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PATNA : पटना की गलियां इतनी संकरी क्यों हैं? लोगों ने बिजली के तार से सटाकर मकान कैसे बना लिया? सड़कों और फुटपाथ को कौन निगल गया? ग्रीन बेल्ट कहां जमींदोज हो गए? यहां की हवा में दम क्यों घुटता है? शहर से हरियाली गायब कैसे हो गई? आािर इस अनियंत्रित विकास के लिए जिमेदार कौन है? यह सारे सवाल हर आदमी के दिल में होंगे लेकिन आज तक जवाब नहीं मिला होगा। आई नेक्स्ट पहली बार इन सवालों के जवाब देने जा रहा है। जिमेदारों के चेहरे से नकाब नोंचकर आपके सामने लाने जा रहा है। आई नेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन में ऐसा सच सामने आया जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। पटना में कहीं ाी मकान बना लीजिए कोई देाने-बोलने वाला नहीं है। न आप पर कार्रवाई होगी। यही कारण है कि आधे पटना के मकान नगर निगम से पास नक्शे के मुताबिक बने ही नहीं है।

नियम

हर घर के निर्माण में भ् फीसदी एरिया में प्लांटेशन होना चाहिए, ग्रुप हाउसिंग हो तो क्0 फीसदी।

करंट के मुताबिक घर से ख्.भ् मीटर से लेकर फ्.7 मीटर तक तार की दूरी होनी चाहिए।

रोड के मुताबिक घर के सामने, बगल और पीछे क्ख् फीट से लेकर 80 फीट तक स्पेस हो।

बिल्डिंग के बेसमेंट या अलग से पार्किग की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

हकीकत

पटना में क्0 ला से अधिक ऐसे मकान है जहां हरियाली का नामोनिशां तक नहीं है।

हर साल बिजली के तार की चपेट में आकर दर्जनों लोगों की जान जाती है।

हर साल बिजली के तार की चपेट में आकर दर्जनों लोगों की जान जाती है।

हर साल बिजली के तार की चपेट में आकर दर्जनों लोगों की जान जाती है।

रिपोर्टर- हमारे इलाके में कई लोगों ने बिना नक्शा पास कराए मकान बना लिया है, आप इंस्पेक्शन करेंगे?

वीरेंद्र - इसके लिए आप लिखित शिकायत करें।

रिपोर्टर- तो आप बिना शिकायत के रेड नहीं करते?

वीरेंद्र - नहीं, हम शिकायत के बाद ही कार्रवाई करते हैं।

रिपोर्टर- शिकायत करने पर लोगों से दुश्मनी ही होगी, आप ही कार्रवाई करें?

वीरेंद्र - मौर्या लोक में नगर निगम का ऑफिस है, आप वहीं शिकायत करें। शिकायत के बाद ही कोई कार्रवाई हो सकती है।

रिपोर्टर- सर, मैं एक आम आदमी हूं और वो लोग बहुत पावरफुल हैं। मैं तो जिमेदार नागरिक के तहत आपको सूचना दे रहा हूं।

वीरेंद्र -हम केवल बिल्डिंग परमिशन के लिए इंस्पेक्शन करते हैं। नक्शे के अनुसार मकान बना है या नहीं या फिर नक्शा लिया है या नहीं, इसकी जांच के लिए ऐसी कोई टीम नहीं बनी।

1981 से चला आ रहा कानून

ख् साल पहले तक पटना में मकान बनाने से पहले बिल्डिंग बायलॉज क्98क् के तहत नक्शा पास कराना होता था। इस बायलॉज के तहत ाी मकान के सामने 8 फीट का मिनिमम रास्ता होना चाहिए। लेकिन इस कानून का ाी उल्लंघन हुआ। आंा बंदकर नक्शे पास किए गए। यही कारण है राजापुल और बाजार समिति जैसे मोहल्ले ाड़े हो गए।

2014 का कानून ाी ताक पर

पटना की स्थिति को देाते हुए बायलॉज क्98क् को अपडेट कर बिल्डिंग बायलॉज ख्0क्ब् बनाया गया। जिसमें सड़क, हवा, पानी, बिजली जैसी सुविधाओं को विशेष ध्यान में राते हुए नक्शे का परमिशन देने के कड़े कानून तय हुए। इस कानून के मुताबिक ग्रीन बेल्ट और पार्किग को नक्शे में अनिवार्य किया गया। कानून बनने के डेढ़ साल तक एक भी नक्शा पास नहीं हो पाया।

कोर्ट को लगानी पड़ी फटकारp> नहीं हुई कार्रवाई

पटना में नक्शे के अनुसार मकान बना है या नहीं। इस तरह की कोई भी कार्रवाई पटना में आज तक नहीं हुई। नगर निगम ने भी काी स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने की जहमत काी नहीं उठाई। अगर एक भी कार्रवाई हुई होती तो पटना अंधेर नगरी नहीं बनता।

पटना में नियमों का उल्लंघन हो रहा है या नहीं इसके बारे में नगर निगम आयुक्त बताएंगे। उनसे बात करिए।

-चैतन्य प्रसाद, प्रमुख सचिव, नगरीय विकास विभाग

टीम बनी है जो नक्शे पास करने के लिए इंस्पेक्शन करती है। अगर कोई शिकायत करे तो टीम जाकर ये जांच करेगी कि बिल्डिंग बायलॉज का पालन किया गया है कि नहीं। नक्शे पास कराने के काम को हमने तेज किया है। ड्राट मास्टर प्लान के मुताबिक शहर का विकास किया जा रहा है।

- अभिषेक सिंह, कमिश्नर, पीएमसी

Posted By: Inextlive