- ठगों के जाल में फंस इंश्योरेंस कंपनी के असिस्टेंट मैनेजर ने गंवाए हजारों

- जालसाज आरबीआई के फेक डोमेन से कर रहे मेल

- डिटेल अपडेट करने की भूल लगा सकती है चूना

- इंश्योरेंस कंपनी के असिस्टेंट मैनेजर ने गंवाए 75 हजार

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW: अगर आपकी मेल आईडी पर rbi.org की ओर से कोई मेल आया है और उसमें सेंट्रलाइज मॉनीटरिंग सेंटर में बैंक अकाउंट से रिलेटेड पर्सनल डाटा अपडेट करने को कहा गया है तो अलर्ट हो जाइये, यह रिजर्व बैंक की ओर से भेजा गया मेल नहीं बल्कि जालसाजों का फेंका जाल है। भूल से भी आपने इसमें एक बार भी अपने अकाउंट की पर्सनल डिटेल और पासवर्ड लोड किया तो आप हमेशा के लिये जालसाजों के निशाने पर आ जायेंगे और आपको एकाउंट में जमा रकम से भी हाथ धोना पड़ सकता है, रकम गायब होने के बाद अगर पुलिस से कोई मदद चाहते हैं तो पुलिस की साइबर क्राइम सेल भी शायद ही आपकी मदद कर पाये क्योंकि इन जालसाजों का ठिकाना कैरेबियन कंट्री केमैन आइसलैंड है।

ये गंवा बैठे 75 हजार रुपये

गोमतीनगर निवासी और एक मल्टीनेशनल इंश्योरेंस कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर संतोष गिरि की मेल आईडी पर हाल ही में आरबीआई की ओर से एक मेल आया, मेल में बताया गया था कि रिजर्व बैंक ने मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिये एक सेंट्रलाइज्ड मॉनीटरिंग सेंटर बनाया है, इस सेंटर में देश के सभी बैंकों के अकाउंट होल्डर्स का डाटा बेस अपडेट किया जा रहा है, मेल में एक लिंक दिया गया था और साथ ही इसके जरिये बैंक के पेज पर जाकर अकाउंट और उससे रिलेटेड सारी इन्फॉर्मेशन लोड करने की हिदायत भी दी गई थी, ऐसा न करने पर नेट व मोबाइल बैंकिंग को ब्लॉक करने की भी धमकी दी गई थी, संतोष ने दिये गये लिंक पर क्लिक किया और आरबीआई फाइनेंशियल सर्विसेज के पेज पर पहुंच गए, इस पेज पर कई बैंकों का पेज अवलेबल था, उन्होंने पीएनबी के पेज पर क्लिक किया तो उसमें उनके अकाउंट नंबर, मोबाइल नंबर, पासवर्ड, एटीएम नंबर, सीवीवी कोड और पिन नंबर लोड करने का निर्देश था। संतोष ने मेल में दिये गए निर्देशों का पालन किया और अपनी सारी डिटेल लोड कर दी। बस फिर क्या था, उनके बैंक अकाउंट में मौजूद 75 हजार रुपये पलक झपकते ही गायब हो गए। ट्रांजेक्शन अलर्ट एसएमएस देख उनके होश उड़ गए। उन्होंने फौरन बैंक से संपर्क किया लेकिन, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आखिरकार संतोष ने साइबर क्राइम सेल के नोडल ऑफिसर डीएसपी अशोक कुमार वर्मा से की। फिलहाल साइबर सेल टीम मामले की जांच कर रही है।

देशी के साथ विदेशी बैंक भी

जालसाजों की इस वेबसाइट पर देश के सभी नेशनलाइज्ड बैंक के साथ ही प्राइवेट बैंक और यहां तक कि विदेशी बैंकों के पेज भी अवलेबल हैं, रिजर्व बैंक की इस फेक वेबसाइट में ऐसे 40 बैंकों के पेज अवलेबल हैं, जिन पर क्लिक करते ही कंज्यूमर उस बैंक की असली वेबसाइट पर पहुंच जाता है, पर चूंकि वह फेक वेबसाइट से होते हुए इस वेबसाइट पर पहुंचा है। इसलिये शिकार जैसे ही अपनी पर्सनल डिटेल लोड करता है। वह डिटेल खुद ब खुद जालसाजों के हाथ लग जाती है।

केमैन आइसलैंड में होस्ट हैं वेबसाइट

साइबर एक्सपर्ट सचिन गुप्ता ने बताया कि जालसाजों ने पकड़े जाने से बचने के लिए कैरेबियन कंट्री केमैन आइसलैंड स्थित सर्वर में इस डोमेन व साइट को होस्ट कराया है। देश से बाहर होस्ट सर्वर होने की वजह से एजेंसीज को इसे होस्ट करवाने वाले जालसाज के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती। जिसके चलते इन पर कार्रवाई करीब-करीब नामुमकिन है।

लोगों को समझना होगा कि आपका बैंक कभी भी किसी भी कंज्यूमर की बैंक डिटेल मेल या कॉल के जरिए नहीं मांगता। इसलिए अपनी डिटेल किसी से भी शेयर न करें।

- अशोक कुमार वर्मा

नोडल ऑफिसर

साइबर क्राइम सेल, लखनऊ

Posted By: Inextlive