पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावना वाले ग्रहों को खोजने की दिशा में साइंटिस्ट्स ने एक कदम और आगे बढ़ाया है. उन्होंने सौर मंडल के बाहर एक ऐसा ग्रह मिलने का दावा किया है जिस पर भविष्य में जीवन संभव हो सकता है. इस ग्रह को नाम दिया गया है : केपलर 22बी.


साइंटिस्ट्स ने इस ग्रह को स्पेस टेलीस्कोप केपलर की मदद से खोजा है. इसे पहली बार 2009 में देखा गया था, लेकिन अब नासा के साइंटिस्ट्स ने पहली बार इसके पृथ्वी के समरूप होने की पुष्टि की है.केपलर 22बी 600 प्रकाश वर्ष दूर है. यह पृथ्वी से 2.4 गुना बड़ा है. इसका तापमान 22 डिग्री सेंटीग्रेट है. यह पृथ्वी की समानताओं वाले अभी तक खोजे गए ग्रहों में सबसे समरूप है. पृथ्वी अपने सूरज से जितनी दूर है उसके मुकाबले केपलर 22बी अपने सूरज से लगभग 15 परसेंट नजदीक है. इस तरह वहां एक साल 290 दिनों का होता है. वहां के सूरज में हमारे सूर्य के मुकाबले 25 परसेंट कम रोशनी है. इस वजह से इस ग्रह का तापमान बहुत ज्यादा नहीं है.

फिलहाल यह नहीं पता लग सका हैं कि केपलर 22बी ठोस, द्रव या गैस में से किससे बना है.


अब तक तीन..
साइंटिस्ट्स ने अभी तक ऐसे तीन ग्रहों की खोज की है, जिन पर भविष्य में जीवन की संभावना हो सकती हैं. इन्हें ‘एक्जोप्लैनेट’ नाम दिया गया है.

-इस साल मई में फ्रांसीसी साइंटिस्ट्स ने पृथ्वी जैसे ‘ग्लीज 581 डी’ नामक ग्रह की खोज की थी, जो हमसे 20 प्रकाश वर्ष दूर है. इसे पृथ्वी के द्रव्यमान का छह गुना बताया गया था.-उसके बाद अगस्त में स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों पृथ्वी से समानता वाले एक अन्य ग्रह का पता लगाया था. इसे ‘एचडी 85512बी’ नाम दिया गया था. यह 36 प्रकाश वर्ष की दूरी पर पाया गया था. इसका भार पृथ्वी के भार का 3.6 गुना है.मिले सबसे बड़े ब्लैक होलसाइंटिस्ट्स ने अब तक के सबसे बड़े दो ब्लैक होल का पता लगाया है, जो आकार में हमारे सूर्य से 10 अरब गुना बड़े हंै. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के खगोलविदों ने 30 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर मौजूद निहारिकाओं (गैलेक्सी) में दो विशालकाय ब्लैक होल का पता लगाया. इनसे पहले पाया गया सबसे बड़ा ब्लैक होल सूर्य से छह अरब गुना बड़ा बताया गया था. साइंस मैग्जीन ‘नेचर’ में पब्लिश रिसर्च में साइंटिस्ट्स ने कहा कि यह ब्लैक होल उन संरचनाओं से बने होंगे, जिनका निर्माण ब्रह्मांड की उत्पत्ति के समय हुआ होगा. ब्लैक होल का निर्माण विराट आकार वाले सितारों के बिखर जाने से होता है. यह एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां से प्रकाश तक बाहर निकल नहीं सकता.

Posted By: Vishesh Shukla