150 करोड़ रुपए के आर्थिक नुकसान ही आशंका है मेरठ की इंडस्ट्रीज को

300 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट लॉकडाउन से प्रभावित

- 1 लाख से अधिक मजदूर और कारीगर घर पर बैठे हैं

- 50 प्रतिशत ही कर्मचारी ईएसआई में है रजिस्टर्ड

- 70 हजार से अधिक कैंची उद्योग से जुड़े कर्मचारियों पर खानपान का संकट

- 39 करोड़ से अधिक नुकसान की आशंका है कैंची इंडस्ट्रीज को

- करोड़ों के उद्योग प्रभावित, स्पो‌र्ट्स से लेकर कैंची उद्योग बदहाल

- रैपिड रेल से लेकर बिगड़ी एजूकेशन सेशन की चाल

Meerut । कोरोना वायरस के खौफ के चलते देशभर में लॉकडाउन घोषित किया जा चुका है। इसका सबसे ज्यादा असर उद्योग पर पड़ा है। लॉकडाउन के कारण जिले के उद्योग धंधे बुरी तरह प्रभावित हो गए हैं। ऐसा कोई छोटा या बड़ा उद्योग व्यापार नहीं है जो कोरोना के इस दंश से प्रभावित ना हो रहा हो। इतना ही नही शहर की इंडस्ट्रीज से जुडे़ हजारों लेबर भी कोरोना के कारण सड़क पर आ गए हैं। काम बंद होने से रोजी रोटी के लाले पड़ने लगे हैं। ऐसे में एक बड़ी संख्या में मजदूरों के हौसले भी टूटने लगे हैं। जिससे वो जैसे तैसे अपने घरों की ओर जाना चाहते हैं। वहीं इस लॉकडाउन के चलते स्कूलों के समर सेशन से लेकर क्लास, विवि से लेकर डिग्री कालेजों के एग्जाम सब कुछ प्रभावित हो गया है। कॉलेज के छात्र संशय में है कि क्या होगा कैसे सिलेबस पूरा होगा।

150 करोड़ के नुकसान का अनुमान

अभी केवल 21 दिनों के लॉकडाउन की बात करें तो मेरठ की इंडस्ट्रीज को करीब 150 करोड़ रुपए के आर्थिक नुकसान ही आशंका है। इसमें सबसे अधिक स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्रीज को नुकसान होगा.इसका करीब 100 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट इस लॉकडाउन से प्रभावित हो चुका है। उद्योगों से जुड़े करीब एक लाख से अधिक मजदूर और कारीगर घर पर बैठे हैं। इसमें से करीब 50 प्रतिशत ही ईएसआई में पंजीकृत हैं, बाकि के लिए प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ मिलना भी मुश्किल हैं। ऐसे में उद्योगपतियों ने अपनी लेबर को वेतन और हर संभव मदद देने के लिए व्यवस्थाएं बनाई हुई हैं, लेकिन इसके बाद भी असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हजारों मजदूरों ने शहर से पलायन शुरू कर दिया है। इससे भी इंडस्ट्रीज में लेबर समस्या भी आने की आशंका है।

केमिकल इंडस्ट्रीज को नुकसान

वहीं, उद्योगपतियों के अनुसार फूड और केमिकल इंडस्ट्रीज को इस लॉक डाउन के दौरान रॉ मैटेिरयल का काफी नुकसान झेलना पडेगा। अधिकतर फूड और केमिकल इंडस्ट्रीज में लाखों रुपए के ऐसे केमिकल व पेस्ट रखे हैं जो 25 डिग्री से ऊपर तापमान में खराब हो जाएंगे। इस नुकसान की भरपाई नही हो सकेगी।

कैंची की धार पर जंग

वहीं शहर के प्रमुख कैंची इंडस्ट्रीज और उससे जुडे़ करीब 70 हजार से अधिक कर्मचारियों पर खानपान का संकट तक मंडराने लगा है। 70 हजार में से मात्र 30 प्रतिशत सेलरी बेस कर्मचारी है, बाकी रोजाना कमाने वाले मजदूर हैं। लॉक डाउन ने इन लेबर को अधर में लटका दिया है। कैंची इंडस्ट्रीज को कोरोना के 21 दिनों में करीब 39 करोड़ से अधिक नुकसान की आशंका है जो कि आगे और भी बढ़ सकता है।

विकास कार्यो पर ब्रेक

कोरोना वायरस ने शहर की सड़कों के विकास कायरें पर अनिश्चितकालीन समय के लिए ब्रेक लगा दिया है इसके चलते लोक निर्माण विभाग की करीब 47 करोड़ की योजनाओं पर रोक लग गई है। इसमें नाबार्ड व राज्य योजना और राज्य सड़क निधि के तहत सड़कें भी शामिल हैं। इसके तहत राज्य मार्गो, प्रमुख जिला मागरें, अन्य जिला मागरें व ग्रामीण मागरें पर मरम्मत व नवीनीकरण कराने के लिए लोक निर्माण विभाग ने शासन को जिला कार्य योजना के प्रस्ताव भेजे थे। इसमें प्रांतीय खंड को 16 करोड़ व निर्माण खंड (भवन) को 3.12 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गई थी वहीं, राज्य योजना व राज्य सड़क निधि के तहत करीब 28 करोड़ के कार्य भी ठप हो गए हैं।

ये निर्माण कार्य हुए बंद

- सोफीपुर लावड़ मार्ग - 16 किमी - 10 करोड़

- सरधना नानू मार्ग नाबार्ड योजना के तहत - 6 किमी - 10 करोड़

- मोदीपुरम फ्लाईओवर से रुड़की रोड होते हुए मवाना रोड तक - 11.5 किमी - 4.77 करोड़

- जेल चुंगी विश्वविद्यालय रोड - एक करोड़

- मवाना फलावदा मार्ग - 14.400 किमी - 4 करोड़

- मवाना-किठौर-हापुड़ मार्ग - 5 किमी - 1.5 करोड़

- सिवाया भराला मार्ग- 4.4 किमी - 5.5 करोड़

- दौराला मसूरी मार्ग - 12 किमी - 2.35 करोड़

- लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड - 16 करोड़

- लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड (भवन) - 3.12 करोड़

थमा 45 मिनट में सफर का सपना

दिल्ली से मेरठ का सफर मात्र 45 मिनट में पूरा कराने के लिए जून-2020 तक एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पूरा किया जाना है। लेकिन लॉक डाउन के कारण रैपिड और एक्सप्रेसवे का कार्य पूरी तरह बंद हो गया है। लेबर तैनात है लेकिन काम ना चलने से विकास कार्य रुक गया है। जिससे एनएचएआई और एनसीआरटीसी की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। वहीं, जिस तेजी से रैपिड रेल का कार्य किया जा रहा था, उससे लग रहा था कि वर्ष-2023 में परतापुर तक रैपिड रेल का संचालन शुरू हो सकता है लेकिन अब 2023 में कार्य पूरे होने की संभावना कम है।

कई स्थानों पर कार्य अधूरा

चौथे चरण के मेरठ से डासना तक के कई स्थानों पर एक्सप्रेसवे का कार्य अधूरा है। अब इसे तय समय सीमा पर पूरा करना चुनौती होगा। मेरठ से डासना के बीच मिट्टी की लेवलिंग कर अंडरपास को जोड़ा जाना है। वहीं मेरठ से डासना के बीच 32 किमी में 100 से अधिक अंडरपास बनाए जाने बाकी हैं।

एचूकेशन सेक्टर का बुरा हाल

वहीं लॉक डाउन पीरियड के दौरान प्ले स्कूल से लेकर डिग्री कॉलेज और विवि स्तर का सेशन लेट होने की संभावनाएं बढ़ गइ हैं। विवि की कई परीक्षाएं लंबित हैं। यहां तक की बोर्ड परीक्षाएं भी अधर में अटकी हैं।

सेशन हो सकता है लेट,

लॉक डाउन के चलते स्कूलों पर भी सेशन लेट होने का खतरा मंडराने लगा है। यही नहीं समर वेकेशंस को लेकर भी संशय है। स्कूल संचालकों का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से कुछ बोर्ड एग्जाम भी पोस्टपोन हो गए हैं। हालांकि बोर्ड ने सभी स्कूलों को ऑनलाइन पढ़ाई के निर्देश दिए हैं।

ऑनलाइन कंटेट तैयार

बंद की वजह से बच्चों की पढाई डिस्टर्ब न हो इससे बचने के लिए स्कूल ऑनलाइन क्लासेज चला रहे हैं। कई स्कूलों में ऑनलाइन कंटेंट भेजकर बच्चों का कोर्स पूरा करा रहे हैं। जबकि कुछ स्कूलों में वीडियो कांफ्रेसिंग से पढ़ाई हो रही है। कई स्कूल व्हाट्सऐप के जरिए सिलेबस और होमवर्क भेज रहे हैं।

बोर्ड परीक्षाओं अटकी

10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षाएं लॉक डाउन की वजह से अटक गई है। स्कूल संचालकों का कहना है कि 15 अप्रैल के बाद ही कि सही स्थिति क्लीयर होगी। उसके बाद अगर स्कूल खुलते हैं तो डेटशीट बनाने और एग्जाम कराने में ही समय लगेगा। मूल्यांकन भी होगा। इसमें मई का पूरा महीना लग जाएगा। जबकि जून में रिजल्ट जारी हो सकता है। इसके साथ ही स्कूलों में एडमिशन का सिलसिला चलेगा।

कम हो सकती है वेकेशंस

लॉक डाउन का सीधा असर इस बार समर वेकेशंस पर भी पड़ सकता है। स्कूलों का कहना है कि पहले ही सेशन लेट हो गया है। पूरे साल 150 दिन का शैिक्षक कैलेंडर फॉलो करना पड़ता है। कांवड़ की छुट्टियां , दिवाली-दशहरा की छुटिटयां, विंटर वेकेशन आदि के चलते पहले ही कोर्स पूरा करने में दिक्कत आती है। ऐसे में फिलहाल की स्थिति में समर वेकेशन को कम करने की योजना स्कूल संचालक बना रहे हैं।

पेपर हुए लेट

जहां यूजी और पीजी की परीक्षाएं अप्रैल में खत्म हो जाती थी वहीं इस बार कोरोना के चलते शब्द परीक्षाएं 15 अप्रैल तक बीच में स्थगित कर दी गई है। ऐसे में सभी परीक्षाएं से समाप्त होंगी वही ही मूल्यांकन भी बीच में ही रोक दिया गया है। इससे मूल्यांकन होने में भी इस बार देरी होगी।

आएंगे रिजल्ट लेट

मूल्यांकन में देरी होने के कारण सभी रिजल्ट आने में भी इस बार देनी होगी। मूल्यांकन जो कभी मई तक खत्म हो जाया करता था जून तक सभी रिजल्ट भी आ जाया करते थे। अब अगर नहीं हुआ तो फिर रिजल्ट कैसे आएंगे। इससे एडमिशन भी लेट हो जाएंगे। इससे सेशन लेट हो जाएंगे।

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वर्जन

अभी यह लॉक डाउन 21 दिन है लेकिन इस 21 दिन में ही इंडस्ट्रीज करोड़ों का नुकसान झेलेगी। हम इस नुकसान की भरपाई के लिए शासन और सरकार से मांग कर रहे है कि कुछ योजनाएं बनाएं और इंडस्ट्रीज के नुकसान को कम करने में मदद करे। इसके लिए हमने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है जिसमें उद्योगों के लिए विशेष् आर्थिक पैकेज, मेडिकल इमरजेंसी के तहत ईएसआई में अंशदान, बिजली के फिक्स चार्ज से छूट आदि मांग की गई हैं।

- अनुराग अग्रवाल, आईआईए चेयरमैन

21 दिन के लॉकडाउन से स्पो‌र्ट्स और फिटनेस उपकरणों का एक्सपोर्ट पूरी तरह रुक गया है। दूसरे देशों में पूरी तरह बंदी के कारण माल नहीं जा रहा है करीब 100 करोड़ का माल मेरठ में ही रुका है।

- अंबर आनंद, नेल्को स्पोटर्स

करीब 40 करोड़ तक के नुकसान की आशंका है। लेबर के लिए भी विषम परिस्थितियां हैं। हम लगातार लेबर के लिए प्रयासरत है कि उन्हें परेशानी न हो।

- शरीफ अहमद, कैंची एसोसिएशन अध्यक्ष

अभी हालात सामान्य नहीं हैं। स्कूल कब तक बंद रहेंगे कुछ कहा नहीं जा सकता है। इस बार छुट्टियां कम करनी पड़ सकती हैं। जबकि संडे में भी क्लासेज करनी पड़ सकती हैं।

- राहुल केसरवानी, सहोदय अध्यक्ष

Posted By: Inextlive