सोचिए वरना, हर सांस को होंगे मोहताज
गै्रप का नहीं हो रहा है अनुपालन, धड़ल्ले से तोड़े जा रहे नियम
मेरठ में प्रदूषण का स्तर खतरनाक, सांस लेना भी मुश्किल शहर में सरेआम दुकानों पर खुले में बिक रहा बिल्डिंग मैटेरियल Meerut : मेरठ की आबोहवा जहरीली हो रही है और जिम्मेदार सो रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर समेत मेरठ में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू तो है, किंतु इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) के आदेशों को भी मेरठ में ठेंगा दिखाया जा रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने मेरठ में ग्रैप का रियलिटी चेक किया तो खुलासा हुआ कि यह एक्शन प्लान तो सिर्फ कागजों में है। धरातल पर तो आज भी हालत जस के तस हैं। बढ़ रहा पॉल्यूशन लेवलमेरठ में पॉल्यूशन का लेवल गत दिनों से बढ़ा रिकार्ड किया गया। पीएम 10 का लेवल 129 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था तो वहीं पीएम 2.5 का लेवल 69 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के नियमों को देखें तो यह स्थित खतरनाक है। प्रदूषण का लेवल 'विस्फोटक' न हो इसके लिए ग्रैप में हर लेवल पर सख्त कानून बनाए हैं किंतु इन कानूनों का पालन नहीं हो रहा है। गत दिनों मेरठ में ईपीसीए के अध्यक्ष भूरेलाल ने मेरठ का दौरा कर अधिकारियों को पॉल्यूशन कंट्रोल करने के निर्देश भी दिए किंतु स्थिति जस की तस है।
यहां जल रही है पराली हरियाणा-पंजाब की पराली पर तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत देश की शीर्ष निगरानी समितियों की नजर में है, किंतु मेरठ में पराली को जलने से कौन रोकेगा? आलम यह है कि मेरठ एवं आसपास के एरिया में धड़ल्ले से पराली जलाई जा रही है। बिजली बंबा बाईपास रोड पर पराली को जलती मिली, जबकि एक्शन प्लान में यह दंडनीय है। खुले में पड़ा बिल्डिंग मैटेरियल मेरठ के बिल्डिंग मैटेरियल के थोक बाजार टीपी नगर में ट्रकों के टायर से उठ रही धूल ही कुछ कम थी कि सड़क किनारे पड़ा बिल्डिंग मैटेरियल और उसकी डस्ट जानलेवा साबित हो रही है। इस मार्केट में ज्यादातर दुकानों का मैटेरियल बाहर सड़क पर बिखरा रहता है और दिनभर धूल के गुबार उठते रहते हैं। नगर निगम की ओर से बिल्डिंग मैटेरियल के इस मार्केट को हटाने के प्रयास नहीं किए गए। जल रहा कूड़ानगर निगम द्वारा शहर के विभिन्न स्थानों पर धड़ल्ले से कूड़ा जल रहा है। देखा गया है कि डलावघर और डस्टबिन में कूड़े में आमतौर पर नगर निगम के कर्मचारी ही आग लगाते हैं। गत दिनों कूड़ा जलाने पर ईपीसीए ने नगर निगम पर 25 लाख का जुर्माना भी ठोंका था किंतु आज भी कूड़ेदानों में कूड़ा सुलगता ही मिलता है।
इस धूल से दिलाओ निजात शहर के सघन क्षेत्र हापुड़ रोड पर आजकल जल निगम द्वारा सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा है। इस सीवर लाइन को बिछाने के लिए सड़क और फुटपाथ को खोदा जा रहा है। यहां से उठने वाली डस्ट आने-जाने वालों को बीमार कर रही है किंतु इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान -कूड़ा जलाने पर पूर्णत: प्रतिबंध। -कंट्रक्शन कार्य में लैंड फिलिंग पर रोक, एक स्थान से दूसरे स्थान पर मिट्टी का ले जाने पर भारी फाइन। -प्रदूषण नियंत्रण मानकों के तहत कारखानों का संचालन, ईट भट्ठों के संचालन पर रोक। -पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की मॉनीटरिंग में थर्मल पॉवर प्लांट का संचालन। -सड़क पर भारी वाहनों से उठने वाली धूल को दबाने के लिए पानी का छिड़काव, निर्माणाधीन सड़क पर भी हर दो दिन में पानी का छिड़काव। -धुआं छोड़ रहे वाहनों के संचालन पर रोक और पकड़े जाने पर हैवी फाइन।-पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल के मानकों का अनुपालन और तोड़ने पर सजा।
-कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी में डस्ट कंट्रोल और जिन साइट्स पर डस्ट कंट्रोल न हो सके उनपर रोक। -चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस की अतिरिक्त तैनाती, जिससे कि ट्रैफिक का संचालन स्मूथ हो। -सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में पटाखों पर रोक आदि। गत वर्षो में वर्ष (22 अक्टूबर) पीएम 2.5 पीएम 10 2019 69 129 2018 79 144 2017 73 135 2016 83 1762015 77 148
मानक-माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर है। पीएम 2.5 का लेवल ब्लो 60 आइडियल है, जबकि पीएम 10 का लेवल अंडर 100 होना चाहिए। --- क्या है स्मॉग स्मॉग वायु प्रदूषण का एक प्रकार है। स्मॉग प्लस फॉग इज इक्वल टू स्मॉग का फार्मूला होता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार वायु में धुएं और कोहरे के मिश्रण है। स्मॉग का निर्माण तब होता है जब कारखानों, वाहनों, खेती, कोयला और ौधों को जलाने वाले धुएं मौजूद राख, सल्फर और अन्य हानिकारक रसायन कोहरे से मिलते हैं। इससे वायु प्रदूषण संबंधित कई बीमारियां हो जाती है। दिल्ली-एनसीआर समेत मेरठ में ग्रैप लागू है। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ-साथ सभी विभागों की प्रदूषण नियंत्रण में भूमिका है। एक्शन प्लान का कड़ाई से पालन किया जाएगा। कूड़ा जलने, डस्ट उठने पर संबंधित विभाग को एक्शन करना चाहिए। -आरके त्यागी, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मेरठ टैक्स विभाग की यह जिम्मेदारी होती है कि डस्ट, रेत आदि खुले में न बिके, इसके लिए समय-समय पर अभियान चलाकर जुर्माना भी वसूला गया है। साथ ही साथ कूड़ा जलाने वालों पर भी सख्त एक्शन लिया जा रहा है। -गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डस्ट पार्टिकल सांस के साथ बीमारी देते हैं। एलर्जी की समस्या हो सकती है। धूल और बैक्टरिया सांस के जरिए शरीर में जाकर एलर्जी, स्किन प्राब्लम व सांस की समस्या बढ़ा सकते है। डॉ। एमएस फौजदार, जिला टीबी अधिकारी