गांधी बाग से अच्छे कॉलोनियों के पार्क हैं
- मूवी शो नहीं मुसीबतों का शो है गांधी बाग
- बोले विजिटर्स- यहां तमाम खामियां, गांधी बाग से ज्यादा अच्छा कॉलोनी का पार्क है - सोशल मीडिया पर भी शेयर कर रहे तकलीफ, सुविधाएं जीरो मेरठ। गांधी बाग में चिल्ड्रन पार्क के नाम पर हमें उल्लू बना दिया। यहां ऐसा कुछ नहीं हैं जिससे इम्प्रेस हो सके। इससे अच्छा तो हमारी कॉलोनियों के पार्क हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि शहर के छोटे-छोटे बच्चे कह रहे हैं। चिल्ड्रन पार्क विजिट करने आने वाले अधिकतर लोगों का यही कहना है। यही नहीं लोग सोशल मीडिया पर भी एक-दूसरे को गांधी बाग न जाने की सलाह दे रहे हैं। इस संबंध में जब कैंट बोर्ड के अधिकारियों से कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। यह है मामलाहाल फिलहाल में शुरु किए गए चिल्ड्रन पार्क में विजिटर्स को यहां फन कम मुसीबत ज्यादा झेलनी पड़ रही है। गुरुवार को शुरु हुए मूवी शो के दौरान भी यहां लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। विजिटर्स का साफ कहना है पेड़ होने के बाद भी यहां सुविधाएं और मैंनटेंस जीरो ही है।
कीचड़ में झूलेगांधी बाग के चिल्ड्रन पार्क में लगे झूलों के नीचे कीचड़ जमा हैं। झूला झूलने आने वाले बच्चों के कपड़े कीचड़ की वजह से गंदे हो जा रहें हैं।
----------- पार्किंग में लूट वाहनों से आने वाले लोगों के लिए यहां पार्किंग में कोई व्यवस्था नहीं हैं। एक ही पर्ची से दो वाहनों की पर्ची काट रहे हैं। ऐसे में किसी का व्हीकल कोई दूसरा भी लेकर जा सकता है। ------------- प्रॉपर लाइटिंग नहीं चिल्ड्रन पार्क में शाम होते ही अंधेरा हो जाता है। यहां झूलों के पास भी रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं है। अंधेरे में बच्चों के गिरने का डर बना हुआ है। बोटिंग में खतरा बोटिंग करने आने वाले लोगों का कहना है कि पानी बहुत ज्यादा उथला है। दूसरा यहां बोट भी हल्की है। बोटिंग करने जाओ तो कपड़े भीग जा रहे हैं। कई बार तो गिरने का खतरा भी बन जा रहा है। ------------- पब्लिक कोट्स गांधी बाग में सिक्योरिटी नहीं हैं। बच्चे झूले से गिर सकते हैं। किसी के साथ कोई हादसा हो जाएं तो कौन जिम्मेदार होगा। इससे अच्छा तो हमारे कॉलोनी का पार्क है। सोनू शर्मा --------गांधी बाग में मूवी शो के बारे में सुन रहे थे। जब देखने गए तो कुछ खास नहीं मिला। टाइम ही वेस्ट हुआ। बस नाम ही कर रहे हैं। सुविधां कुछ नहीं है।
अंजलि चौधरी सब कुछ आधा अधूरा है। मिसमैनेजमेंट की हद की हुई है। जिस हिसाब से एंट्री फीस वसूल रहे हैं देखने-दिखाने के लिए कुछ नहीं है। मोनिका