-सोशल साइट पर उठने लगे सरकार पर सवाल

-कहां खर्च हुए राहत कार्य के सात सौ करोड़

-फिर से शुरू हो गया नरकंकाल सर्च ऑपरेशन

DEHRADUN : केदारघाटी में एक वर्ष पहले आई भीषण त्रासदी के जख्म एक बार फिर से हरे हो गए हैं। पांच हजार से ऊपर मृतक लोगों के परिजन तमाम न्यूज चैनल्स पर दिखाए जा रहे यहां-वहां बिखरे मानव अस्थियों को देखकर द्रवित हैं। उनकी आंख एक बार फिर से नम हैं और सभी एक ही सवाल कर रहे हैं कि आखिर सरकार ने आपदा राहत के नाम पर सात सौ करोड़ रुपए से अधिक कहां खर्च कर किए? पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और उनके काबिल सचिवों की सोशल साइट पर जमकर खिंचाई शुरू हो चुकी है। मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत वैसे भी इन दिनों शारीरिक अस्वस्थता के चलते आराम कर रहे हैं।

फिर क्यूं मिल रहे नरकंकाल

आपदा की तारीख करीब आते ही आपदा के मारों का दर्द एक बार पुन: फूट पड़ा है। केदारनाथ रूट के जंगल चट्टी और अन्य स्थानों पर मानव अस्थियां मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। पुलिस कर्मी घने जंगलों की खाक छान रहे हैं, तो दूसरी ओर सरकार ने एक और नर कंकाल ढूंढ़ो टीम का गठन करने में देरी नहीं की। काश इतनी तत्परता वर्षभर पहले आपदा के तुरंत बाद दिखाई गई होती। सोशल साइट फेसबुक पर प्रदेश कांग्रेस सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। लोगों में गुस्सा कुछ इस कदर निकल रहा है कि जिम्मेदार अधिकारी व नेता अगर सामने मिल जाएं, तो पता नहीं क्या कर गुजरेंगे?

एक नहीं कई पोस्ट में नाराजगी

फेसबुक पर बेबाक लिखने के लिए मशहूर कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने सरकार द्वारा पूर्व में किए गए कार्यो पर जमकर सवाल उठाए। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और उनके नवरत्नों में सबसे करीबी माने जाने वाले अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा को कटघरे में खड़ा किया। एक साल बाद फिर से मिल रहे नरकंकालों को लेकर किए गए पोस्ट में जिम्मेदारों पर हत्या का मुकदमा चलाए जाने तक की बात की गई है। एफबी पर किए गए पोस्ट केवल लेख मात्र ही नहीं हैं इनके साथ कुछ पिक्स भी अपलोड की गई हैं, जिसमें मानव अस्थियों की दुदर्शा को बयां किया गया है। पोस्ट में जिक्र किया गया है कि आपदा के पैसों से सरकार के जिम्मेदार हवाई यात्रा कर रहे हैं।

मंत्री के बयान पर जनता भड़की

राज्य सरकार के एक मंत्री द्वारा दिए गए बयान पर भी जमकर प्रतिक्रिया अपलोड की जा रही है। गौरतलब है कि एक कैबिनेट मिनिस्टर ने नरकंकाल मिलने पर कहा था कि कौन सा पहाड़ टूट पड़ा कुछ मानव अस्थियां ही तो मिली हैं। इस पर कमेंट करने वालों ने कहा अगर मंत्री के घर से कोई मरा होता और उसकी लाश भी नहीं मिलती, तो आपका जवाब कुछ और होता। खैर इस एक बयान के बाद मंत्री ने कुछ और कहने का साहस नहीं किया। कहते भी कैसे, पूरे देश की जनता ने उन्हें जमकर कोसा है। खासकर उन परिवारों ने जिनके अपने आपदा में हमेशा के लिए खो गए।

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खूब उड़ रहे हैं अधिकारी

गुप्तकाशी के केदार -काशी हैलिपैड पर अगर किसी की सबसे अधिक चहलकदमी राज्य सरकार के अधिकारियों की रही, जिसमें अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा भी शामिल हैं। लाल रंग के सरकारी हेलिकॉप्टर में कई ऑफिसर्स को केदारघाटी उड़ते हुए देखा जा सकता है। गर्मी के मौसम में ठंड किसे रास नहीं आती। सवाल फिर वही है कि हवा में उड़ने की बजाए अगर जमीनी स्तर पर कार्य किया गया होता, तो शायद एक बार फिर से केदारनाथ रूट पर नरकंकाल मिलने का सिलसिला शुरू नहीं होता। डीआईजी संजय गुंज्याल के नेतृत्व में एक टीम का गठन फिर से कर दिया गया है, जिनके जिम्मे मानव अस्थियों को तलाशना है। मुख्य सचिव सुभाष कुमार भी हाल ही में केदारनाथ का दौरान कर वापस लौटे हैं।

Posted By: Inextlive