यह खबर सुनकर तमाम लोगों को झटका लग सकता है कि किसी भी देश की सरकार खुलेआम किसी कंपनी के साथ ऐसा कैसे कर सकती है। दरअसल हाल ही में फ्रांस की सरकार ने एक प्राइवेट ऑनलाइन कंपनी की वेबसाइट सिर्फ इसलिए जब्‍त कर ली क्‍योंकि उसका डोमेन नेम सरकारी सा लगता था। फ्रांस डॉट कॉम नाम की इस बहुत पुरानी वेबसाइट पर ऐसी कार्रवाई होने से उसका व्‍यापार ही बंद हो गया था।

फ्रांस सरकार ने 24 साल पुरानी ट्रैवल वेबसाइट फ्रांस.com को बिना पूछे कर लिया जब्त

Theverge.com की रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस की एक 24 साल पुरानी टूर एंड ट्रैवल बुकिंग वेबसाइट फ्रांस डॉट कॉम हाल ही में अचानक बंद हो गई और उसे क्लिक करने पर फ्रेंच गवर्नमेंट की अंग्रेजी वेबसाइट France.fr खुल रही है। ऐसा होने पर फ्रांस.com के मालिक जीन-नोएल फ्राइडमैन को बड़ा झटका लगा, क्योंकि वो वेबसाइट ही उनका मेन बिजनेस था। साइट बंद होने से उनका पूरा कारोबार ही चौपट हो गया है। बाद में Frydman को पता चला कि उनकी वेबसाइट किसी और ने नहीं बल्कि फ्रांस सरकार ने जब्त कर ली है, वो भी बिना परमीशन के।

 

फ्रांस में जन्मे अमेरिकी नागरिक Frydman ने अपनी वेबसाइट वापस पाने के लिए सरकार पर किया केस

अपनी सालों पुरानी बिजनेस वेबसाइट को वापस पाने के लिए अमेरिकी नागरिक जीन-नोएल फ्राइडमैन ने अमेरिकी फेडरल कोर्ट में फ्रांस सरकार के खिलाफ केस कर दिया है। यह केस फ्रांस सरकार, फ्रांस के विदेश मंत्री और वहां की टूरिज्म एजेंसी के खिलाफ किया गया है। Theregister.co.uk के मुताबिक Frydman ने कोर्ट में यह दावा किया है कि फ्रांस सरकार ने उसकी 24 साल पुरानी बिजनेस वेबसाइट हथिया ली है, जिसके कारण उसका व्यापार चौपट हो गया है। इसलिए फ्रांस सरकार उसका वेबसाइट डोमेन उसे वापस दे, ताकि उसका व्यापार फिर से चल सके।

फ्रांस सरकार ने पहले वेबसाइट को दिया अवार्ड फिर कर लिया कब्जा

जानकारी के मुताबिक कुछ साल पहले तक Frydman के साथ फ्रांस सरकार और अधिकारियों के अच्छे संबध थे। साल 2009 में फ्रेंच गवर्नमेंट ने फ्रांस.com को बेस्ट वेबसाइट का अवार्ड भी दिया था, लेकिन साल 2016 में सरकार का मन बदल गया। Frydman ने द वर्ज को बताया कि सरकार ने फ्रांस.com को खरीदने के लिए कभी उससे रिक्वेस्ट नहीं की और अब लीगल राइट्स खरीदे बिना उनकी वेबसाइट पर कब्जा कर लिया। लीगल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि दरअसल यह मामला साधारण डोमेन एड्रेस चोरी या उसका दुरुपयोग का साधारण मामला नहीं है। इंटरनेट की डोमेन अथॉरिटी ICANN भी इस मामले में शायद ही कुछ कर पाए, क्योंकि इसमें देश की सरकार खुद ही इनवॉल्व है।

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Posted By: Chandramohan Mishra