-मानक से दोगुना होता है ट्रेन्स और प्लेटफॉर्म के बीच गैप

-ज्यादा गैप होने से गिरकर पटरी में फंस जाते हैं पैसैंजर्स

-हर महीने गिरते हैं 15 से 20 लोग

amarendra.pandey@inext.co.in

GORAKHPUR: पांच दिन पहले एक महिला गोरखपुर एलटीटी एक्सप्रेस में चढ़ते वक्त गिर गई। गिरने से वह इतने गंभीर रूप से घायल हो गई कि इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। यह हादसा दुनिया के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म वाले स्टेशन गोरखपुर जंक्शन पर हुआ। हादसे को भले ही रेलवे प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन जब घटना पर आई नेक्स्ट की नजर गई तो इसकी तह तक जाने की कोशिश की। इसके लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जंक्शन के प्लेटफॉर्म का मुआयना किया। इस मुआयने में पता चला कि रेलगाडि़यों के पायदान और प्लेटफॉर्म में इतना गैप है कि कोई भी चढ़ते वक्त पटरी के बीच गिर सकता है। यह गैप तय मानक से दोगुना है और किसी को भी मौत की खाई में धकेल सकता है। इस तरह ट्रेन में चढ़ते पटरी के बीच फंसकर होने वाली मौत की यह कोई पहली घटना नहीं है। आंकड़ों पर नजर डालें पता चलता है कि हर महीने क्भ् से ख्0 पैसेंजर्स इस 'खाई' में गिरते हैं और घायल होते हैं। कई तो इतने गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं कि उनकी मौत हो जाती है। यहां तक कि कई लोगों के अंग तक कट जाते हैं और वे जीवन भर के लिए लाचार हो जाते हैं। आखिरकार ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच की गैपिंग कितनी होनी चाहिए और कितना गैप वर्तमान में है। इसका रियल्टी चेक किया आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने।

मानक से दोगुनी है गैपिंग

प्लेटफार्म नंबर 9 पर गोरखपुर-एलटीटी एक्सप्रेस खड़ी थी। उसी दौरान आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने फ्0 सेमी (एक फुट) के स्केल से गैपिंग को नापा। नापने के दौरान देखा गया कि खड़ी ट्रेन की बोगी और प्लेटफॉर्म के बीच की गैपिंग क्8-ख्भ् सेमी। तक थी। जबकि इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक यह गैपिंग क्0 से क्ख् सेमी। होनी चाहिए।

क्या है नियम

इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, प्लेटफॉर्म के कंस्ट्रक्शन के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि ब्राड गेज लाइन बिछाते वक्त दोनों की दूरी सेम होनी चाहिए। साथ ही इस बात का भी याल रखना होता है कि जब रेलगाड़ी प्लेटफॉर्म पर प्लेस हो तो उसकी दूरी प्लेटफॉर्म से मात्र क्0 से क्ख् सेंमी हो, यानी करीब ब्- से भ् इंच। जबकि आई नेक्स्ट ने पाया कि यह दूरी क्0 इंच तक थी। इसके अलावा प्लेटफॉर्म पर लगाए जाने वाले पत्थर में बॉर्डर वाले एरिया में बर्फी कट वाले पत्थर लगाए जाने चाहिए, ताकि ट्रेन में चढ़ते वक्त यात्रियों के पैर न स्लिप करें।

हाल ही में हुए कुछ हादसे

- अवध-असम एक्सप्रेस में चढ़ते वक्त गिरने से सहजनवा के रहने वाले गोपी कृष्ण की मौत हो गई थी।

- जननायक एक्सप्रेस में चढ़ते वक्त एक बच्चे की मौत हो गई थी।

- नरकटियागंज एक्सप्रेस में एक बुजुर्ग की ट्रेन में चढ़ते पैर कट गया बाद में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

- मौर्या एक्सप्रेस में चढ़ते एक स्कूली छात्रा की मौत हो गई थी।

वर्जन

हमेशा से इस बात का एनाउंसमेंट किया जाता है कि यात्री अपने को जोखिम में न डाले। चलती ट्रेन को कभी न पकड़े। रहा सवाल गैंपिंग का तो इसके लिए संबंधित डिपार्टमेंट से बात की जाएगी।

-आलोक कुमार सिंह,

सीपीआरओ, एनई रेलवे

Posted By: Inextlive