के बाद ही दूध पिया। वे (शाहपीर) एक दिन छोड़कर दूध पीते थे। बादशाह जहांगीर और नूरजहां उनके मुरीद थे। इंतकाल के बाद नूरजहां ने मकबरे को बनवाया था, सियासी हालातों के चलते मकबरे को पूरा नहीं किया जा सका, छत अभी भी खुली है। यहां आकर सबकी मुरादें पूरी होती हैं।

दरक रही दीवार

पीरजादा ने बताया कि मकबरे की मुख्य इमारत के पत्थर दरक रहे हैं। कुछ दिन पहले एक बड़ा पत्थर टूट कर गिरा। बेहतरीन नक्काशी ध्वस्त हो रही है और 'जिम्मेदार' नजरअंदाज बने हैं। उन्होंने बताया कि रखरखाव का काम खुद करते हैं। चौकीदार भी नहीं है, बाउंड्री न होने से जानवर घुस आते हैं। इमारत के पत्थर टूट रहे हैं। पांच साल पहले कुछ काम हुआ था, उसमें भी जमकर घालमेल हुआ। परिसर के एक तरफ तत्कालीन पत्थर पड़ा था जिससे इमारत को पूरा किया जाना था।

एक जगह जाते हैं

इस बाबत एएसआई के सबसर्किल मेरठ के संरक्षण सहायक अंकित कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि 11 जनपदों के स्मारक सबसर्किल के अंडर में है। हर बार विश्व धरोहर दिवस पर एक मॉन्यूमेंट में एक्टीविटीज होती हैं। इस बार सहारनपुर के बादशाही बाग में विभाग की ओर से स्वच्छता अभियान चलाया गया है। शाहपीर के मकबरे की दरक रहीं दीवारों पर उनका कहना है कि प्रस्ताव बनाकर भेजा है, पता नहीं कितना और कब पास होगा?

Posted By: Inextlive