पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर कभी समझौता नहीं होगा। इसपर रूस ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मामले को उठाने में कोई दिलचस्पी नहीं रखता है।


इस्लामाबाद/नई दिल्ली (एएनआई)। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने सोमवार को कहा कि कश्मीर मुद्दे पर कभी समझौता नहीं होगा। यह बात उन्होंने मुजफ्फराबाद में नियंत्रण रेखा और संयुक्त सैन्य अस्पताल की अपनी यात्रा के दौरान कही। बता दें कि मुजफ्फराबाद पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी है। बाजवा ने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, 'किसी भी कीमत पर कश्मीर को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। हमारी शांति को कभी भी हमारी कमजोरी नहीं माना जाना चाहिए। हम अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए किसी भी दुस्साहस/आक्रामकता को विफल करने में सक्षम और पूरी तरह से तैयार हैं।'रूस को इस मामले में नहीं है दिलचस्पी
वहीं, भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के मुद्दे पर द्विपक्षीय रूप से चर्चा करने पर जोर देते हुए रूस ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में इस मामले को उठाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। एएनआई से बात करते हुए, रूस के उप राजदूत रोमन बाबुश्किन ने कहा, 'रूस की स्थिति स्पष्ट है और वह बदलने वाला नहीं है। हम इस स्थिति में हैं कि भारत और रूस के बीच किसी भी मुद्दे को शिमला समझौते और लाहौर घोषणा के अनुसार द्विपक्षीय आधार पर हल किया जाना चाहिए। हमें यूएनएससी सहित अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्मों में इस मुद्दे पर कोई दिलचस्पी नहीं है।टेंशन में पाकिस्‍तान, तीन साल के लिए बढ़ा पाक आर्मी चीफ जनरल बाजवा का कार्यकालचीन ने कश्मीर पर बैठक करने के लिए रखा था प्रस्तावचीन द्वारा यूएनएससी में कश्मीर के मुद्दे पर एक बैठक आयोजित करने के प्रस्ताव को रखने के कुछ दिनों बाद रूस के उप-राजदूत की यह टिप्पणी आई है। हालांकि, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस ने बैठक बुलाने के बीजिंग के प्रयास को विफल कर दिया। बता दें कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत हर जगह यही कह रहा है कि यह एक आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए। पाकिस्तान इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र में भी पहुंच गया था लेकिन वहां भी उसे सफलता हासिल नहीं हुई। भारत के इस फैसले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों ने उसका आंतरिक मामला बताया और इसका समर्थन भी किया है।

Posted By: Mukul Kumar