जनऔषधि केंद्र की आड़ में बिक रही ब्रांडेड कंपनियों की दवाइयां

टैक्स में चोरी के लिए बिना बिल बेची जा रही हैं दवाएं

Meerut. प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों पर टैक्स चोरी का बड़ा खेल चल रहा है. यहां जेनेरिक दवाओं की आड़ में महंगी दवाइयां बेचकर टैक्स चोरी किया जा रहा है. बिना बिल वाली दवाइयों का पूरा सिस्टम तैयार है. ब्रांडेड दवाइयों पर लगभग 50 प्रतिशत तक की छूट देकर मरीजों को बिल भी नहीं दिया जा रहा है. यही नहीं सरकारी दवाइयों पर मरीजों को मिलने वाले डिस्काउंट में भी बड़ी धांधली सामने आई है. जिला अस्पताल में चल रहे प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में कई चौकाने वाला खुलासे हुए हैं. जो प्रधानमंत्री जनऔषधि केद्रों की मॉनिटरिंग की भी पोल खोल रहे हैं.

ओटीसी की आड़ में

प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र में बीपीपीआई मैन्यूफैक्चर्ड दवाइयों के अलावा दूसरे ब्रांड की दवाइयां भी बेची जा रही हैं. ओटीसी यानि ऑवर टू काउंटर की आड़ में टूथपेस्ट से लेकर महंगी दवाईयां मोटी कमाई का जरिया बन गई हैं. यहां धड़ल्ले से न्यूकाइंड फार्मा, लूपिन लिमिटेड, इंडिजेन, नेटोरॉन कंपनियों की ऑफसिप ओजेड, न्यू डर्मी 5 केयर, डिक्लेक-एमआर समेत तमाम ब्रांड की दवाइयां बिक रही हैं. वहीं फेबुटेक्स 40 समेत कुछ दवाएं ऐसी भी हैं, जिन्हें सिर्फ डॉक्टर्स के प्रिस्क्रिपशन पर ही बेचा जा सकता है. जबकि ओटीसी के तहत जनरल आइटम व कुछ निर्धारित दवाइयां ही सेल हो सकती हैं. इनमें जनरल मेडिसिन, जो डॉक्टर के परामर्श के बिना भी ली जा सकती हैं.

बिना बिल दवाइयां, टैक्स चोरी

जनऔषधि केंद्र टैक्स चोरी में भी पीछे नहीं हैं. 195 रूपये एमआरपी वाली दवाई बिना बिल के 100 रूपये की दी जा रही है. जबकि बिल के साथ इसे 180 रूपये में बेचा जा रहा है. बिल घोटाले की स्थिति ये है कि अधिकतर मरीजों को बिना बिल के ही दवाईयां बेची जा रही है. अगर कोई बिल मांगता भी है तो उसे अधिक दाम देने की बात कहकर भगा भी दिया जाता है.

डिस्काउंट में खेल

जिला अस्पताल के स्टोर में जनऔषधि केंद्र वाली दवाईयों पर एक्स्ट्रा डिस्काउंट भी नहीं दिया जा रहा है. जबकि सरकारी प्रिमाइस में खुले स्टोर्स में एमआरपी पर 10 प्रतिशत डिस्काउंट देना जरूरी है. सरकारी जगह का रेंट, बिजली आदि में छूट होने की वजह से सरकार ने ये नियम लागू किया था.

ये हैं नियम

केंद्र की जन कल्याणकारी योजना के तहत जनऔषधि केंद्रों पर सिर्फ बीपीपीआई मैन्यूफैक्चर्ड दवाईयां बेचने का ही नियम है.

ओटीसी के तहत जनरल यूज के कॉस्मेटिक्स व गुड्स भी बेचे जा सकते हैं.

फैक्ट फाइल

2017 में प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र योजना मरीजों को सस्ती दरों पर दवाईयां उपलब्ध करवाने के लिए शुरु की गई थी.

33 स्टोर्स जिलेभर में संचालित हो रहे हैं.

3 से 8 लाख की दवाईयां एक स्टोर पर हर महीने सेल होती है.

32 करोड़ करीब का सालाना होता है कारोबार.

60 प्रतिशत मरीजों को हर दिन सस्ते के नाम पर महंगी ब्रांडेड दवाएं थमाई जा रही हैं.

जिला अस्पताल में खुले स्टोर में हर दिन 70 प्रतिशत मरीजों को बिना बिल दवाईयां थमाई जा रही हैं.

इन बीमारियों के मरीज सबसे ज्यादा

हार्ट, बीपी और कैंसर.

50 प्रतिशत से अधिक मरीज लीवर की दवाइयां लेने पहुंचते हैं.

70 प्रतिशत मरीज सर्दी व बुखार की दवाएं लेते हैं.

स्टोर पर एम्पलायज होते हैं. मैं बाहर रहता हूं. बिना बिल और ब्रांडेड दवाईयां बेची जा रही तो मैं चेक करवाउंगा.

रोबिन त्यागी, संचालक, जनऔषधि केंद्र, जिला अस्पताल

जनऔषधि केंद्रों पर ब्रांडेड दवाइयां नहीं बेची जा सकती हैं. अगर ऐसा हो रहा है तो निश्चित करवाई की जाएगी.

गौतम कपूर, नोडल अधिकारी, जनऔषिध केंद्र इंचार्ज

बिना बिल के दवाईयां बेचना बिल्कुल गलत है. ड्रग एक्ट के उल्लंघन के तहत कार्रवाई की जाएगी.

पवन शाक्य, ड्रग इंस्पेक्टर, मेरठ

दवाइयों के साथ बिल नहीं दिया है. बिल मांगने पर अतिरिक्त पैसों की मांग की गई है.

ओमकार, मरीज

डॉक्टर ने जनऔषधि केंद्र से दवाईयां लेने के लिए कहा था. स्टोर पर एमआरपी पर ही दवाइयां मिल रही हैं.

हिना, मरीज

जनऔषधि केंद्र पर एमआरपी पर ही दवाई मिली हैं. जन औषधि की क्रीम पर कोई डिस्काउंट नहीं मिला.

गीता, मरीज

Posted By: Lekhchand Singh