भारत में तमाम रीति-रिवाज ऐसे हैं जो सैकड़ों सालों से चले आ रहे हैं और आज भी इन रिवाजों की वजह से कहीं ने कहीं लोगों को दिक्‍कतें या परेशानी महसूस होती है। इसी तरह एक रिवाज है लड़कियों का खतना।।यह सबसे कष्‍टदायक और अमानवीय प्रथा है जो छोटी बच्‍चियों को झेलनी पड़ती है।

बोहरा समुदाय में प्रचलित है प्रथा
भारत में बोहरा मुस्लिम समुदाय के बीच महिलाओं का खतना कराए जाने की परंपरा है। दाउदी बोहरा समुदाय एक छोटा मगर समृद्ध शिया मुस्लिम समुदाय है जो मुख्य तौर पर पश्मिची भारत में रहते हैं। यह समुदाय अपनी उत्पत्ति शिया इस्माइली मिशनरियों के 11वीं सदी में मिश्र से यमन होते होते हुए खंभात बंदरगाह पर आने से जोड़कर देखता है। इनमें से अधिकांश मिशनरी गुजरात के व्यापारी बन गए और इन्हें ही आज बोहरा के तौर पर जाना जाता है।
क्या होती है खतना
मुस्लिम बोहरा समुदाय में छोटी बच्चियों के गुप्तांग (clitoris) की सुन्नत की यह प्रक्रिया औरतों के लिए एक अभिशाप है। इस प्रक्रिया में औरतें छोटी बच्चियों के हाथ-पैर पकड़ते हैं और फ़िर clitoris पर मुल्तानी लगाकर वह हिस्सा काट दिया जाता है। औरतों की ख़तना का यह रिवाज अफ्रीकी देशों के कबायली समुदायों में भी प्रचलित है लेकिन अब भारत में भी ये शुरू हो गया है। अफ्रीका में यह मिस्र, केन्या, यूगांडा जैसे देशों में सदियों से चली आ रही है। ऐसा कहा जाता है कि ख़तना से औरतों की मासित धर्म और प्रसव पीड़ा को कम करती है। ख़तना के बाद बच्चियां दर्द से कईं महीनों तक जूझती रहती हैं और कई की तो संक्रमण फ़ैलने के कारण मौत भी हो जाती है।
सेक्स की इच्छा दबाने के लिए खतना
महिलाओं का खतना सेक्स की इच्छा को दबाने और महिलाओं को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। ताकि बोहरा पुरुषों को वर्जिन महिलाओं से शादी करने का मौका मिल सके और शादी के बाद उनकी महिलाओं को दूसरे पुरुषों के साथ संबंध बनाने से रोका जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं का खतना करने का कोई फायदा नहीं है और इससे उन्हें उल्टा नुकसान ही होता है। इसके अलावा यह मानवाधिकार का भी उल्लंघन है। दिसंबर 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महिलाओं का खतना रोकने के लिए प्रस्ताव पारित किया जबकि ऑस्ट्रेलिया में तीन बोहरा समुदाय के लोगों को महिला खतना का दोषी करार दिया गया।

inextlive from India News Desk

 

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari