- पुराने लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों का हुआ कायाकल्प

- सीएम ने किया लोकार्पण, जनेश्वर मिश्र पार्क को मिली गंडोला नाव

- खूबसूरत लाइटों से सजाया गया हेरिटेज जोन, बढ़ेगा पर्यटन

LUCKNOW:ऐतिहासिक जगह घूमने के शौकीन लोगों को अब यूरोप के शहर जाने की जरूरत नहीं है। फ्रांसीसी, पर्शियन, तुर्की आदि दुनिया की बेहतरीन भवन निर्माण शैली से बनी पुराने लखनऊ की तमाम इमारतें और उसके आसपास का इलाका अब आपको वह शानदार अनुभव कराएगा, जिसके लिए दुनिया के तमाम ऐतिहासिक शहर जाने जाते हैं। जी हां, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत पुराने लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों का पूरी तरह कायाकल्प किया जा चुका है। सीएम ने रविवार को इसका लोकार्पण कर राजधानी की जनता को सौगात देने के साथ सूबे के पर्यटन को भी ऑक्सीजन देने का काम किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 'माई लक नाऊ कैम्पेन' बुक का विमोचन भी किया।

लजीज गली है तो लजीज चौक भी

पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद हेरिटेज जोन के तहत आने वाले ऐतिहासिक स्थलों छोटा इमामबाड़ा, सतखंडा, घंटाघर, हुसैनाबाद बारादरी, हुसैनाबाद संग्रहालय, कुडि़या घाट, रूमी दरवाजा, बड़ा इमामबाड़ा, शाही तालाब आदि जगहों का लखनऊ विकास प्राधिकरण ने रेनोवेशन किया है जिसके बाद इस पूरे इलाके का हुलिया ही बदल गया है। ऐतिहासिक इमारतों के रंग-रोगन के साथ उन्हें खूबसूरत लाइटों से सजाया गया है तो कोबाल पत्थरों की चौड़ी सड़कें बनाकर पर्यटकों को इलाके का इंटरनेशनल लुक देकर लुभाने की कवायद भी की गयी है। करीब एक किमी के दायरे में स्थित हर ऐतिहासिक इमारत जहां दिन में पर्यटकों को अपनी भव्यता से रूबरू कराएगी तो रात में रंगीन लाइटों की आभा उनकी खूबसूरती में चार चांद लगाकर लोगों को पुराने लखनऊ के नये अंदाज का नजारा देगी। खाने-पीने के शौकीनों के लिए लजीज गली और लजीज चौक का भी इंतजाम रखा गया है। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां बिरयानी, कबाब, चाट जैसी लखनऊ की मशहूर चीजों का पूरा इंतजाम होगा। घूमने के साथ खाने-पीने का सामान भी मिलेगा तो यहां ज्यादा लोग आएंगे।

हेरिटेज वॉक का लीजिए मजा

पुराने लखनऊ में हेरिटेज वॉक का शानदार अनुभव कराने के लिए चार किमी लंबा जॉगिंग ट्रैक बनाया गया है। इसके जरिए इलाके की सभी ऐतिहासिक इमारतों को आपस में जोड़ दिया गया है। वहीं पूरे इलाके की सड़कें कोबाल स्टोन से बनायी गयी हैं। इस तरह की सड़कें अभी तक यूरोप के ऐतिहासिक शहरों में भी देखने को मिलती थी। घंटाघर पर सिलिकॉन का कोट चढ़ाया गया ताकि बदलते मौसम का असर इमारत पर न पड़े। इसके अलावा घंटाघर तालाब में स्पेशल फाउंटेन भी लगाया गया है। इसके अलावा आठ कमरों का कम्युनिटी सेंटर भी बनाया गया है। इसमें हॉल और पार्किंग की सुविधा भी दी गयी है।

तीन सौ साल पुरानी इमारतें

पुराने लखनऊ में जिन इमारतों को रेनोवेट किया गया है वे करीब तीन सौ साल पुरानी हैं। नवाब आसफुद्दौला और नवाब वाजिद अली शाह के दादा मोहम्मद अली शाह ने इनका निर्माण कराया था। रखरखाव के अभाव में इनकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही थी। सपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने इसका कायाकल्प करने का निर्णय लिया, लेकिन योजना अफसरशाही में लटक गयी। इससे नाराज होकर मुख्यमंत्री ने योजना से जुड़े दो आईएएस अफसरों संजीव सरन और सदाकांत को फटकार भी लगाई थी। मुख्यमंत्री के सख्त तेवरों के बाद इस काम को दो साल में पूरा किया गया।

फैक्ट फाइल

- 260 करोड़ रुपये आई लागत

- 55 करोड़ रुपये से बनी कोबाल स्टोन की सड़कें

- 03 नये पार्क ऐतिहासिक इमारतों के पास बनाए गये

- 02 साल का वक्त लगा काम पूरा करने में

- 04 विभागों ने मिलकर किया काम

Posted By: Inextlive